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Surkanda Devi Temple Ropeway: प्रसिद्ध सुरकंडा माता मंदिर के दर्शन के साथ ही उठाएं ट्रेकिंग से लेकर रोपवे का आनंद
Surkanda Devi Temple Ropeway: आज हम आपको प्रसिद्ध सुरकंडा माता मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ आप मंदिर के दर्शन के साथ साथ रोपवे और ट्रैकिंग का भी आनंद ले सकते हैं।
Surkanda Devi Temple Ropeway: अगर आप धार्मिक स्थलों के दर्शन के साथ पहाड़ों पर घूमना और वहां की रोमांचक गतिविधियों को एंजॉय करना पसंद करते हैं तो आपको धनौल्टी की एक वीकेंड ट्रिप जरूर प्लान करनी चाहिए। धनौल्टी के करीब ही मौजूद सुरकंडा माता का मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक स्थान होने के साथ-साथ ट्रेकिंग स्थल भी बन गया है। यहां रोपवे की भी सुविधा मिलती है। लेकिन लोग यहां प्राकृतिक सौंदर्य और स्वच्छ हवा का आनंद उठाने के लिए पैदल चलना पसंद करते हैं। ये मंदिर पहाड़ों पर काफी ऊंचाई पर स्थित है। यही वजह है कि खासकर सर्दियों के मौसम में यहां ट्रेकिंग करना लोगों को खूब भाता है। बादलों से ढके मंदिर का खूबसूरत नजारा देखने के बाद आप इस अनुभव को कभी भुला नहीं पाएंगे। जब यहां बर्फ पड़ती है, तो यहां का आकर्षण दूना हो जाता है। पथरीले ऊबड़ खाबड़ पहाड़ों पर मौजूद इस मंदिर की चढ़ाई करना कोई आसान काम नहीं है, मंदिर 2750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पत्थरों को काटकर मंदिर जाने के लिए बनाई गई सीधी सीढ़ियों पर चढ़ना बहुत ही टेढ़ी खीर साबित होता है। आइए जानते हैं सुरकंडा माता मंदिर से जुड़ी सभी जानकारी के बारे में।
मंदिर दर्शन के साथ उठाएं रोपवे का आनंद
अगर आप सुरकंडा माता मंदिर दर्शन के लिए जा रहें हैं तो यहां आप ट्रैकिंग के साथ मंदिर दर्शन के साथ उठाएं रोपवे का आनंद भी उठा सकते हैं। मंदिर अगर आपके साथ बुजुर्ग या बच्चे हैं और आप उनके साथ पैदल चलकर मंदिर दर्शन के लिए नहीं जा सकते हैं, तो आप रोपवे से दर्शन के लिए जा सकते हैं। मंदिर में रोपवे की सुविधा सस्ती है। इसमें आने-जाने की सुविधा मिलती है, इसलिए आपको दिक्कत नहीं होगी। हालांकि, ध्यान रखें कि शाम 5 बजे के बाद रोपवे की सुविधा बंद हो जाती है।उत्तराखंड घूमने का प्लान बना रहे लोगों को एक बार इस मंदिर में जाने का प्लान जरूर बनाना चाहिए।
ऐसे पहुंचे सुरकंडा मंदिर
धनौल्टी से लगभग 8 किमी और मसूरी से लगभग 33 किमी की दूरी पर यह मंदिर स्थित है। इसलिए अगर आप इन हिल स्टेशन पर घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो मंदिर दर्शन करने जा सकते हैं।
मंदिर की खूबसूरती और ट्रेकिंग का आनंद लेने के लिए अधिकतर लोग यहां जाना पसंद करते हैं।यह मसूरी के पास घूमने के लिए अच्छी जगह में से एक है।
बहुत ही सस्ती है सुरकंडा मंदिर में रोपवे की यात्रा
अगर आप मंदिर जाने के लिए रोपवे का विकल्प चुनते हैं तो सिर्फ 205 रुपये में ही आप आना-जाना दोनों कर पाएंगे। इतनी कम कीमत पर रोप वे की सुविधा मिलने की वजह से यहां आने वाले पर्यटक इस सस्ती सुविधा का जमकर आनंद उठाते हैं। साथ ही मंदिर जाने में भी किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है।
लेकिन लगभग शाम 5 से 6 बजे के बाद रोपवे से ऊपर जाने के लिए 205 रुपये देने होंगे। लेकिन रोपवे से वापस आने की सुविधा बंद कर दी जाती है। इसलिए 205 रुपये में केवल रोपवे से ऊपर ही जा पाएंगे। यहां 5 बजे से पहले ही रोपवे से ऊपर जाने और नीचे दोनों की सुविधा का लाभ उठा सकते है।
रोपवे से यात्रा के दौरान रखें इन बातों का खास ध्यान
धनौल्टी के पास ऊंचे पहाड़ पर स्थित सुरकंडा मंदिर तक अगर आप रोपवे में सफर कर रहे हैं, तो आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। यात्रा के दौरान रोपवे अगर किसी कारणवश रूक जाता है, तो घबराकर इसमें ज्यादा हिले नहीं। क्योंकि, यहां पर कर्मचारी आपकी सहायता के लिए खड़े रहते हैं। केबिन में खाना-पीना और गंदगी करना पूरी तरह प्रतिबंधित होता है।
केबिन में एक साथ केवल 6 लोग ही बैठ सकते हैं। आप रोप वे के केबिन में खड़े होकर फोटो या वीडियो नहीं बना सकते। रोप वे के केबिन का दरवाजा खोलना सख्त मना होता है। ऐसा करना किसी गंभीर दुर्घटना का कारण बन सकता है।
मंदिर खुलने का समय
सुरकंडा मंदिर के दर्शन के लिए निकलने से पहले मंदिर के खुलने और बंद होने के समय के बारे में जरूर जानकारी एकत्र कर लेनी चाहिए। अगर आप सर्दियों के मौसम में माता के दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि आप सुबह 8 बजे से 12 बजे तक और 12.30 बजे से शाम 7 बजे तक ही दर्शन कर पाएंगे।
गर्मियों के मौसम में मंदिर सुबह 7 बजे खुल जाता है। यहां आप रात 8 बजे तक आराम से मंदिर में दर्शन कर सकते हैं।
बेहद कठिन हैं सुरकंडा माता मंदिर तक ट्रेकिंग का विकल्प
अगर आप ट्रेक कर इस मंदिर तक जाने का विकल्प चुनते हैं तो ये आपको बेशक थका देने वाला साबित होगा। हालांकि रुक रुक कर आराम करके इस यात्रा को जरूर सहज बना सकते हैं। यहां जगह-जगह बैठने के लिए चेयर बनाई गई है। इसके अलावा खाने-पीने के स्टॉल भी है। मंदिर तक पहुंचने में आपको 1 से 1.30 घंटे का समय लग सकता है। ऊंचाई और सीधी खड़ी सीढ़ियां होने की वजह से मंदिर दर्शन करना आसान नहीं लगता। अगर आप बेहद फुर्तीले और स्वास्थ नहीं है, तो आप हर 2 से 3 मिनट चलने के बाद थका हुआ अहसास करेंगे। मंदिर में पर्यटकों की भीड़ हमेशा लगी रहती है।लेकिन ज्यादातर लोग रोपवे से जाना पसंद करते हैं।