×

Yulla Kanda Trek: झील के बीच कृष्ण मंदिर के दर्शन के साथ ट्रैक का आनंद

Yulla Kanda Trek: इस ट्रैकिंग के दौरान सैलानियों को घने जंगल से गुजरते हुए बर्फ से ढके पहाड़ और चारों ओर हरियाली का प्राकृतिक मनोरम दृश्य का आनंद लेने का मौका भी मिलता है

Sarojini Sriharsha
Published on: 7 July 2024 11:10 AM IST
Yulla Kanda ( Social- Media- Photo)
X

Yulla Kanda ( Social- Media- Photo)

Yulla Kanda Trek: भारत देश के हिमाचल प्रदेश राज्य को देवभूमि के रूप में भी जाना जाता है। हिमाचल के कई जिलों जैसे कांगड़ा, कुल्लू, मंडी आदि में कई देवी-देवताओं के पौराणिक मंदिर हैं। ऐसा ही एक खूबसूरत मंदिर किन्‍नौर जिले के युल्ला कांडा में झील के बीचों-बीच स्थित है जो भगवान श्रीकृष्‍ण को समर्पित है। इसे दुनिया का सबसे ऊंचा कृष्ण मंदिर भी कहा जाता है। झील के बीचों बीच बने इस मंदिर में पर्यटक ट्रेकिंग के जरिये पहुंच सकते हैं।इस ट्रैकिंग के दौरान सैलानियों को घने जंगल से गुजरते हुए बर्फ से ढके पहाड़ और चारों ओर हरियाली का प्राकृतिक मनोरम दृश्य का आनंद लेने का मौका भी मिलता है।


ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने हिमालय में अपने अज्ञातवास के दौरान झील के बीच में किया था। यहां के लोगों का मानना है कि सबसे अधिक ऊंचाई पर बने भगवान श्री कृष्ण के इस मंदिर में टोपी से भक्तों का भाग्य तय होता है। जन्माष्टमी के दौरान इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी की भीड़ उमड़ती है। दरअसल एक मान्यता के अनुसार जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर के साथ बहती झील में अगर कोई व्यक्ति अपने भाग्य के बारे में जानने की उत्सुकता से एक प्रकार की किन्‍नौरी टोपी उल्टी करके डालता है। अगर वह टोपी बिना डूबे इस झील में तैरते हुए दूसरे छोर तक पहुंच जाए तो ऐसा समझा जाता ही कि उस व्यक्ति की मनोकामना पूरी होगी। उसका साल भर जीवन सुखी और आनंदमय बीतेगा। लेकिन अगर टोपी झील में डूब गई तो आने वाला साल उस व्यक्ति लिए मुश्किल भरा हो सकता है। वर्षों से यह भी मान्यता है कि इस झील की परिक्रमा करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं।इसलिए कोई भी श्रद्धालु इस झील की परिक्रमा करना नहीं भूलता।


इस झील के मध्य स्थित इस कृष्ण मंदिर के चारों ओर आप शांति और भक्ति का माहौल महसूस कर सकते हैं। इस मंदिर में श्रद्धा रखने वाले लोगों का मानना है कि इस झील में डुबकी लगाने से शरीर के सारे रोग दुख दूर हो जाते हैं।हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के रोरा घाटी में युल्ला कांडा के 12 किमी लंबे ट्रैक को आध्यात्मिक ट्रैक भी कह सकते हैं । समुद्री तल से करीब 3900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह रोरा कुंड तीर्थस्थल बर्फबारी के कारण कई महीनों तक बंद रहता है। लेकिन उस दौरान पर्वतारोही वहां पहुंच सकते हैं। यहां से किन्नौर पर्वत का मनोरम प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलता है। यह जगह अपने सांस्कृतिक समृद्धि के साथ किन्नौरी सेबों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है।


कैसे पहुंचें ?

हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए कुल्लू-मनाली का भूंतर हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा कुल्लू से 10 किमी और मनाली से 50 किमी की दूरी पर स्थित है। कुल्लू देश के अन्य हिस्सों से सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। बस या टैक्सी के माध्यम से कुल्लू, शिमला या मनाली से युल्ला कांडा पहुंचा जा सकता है।

हिमाचल प्रदेश के शिमला तक आप किसी भी साधन का इस्तेमाल कर देश के अन्य शहरों से आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां से युल्ला कांडा की दूरी तकरीबन 200 किमी है। शिमला से किन्नौर स्थित टापरी तक पहुंचने के बाद तीन किलोमीटर तक पैदल चलकर आप ट्रेकिंग के बेस कैंप तक पहुंच सकते हैं। शिमला से युल्ला की दूरी करीब 7 घंटे में तय की जाती है।


पर्यटकों के लिए युल्ला कांडा ट्रैक और कैंपिंग का समय मई से अक्टूबर तक का अनुकूल रहता है। यहां पहुंचने का लगभग 30 किलोमीटर का सबसे अच्छा रास्ताचंबा से शुरू होता है जो घने जंगलों, घुमावदार रास्तों से होकर बाइक राइडर के शौक को पूरा कर सकता है। इस ट्रैकिंग में लगभग 6-7 घंटे का समय लगता है।दोस्तों या परिवार के सदस्यों के साथ इस जगह का आनंद लेने का एक बार का प्लान बनाया जा सकता है।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)



Shalini Rai

Shalini Rai

Next Story