TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Udupi Food: उडुपी व्यंजन के साथ सैर सपाटा

Udupi Food: 13 वीं शताब्दी में महान दार्शनिक माधवाचार्य ने उडुपी कृष्ण मठ की स्थापना की थी। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की एक आकर्षक मूर्ति है, जो गहने से समृद्ध है और एक सुनहरे रथ पर सवार है

Sarojini Sriharsha
Published on: 7 Sept 2023 3:05 PM IST
Udupi Food
X

Udupi Food (Social Media)

Udupi Food: भारत के कर्नाटक राज्य में मंगलोर से 65 किमी की दूरी पर उडुपी पश्चिमी घाटों और अरब सागर के पहाड़ों के बीच स्थित है। उडुपी अपने श्रीकृष्ण मंदिर के लिए खासकर प्रसिद्ध है। यहीं उडुपी व्यंजन की शुरुआत भी हुई है, जो पूरी दुनिया में मशहूर है। यह जगह सुंदर समुद्र तटों के लिए भी जाना जाता है।

इस शहर का नाम ओडिपु शब्द से पड़ा है । संस्कृत में उडु का अर्थ भगवान और पा का अर्थ सितारे होता है। एक कहावत के अनुसार एक बार चंद्रमा ने हिंदू ज्योतिष के 27 सितारों से शादी कर अपनी चमक खो दिया, फिर भगवान शिव के पास जाकर उपाय मांगा । उसके बाद चंद्रमा और सितारों ने एक शिव लिंग बनाकर उसकी पूजा की और खोया हुआ चमक वापस लाने की कोशिश की ।

13 वीं शताब्दी में महान दार्शनिक माधवाचार्य ने उडुपी कृष्ण मठ की स्थापना की थी। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की एक आकर्षक मूर्ति है, जो गहने से समृद्ध है और एक सुनहरे रथ पर सवार है। पूरे भारत के तीर्थयात्रियों को अपनी ओर यह मंदिर आकर्षित करता है। प्रसिद्ध हिंदू संत चैतन्य, पुरंदरादास और कनकदास ने भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए इस मंदिर का दौरा किया था ।

तुलु यहां पर बोली जाने वाली मुख्य भाषा है। होली, रामनवमी, रथसप्तमी, कृष्ण जन्माष्टमी, दशहरा और दिवाली त्योहार खासकर यहां मनाए जाते हैं। उडुपी में घूमने लायक कई जगहें हैं । जिनमें प्रमुख हैं

श्रीकृष्ण मंदिर

इस मंदिर की स्थापना 13 वीं शताब्दी में वैष्णव संत श्री माधवाचार्य ने की थी। इस मंदिर में समृद्ध गहने से सजी भगवान श्रीकृष्ण की एक आकर्षक मूर्ति सुनहरे रथ पर सवार है। इस मंदिर में भगवान के दर्शन एक अनूठे तरीका से किया जाता है। यहां दर्शन मंदिर के अंदर 9 छेद वाली खिड़की जिसे नवग्रह क्राकिकी कहा जाता है से की जाती है। इस मंदिर के निकट 2000 वर्ष पुराने चंदमौलेश्वर और अनंतेश्वर मंदिर भी पर्यटकों के खास आकर्षण के केंद्र हैं।

सेंट मैरी द्वीप

उडुपी के पास माल्पे बीच के उत्तर में सेंट मैरी द्वीप छोटे खूबसूरत द्वीपों का एक समूह है। उडुपी रेलवे स्टेशन से 15 किमी की दूरी पर स्थित इस द्वीप में दो खूबसूरत समुद्र तट हैं । यह द्वीप क्रिस्टलीकृत बेसाल्ट रॉक से बना है। ऐसा कहा जाता है कि भारत के कालीकट के नजदीक पहुंचने से पहले वास्को डी गामा इस द्वीप पर पहुंचे थे। इस द्वीप पर सफेद रेत, नारियल के पेड़, नीले पानी और खूबसूरत माहौल पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाती है। यह एक निर्वासित द्वीप है और यहां रात भर रहने की कोई सुविधा नहीं है।

अनगुद्दी विनायक मंदिर

यह मंदिर उडुपी से 25 किमी की दूरी उडुपी और करवार के बीच कुंभशी में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह ऋषि परशुराम द्वारा बनाया गया है। तुलाभाराम परंपरा के अंतर्गत भक्त , व्यक्ति के वजन जितना पदार्थ भगवान को दान करते हैं । इस मंदिर में गणेश चतुर्थी का पर्व खास तौर पर मनाया जाता है जहां भारी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जाती है।

मालपे बीच

यह बीच उडुपी रेलवे स्टेशन से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। कर्नाटक के महत्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक मालपे बीच है। सफेद रेत और नीले पानी वाले समंदर का लुत्फ लेने पर्यटक भारी तादाद में यहां आते हैं। यहां घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से जनवरी है। सेंट मैरी द्वीप से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

