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Sonbhadra Beautiful Place: सोनभद्र का रिहंद बांध आखिर क्यों है फेमस, जानें इसकी खासियत
Sonbhadra Rihand Dam: आज हम आपको रिहंद बांध के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि गोविंद बल्लभ पंत सागर के नाम से भी जाना जाता है।
Sonbhadra Rihand Dam: उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला (Sonbhadra Latest News) अपने पर्यटन स्थलों (Tourist Places) की वजह से दुनियाभर में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से मशहूर इस जिले में फॉसिल्स पार्क (Salkhan Fossils Park) से लेकर रिहंद बांध तक कई फेमस जगहें हैं। आज हम आपको रिहंद बांध के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि वोल्यूम के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा बांध है। इसे गोविंद बल्लभ पंत सागर (Govind Ballabh Pant Sagar) के नाम से भी जाना जाता है। तो चलिए जानते हैं कि इसके बारे में सबकुछ।
कब बना रिहंद बांध?
सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि रिहंद बांध (Rihand Dam) कब बनाया गया। देश के सबसे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने 13 जुलाई 1954 को इसकी आधारशिला रखी और फिर नौ साल बाद यानी 6 जनवरी 1963 को इस बांध का उद्घाटन किया गया था। इस बांध का नाम उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित गोविंद वल्लभ पंत (Govind Ballabh Pant) के नाम पर रखा गया था।
कहां पर स्थित है रिहंद बांध?
उत्तर प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण बहुउद्देश्यीय परियोजना रिहन्द प्रोजेक्ट (Rihand Project) के अंतर्गत बना रिहंद बांध उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के पिपरी (Pipari) में स्थित है। जिसे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों की सीमा पर रिहन्द नदी (Rihand River) पर बनाया गया है। रिहंद नदी सोन नदी की एक प्रमुख उपनदी है। यह जलाशय 30 किमी लम्बा व 15 किमी चौड़ा है। इसे भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील (India's Largest Artificial Lake) भी कहा जाता है।
रिहंद बांध की खासियत?
अगर बात की जाए रिहंद बांध की खासियत की तो इस बांध में हाईड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर जेनरेशन द्वारा 300 मेगावाट की बिजली उत्पन्न की जाती है। इस बांध में 61 संयुक्त और स्वतंत्र ब्लॉक हैं। बांध स्थल और नदी में बड़ी मात्रा में पानी जमा हो जाता है। इस बांध के पानी को साल भर खेती योग्य भूमि को सींचने के लिए दिया जाता है। हालांकि इस बांध से यूपी को सिंचाई के लिए कोई पानी नहीं मिलता।
बिहार में इंद्रपुरी बैराज के जरिए होने वाली खेतों की सिंचाई के लिए साल में दो बार 15 15 दिन के लिए पानी रिहंद नदी ओबरा डैम होते हुए सोन नदी में छोड़ा जाता है। इसके अलावा, इसमें 730 मीटर की खड़ी गिरावट है जो हाइडल-पावर के लिए जबरदस्त प्राकृतिक लाभ है। इस बांध का लाभ छत्तीसगढ़, झारखण्ड, यूपी और मध्य प्रदेश राज्य के कुछ अंश को भी मिलता है।
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