Sultanpur Jalpa Mata Mandir History: ईश्वरीय चमत्कारों के किस्सों से भरे पड़े हैं पूरे भारत में मौजूद अनगिनत मंदिर। इसी कड़ी में एक नाम सुल्तानपुर के बारासिन गांव में स्थित मां जालपा धाम मंदिर का भी आता है। यह न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यहां मौजूद मंदिर अपने खास महत्व के चलते बेहद चर्चित है। कहा जाता है कि एक व्यक्ति को मौत के कगार पर पहुंचकर उसे मां जालपा से अपनी जान की बख्शीश मिली थी। जिसके बाद उस व्यक्ति ने इस मंदिर को और भव्यता प्रदान करने के लिए इसका निर्माण करवाया। इस चमत्कार के बाद मां जालपा की ख्याति सुल्तानपुर ही नहीं, बल्कि पूरे अवध क्षेत्र में व्याप्त है। इस मंदिर में दूर-दूर से लोग मां के दर्शन करने और उनके आशीर्वाद पाने के लिए यहां आते हैं। मां जालपा धाम में वर्ष की दोनों नवरात्रि की अष्टमी तिथि को विराट मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें 10000 से भी अधिक भक्त शामिल होते हैं। इसके अलावा दीपावली के बाद यहां हर वर्ष भव्य भंडारा किया जाता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करने आते हैं। मां जालपा धाम को प्रसाद के रूप में बताशा नारियल आदि चढ़ाया जाता है। आइए जानते हैं इस स्थान के बारे में विस्तार से -
फांसी की सजा रोकने पर हुआ था इस मंदिर का निर्माण
Famous Maa Jalpa Mandir (Image Credit-Social Media)
सुल्तानपुर के बारासिन गांव स्थित मां जालपा धाम मंदिर वैसे तो ढाई सौ वर्ष से अधिक पुराना है। लेकिन इस मंदिर का निर्माण स्थानीय क्षत्रियों द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर को लेकर लोकप्रिय एक चर्चा के मुताबिक गांव के ही एक ठाकुर को फांसी की सजा हुई थी, जिस पर उन्होंने मां जालपा धाम से सजा रुकवाने की मनौती मांगी और उनकी यह इच्छा पूरी भी हो गई। मनौती के मुताबिक व्यक्ति घर तभी गया जब तक उसने इस देवी मंदिर का निर्माण पूरा नहीं करवा दिया।
ढाई सौ साल से भी पुराना है मां जालपा धाम मंदिर का इतिहास
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मान्यताओं के अनुसार, कहते हैं कि मां जालपा धाम मंदिर का इतिहास ढाई सौ साल से भी पुराना है। यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है। मंदिर में स्थापित भगवान शंकर की प्रतिमा और प्राचीन पीपल का पेड़ इस मंदिर को और भी खास बनाते हैं। यहां मौजूद बेहद प्राचीन पीपल के पेड़ पर लोग कलावे और चुनरियां बांध कर अपनी मुरादें मांगते हैं।जिसके पूरी होने पर वापस उन गांठों को खोलने भी आते हैं। ये पेड़ लाल कलावा और चुनरियों के साथ बेहद दिव्य नजर आता है।
कठिन चुनौतियों में शक्ति और साहस प्रदान करती हैं जालपा देवी
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जालपा माता को शक्ति और साहस की देवी भी माना जाता है। जो लोग जीवन में किसी तरह की परेशानी या चुनौती का सामना कर रहे होते हैं, इस मंदिर में दर्शन करने से उन्हें उस परिस्थिति से निपटने के लिए साहस और शक्ति मिलती है। माना जाता है कि जालपा माता अपने भक्तों पर कृपा करती हैं और उनकी सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करती हैं।साथ ही सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करती हैं। जालपा माता को मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है। इस मंदिर में इनका दर्शन करने वाले भक्त अपनी मनोकामना लेकर उनके मंदिर में आते हैं और मनोकामना पूरी होने पर यहां भंडारा आदि करते हैं।
बेहद लोकप्रिय है रायगढ़ का भी जलपा देवी मंदिर
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जलपा देवी का एक और चर्चित मन्दिर राजगढ़ के हाइवे-52 के समीप विशाल टेकरी पर स्थित हैं। जहा नवरात्र के पहले दिन बुधवार को दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है। इस मंदिर की खासियत है कि यहां लोग उल्टा स्वास्तिक बनाकर मन्नत मांगते हैं और मुराद पूरी होने पर दोबारा मन्दिर पहुंचते हैं और फिर सीधा स्वास्तिक बनाते है।यहा माता के दर्शन करने के लिए मध्यप्रदेश के साथ ही राजस्थान से भी भक्त आते हैं।
माता की मूर्ति के बारे में मान्यता
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इस मंदिर में माता की मूर्ति के बारे में मान्यता है कि करीब 1100 साल पहले भक्त ज्वालानाथ की तपस्या से खुश होकर माता ने उसे दर्शन दिए थे। इसके बाद यहीं पर पीपल के पेड़ के नीचे माता की मूर्ति मिली थी, बाद में जालपा पहाड़ी पर पाषण निर्मित माता की सिंह सवार प्रतिमा की चबूतरे पर स्थापना की गई थी। प्रतिमा की स्थापना के बाद मंदिर की देखरेख राजगढ़ स्टेट के उमठवंशीय राजाओं और बाद में प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट की जिम्मेदारी में आ गई। मंदिर और पहुंचने के लिए दो मार्ग हैं। यहां पर सड़क मार्ग के साथ सीढ़ियों से भी जाया जा सकता है। सुरक्षा के लिए यहां पर पुलिस चौकी भी स्थापित की गई है। मंदिर पहुंचने के लिए भक्तों को करीब एक किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। आज भी मंदिर के मुख्य सेवक भीलवंशीय ही हैं। यूं तो सालभर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लेकिन नवरात्रि में यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। नवरात्रि में राजगढ़ और आसपास के क्षेत्र के भक्त पदयात्रा कर माता को चुनरी चढ़ाने और मन्नतें पूरी होने पर दर्शन करने आते हैं।