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Tamil Nadu Famous Temple: तमिलनाडु का यह प्रसिद्ध मंदिर भारत के स्थापत्य कला की अद्भुत पेशकश

Tamil Nadu Famous Beautiful Temple: भारत के प्राचीन की स्थापत्य कला विश्व भर में प्रसिद्ध है। जो हमे हमारे पूर्वजों से विरासत स्वरूप भेट मिली है। ऐसे ही एक आश्चर्य करने वाले मंदिर की भव्यता का जिक्र यहां किया गया है।

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 20 May 2024 4:45 PM IST (Updated on: 20 May 2024 4:45 PM IST)
Tamilnadu Famous Temple, Tamilnadu Famous Shiv Mandir
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Tamilnadu Famous Shiv Mandir (Pic Credit-Social Media)

Beautiful Famous Tamilnadu Mandir: भारत के दक्षिण की कला और संस्कृति पूरे विश्व से बहुत अलग और आश्चर्य करने वाली है। ऐसे ही भारत के स्थापत्य कला के कौशल का परिचय देते हुए यहां पर एक भव्य मंदिर है। जिसे बृहदीश्वर मंदिर, या राजराजेश्वरम भी कहा जाता है। यह स्थानीय रूप से थंजई पेरिया कोविल शाब्दिक रूप से 'तंजावुर बड़ा मंदिर' और पेरुवुदैयार कोविल के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की भव्यता और उसके निर्माण से जुड़ी रहस्यमय तथ्य इस मंदिर को ओर भी दिलचस्प और महत्वपूर्ण बनाते है। चलिए जानते है इस अलौकिक मंदिर के बारे में विस्तार से..

चोल मंदिर के नाम से भी है विख्यात

तमिलनाडु के तंजावुर में कावेरी नदी के दक्षिणी तट पर स्थित चोल स्थापत्य शैली में निर्मित एक हिंदू शिव मंदिर है। बृहदीश्वर मंदिर , तंजावुर , तमिलनाडु भारत में मंदिर है। जिसका निर्माण शासक राजराज प्रथम के अधीन किया गया था और 1010 में पूरा हुआ था। 1003 और 1010 ईस्वी के बीच चोल सम्राट राजराज प्रथम द्वारा निर्मित, यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का एक हिस्सा है। जिसे "महान जीवित चोल मंदिर" के रूप में जाना जाता है।



लोकेशन: बालागणपति नगर, तंजावुर, तमिलनाडु

समय: सुबह 6 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और फिर शाम 4-8:30 बजे तक



शक्ति और धन के प्रतीक के रूप में है खड़ा

बृहदीश्वर मंदिर उतना ही शक्ति और धन का प्रतीक है जितना कि यह हिंदू भगवान शिव का मंदिर है। मंदिर की दीवारों पर शासक के भव्य उपहारों का विवरण देने वाले शिलालेख चोल राजवंश की संपत्ति के पर्याप्त प्रमाण हैं । उनमें आभूषणों, सोना, चांदी, परिचारिकाओं और 400 महिला नर्तकियों की सूची दी गई है।



मंदिर का भव्य वास्तुकला बना इसकी पहचान

यह मंदिर भारत के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है, तमिल वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। इसे दक्षिण मेरु (दक्षिण का मेरु) भी कहा जाता है। जब मंदिर का निर्माण किया गया, तो यह भारत में सबसे बड़ा था। पहले के मंदिरों के छोटे पैमाने के डिजाइन से हटकर, इसने वास्तुकला की दक्षिण भारतीय शैली में भव्य डिजाइन के एक नए युग के लिए मानक स्थापित किया।



इसका डिज़ाइन बड़े और अधिक अलंकृत प्रवेश द्वारों या गोपुरों की ओर बदलाव का भी प्रतीक है , जब तक कि अंततः उन्होंने मुख्य मंदिर को भी ढक नहीं लिया।



मंदिर की सुंदरता में है बहुत कुछ

मंदिर को 200 फीट से अधिक की ऊंचा बनाया गया है। दक्षिण भारत का सबसे ऊंचा पिरामिडनुमा मंदिर टॉवर है। कहा जाता है कि इसके गुंबद का वजन 80 टन से ज्यादा है। मुख्य मंदिर के गर्भगृह के अंदर एक लिंगम है, जो 13 फीट ऊंचा है, जी भगवान शिव को यह मंदिर समर्पित होने का अतर बताता है। राजराजा प्रथम को चित्रित करने वाले भित्ति चित्र दीवारों को सजाते हैं और माना जाता है कि ये चोल चित्रकला के सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। 17वीं शताब्दी में नायक काल के दौरान एक विशाल पत्थर से भगवान शिव की सवारी नंदी को रखने के लिए एक मंदिर और एक मंडप अलग से बनाया गया था। यह मंदिर की पूरी संरचना ग्रेनाइट से बनी है ।



मंदिर से जुडी कुछ रहस्यमय जानकारी

बृहदीश्वर मंदिर और चोल काल के दो अन्य मंदिरों को 1987 में विश्व धरोहर स्थल नामित किया गया था।इसके ऊंचे पिरामिडनुमा मंदिर, भारी दरवाजे और शुरुआती पेंटिंग इसे चोल कला और वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति बनाती हैं। यह मंदिर पूरा का पूरा ग्रेनाइट से बनाया गया हैं इसे बनाने में सीमेंट या किसी भी तरह के इट का प्रयोग नहीं किया गया है। इस मंदिर को बनाने में 1 लाख 30 हजार टन ग्रेनाइट का प्रयोग किया गया है। इसे ज्यादा चौकाने वाली bat यह है कि इस मंदिर के आसपास कही भी ग्रेनाइट नहीं मिलता है। 15 मंजिला मंदिर बनाने में किसी भी तरह का ग्लू और सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया है। यह मंदिर अपने समय से कई भूकंप झेल चुका है। फिर भी जस का तस है।





Yachana Jaiswal

Yachana Jaiswal

Content Writer

I'm a dedicated content writer with a passion for crafting engaging and informative content. With 3 years of experience in the field, I specialize in creating compelling articles, blog posts, website content, and more. I can write on anything with my research skills. I have a keen eye for detail, a knack for research, and a commitment to delivering high-quality content that resonates with the audience. Author Education - I pursued my Bachelor's Degree in Journalism and Mass communication from Sri Ramswaroop Memorial University Lucknow. Presently I am pursuing master's degree in Master of science; Electronic Media from Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication Bhopal.

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