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Tatiya Dhaam In Vrindavan: उत्तरप्रदेश की इस जगह में आज भी नहीं आया कलयुग, यहां पत्तों पर दिखता है राधा नाम
Tatiya Dhaam In Vrindavan: उत्तर प्रदेश का वृंदावन एक बहुत ही प्रसिद्ध शहर है और इसके पास मौजूद टटिया गांव आज भी आधुनिकता से दूर है। चलिए इसके बारे में जानते हैं।
Tatiya Dhaam In Vrindavan : भागदौड़ भरी जिंदगी से हर व्यक्ति कभी ना कभी परेशान हो जाता है। वो किसी ऐसे स्थान पर जाना चाहता है, जहां पर उसे शांति और सुकून का एहसास करने को मिल सके। बढ़ती आबादी और शोर में भारत में शायद ही ऐसी कोई जगह मिल पाए लेकिन आज हम आपको एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर आपको शांति का एहसास करने को मिल सकेगा। इस जगह पर मैं आपको लोगों की भीड़ मिलेगी और ना ही ज्यादा शोर मिलने वाला है।
उत्तर प्रदेश की इस जगह पर जाकर आपको लगेगा कि जैसे यहां पर कलयुग आया ही नहीं है। उत्तर प्रदेश के वृंदावन का टटिया गांव ऐसा ही है। वृंदावन एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है और यहां लाखों की संख्या में लोगों की भीड़ पहुंचती है। लेकिन टटिया गांव आज भी आधुनिकता से दूर है और यहां पर ठाकुर जी विराजमान है। यहां आने के बाद लोगों को अध्यात्म का एहसास करने का मौका मिलता है।
यहां नहीं आया कलयुग (Kalyug Has Not Come Here)
जैसा कि हमने कहा कि इस गांव में कलयुग आया ही नहीं है उसे हमारा संबंध मशीनों से था। दरअसल आधुनिकता के दौर में व्यक्ति मशीनों का आदी हो चुका है और उसका आधा काम मशीनों के जरिए हो रहा है। लेकिन यह गांव ऐसा है कि यहां पर आपको किसी भी तरह की मशीन नहीं मिलेगी मोबाइल फोन तो दूर यहां आपको बल्ब और पंखे भी देखने को नहीं मिलेंगे। यहां बिहारी जी को हवा देने के लिए भी पुराने डोरी वाले पंखे का इस्तेमाल किया जाता है।
क्यों पड़ा नाम (Why Was it Named?)
सातवें आचार्य, स्वामी ललित किशोरी देव जी ने निधिवन को छोड़ने का फैसला किया, ताकि एक निर्जन वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान कर सकें। शिकारियों और तीमारदारों से इस जगह को सुरक्षित करने के लिए बांस के डंडे का इस्तेमाल पूरे इलाके को घेरने के लिए किया गया। स्थानीय भाषा में बांस की छड़ियों को “टटिया” कहा जाता है। इस तरह इस गांव का नाम टटिया पड़ा।
होती है बिहारी जी की आराधना (Bihari Ji Is Worshiped)
यह कैसी जगह है जहां पर साधु संत और लोग बिहारी जी की साधना में लीन रहते हैं। उन्हें दुनिया की मोह माया से किसी भी तरह का मतलब नहीं होता। जब आप इस जगह पर पहुंचेंगे तो आपको ऐसा लगेगा कि आप सदियों साल पीछे चले गए हैं। यहां आपको काफी सारे पेड़ पौधे देखने को मिलेंगे जो भगवान को समर्पित किए गए हैं। यहां कदम के पेड़ सबसे ज्यादा है और ऐसा कहां जाता है कि पेड़ के पत्तों पर राधा नाम उभरा हुआ दिखाई देता है।
नहीं होती आरती (Aarti is not done Here)
जाहिर सी बात है जितनी भी धार्मिक जगह होती है वहां पर भगवान की आरती तो जरूर की जाती है। लेकिन यह कैसी जगह है जहां पर आरती नहीं होती बल्कि यहां पर आयोजन होता है और भक्त बैठकर भगवान के भजन गाते हैं। लोगों का कहना है कि जब वह कृष्णा और राधा के भजन गाते हैं तब उन्हें खुद श्री कृष्णा और राधा रानी के यहां होने का एहसास होता है।
नहीं ले जा सकते मोबाइल (Can't Take Mobile)
इस गांव में जितने भी साधु संत रहते हैं उनके जीवन शैली किसी को भी हैरान कर सकती है। दरअसल वह आज भी कुएं का पानी पीते हैं। यहां पर जो भी लोग आते हैं उन्हें मोबाइल चलाने की अनुमति नहीं होती है। यहां पर आप किसी भी आधुनिक चीज का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं और महिलाओं को यहां सिर ढक कर जाना होता है।