कॉप बीच

यह तट उडुपी और मैंगलोर के बीच एनएच 17 के नजदीक स्थित है। प्राकृतिक सुंदरता और शांत जगह होने के कारण लोगों को काफी पसंद आता है। ब्रिटिश द्वारा बनाया गया 100 फीट की ऊंचाई वाला लाइट हाउस फोटोग्राफी के लिए स्वर्ग जैसा आनंद देता है। एक प्राचीन किला भी है जो अब खंडहर में देखा जाता है। किसी समय यह एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल था।

बरकुर

किसी जमाने में यह ऐतिहासिक स्थल तुलु साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। यह उडुपी से 19 किमी की दूरी पर स्थित है। प्राचीन काल में बरकुर में 365 मंदिर हुआ करता था और अब कुछ के अवशेष खंडहर के रूप में देखे जा सकते हैं। पंचलिंगेश्वर मंदिर यहां का एक प्रमुख पूजा स्थल है।

चतरमुखा बसदी

जैन समुदाय का यह प्रमुख स्थल उडुपी से 37 किमी और मंगलौर से 50 किमी की दूरी पर एक पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर में प्रमुख देवता चंद्रनाथ हैं। इस मंदिर का नाम चार मंदिरों में चार दरवाजे के कारण पड़ा। इस मंदिर का निर्माण पूरी तरह से पत्थर से किया गया है और इसमें कुल 108 स्तंभ हैं। 1432 में शुरू हुए इस मंदिर निर्माण का कार्य बैरारवा परिवार के राजा वीर पांड्य देव ने किया था और 1586 में यह कार्य पूरा हुआ था।

गोमथेश्वर प्रतिमा

उडुपी से 37 किमी की दूरी पर एक पहाड़ी चट्टान पर बनी गोमेथेश्वर प्रतिमा है जिसे भगवान बहुबली के नाम से भी जाना जाता है। एकल पत्थर से बनी 42 फुट की यह प्रतिमा कर्नाटक में श्रावणबेलगोला के बाद दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति है। राजा वीरा पांड्य देव ने अपने सम्मान में इस मोनोलिथिक मूर्ति का निर्माण करवाया था और मूर्ति के सामने 1436 ब्रह्मदेव स्तंभ स्थापित किया था।

हर 12 वर्षों में जैन समुदाय के महा मस्थाकाबिशीखे त्योहार के दौरान केसर के लेप , दूध और पानी के साथ मूर्ति को स्नान कराया जाता है। उडुपी का यह स्थल जैन समुदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है।

सेंट लॉरेंस चर्च

यह चर्च उडुपी से 34 किमी और मंगलोर से 52 किमी की दूरी पर अटूर में स्थित है। इसे 1845 में बनाया गया । यह चर्च इस इलाके के सभी पर्यटकों के बीच में बहुत लोकप्रिय है। खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों और हरियाली के बीच स्थित यह चर्च अपने चमत्कारी इतिहास के लिए जाना जाता है। जनवरी में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार अटूर फेस्टिवल में चर्च में हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

कुडलू थेरथा झरना

यह झरना उडुपी से 47 किमी और हेबरी से 17 किमी की दूरी पर पश्चिमी घाटों के गहरे जंगलों में स्थित है। इस झरना को सीता फॉल्स के नाम से भी जाना जाता है। इस झरने का पानी 150 फीट की ऊंचाई से एक बड़े तालाब में गिरता है, जिसमें तैरना संभव है। इस झरने के ऊपर एक और झरना है जिसे मंगा थेरथ के नाम से जानते हैं । इस झरने तक पहुंचने के लिए कोई सीधा रास्ता नहीं है। यहां तक पहुंचने के लिए, सबसे पहले हेब्ररी जाना है, जो उडुपी से 30 किलोमीटर दूर है और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। उडुपी का यह एक मशहूर ट्रेकिंग स्थल है।

जोगी गुंडी झरना

उडुपी से 47 किमी की दूरी पर जोगी गुंडी झरना स्थित है। 20 फीट की ऊंचाई इस झरने का पानी एक विशाल तालाब में गिरता है। अपने आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य के कारण यह जगह पर्यटकों का पसंदीदा माना जाता है। इस झरने का नाम संत जोगी से मिला है जो इस जगह पर ध्यान लगाते थे।

कैसे पहुंचें ?

यहां का निकटतम हवाई अड्डा मंगलोर है, जो उडुपी से 62 किमी दूर है। वहीं रेल मार्ग से उडुपी देश के कई बड़े रेलवे स्टेशन से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां पहुंच कर सड़क मार्ग से बस या टैक्सी के माध्यम से उडुपी पहुंच सकते हैं।उडुपी जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का है।



\
Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

Next Story