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Sandipani Ashram Ujjain: उज्जैन के 5000 साल पुराने आश्रम में श्रीकृष्ण ने सीखी थी 64 विद्याएं
Sandipani Ashram Ujjain: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में सांदीपनी आश्रम मौजूद है, जो भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
Sandipani Ashram Ujjain : बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में सांदीपनि आश्रम मौजूद है, जिसे श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में पहचाना जाता है। कहां जाता है कि यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने अपने बड़े भाई बलराम और मिश्र सुदामा के साथ शिक्षा प्राप्त की थी। वह यहां पर महर्षि सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण करने आए थे। इस आश्रम में आज भी भगवान श्री कृष्ण की कुछ चीज मौजूद है जो उनके यहां आने और होने का आभास कराती है। चलिए इस आश्रम के बारे में जानते हैं।
यहां भगवान को मिली थी 64 विद्याएं (Shri Krishna School History)
उज्जैन को बाबा महाकाल की नगरी के नाम से पहचाना जाता है लेकिन यहां पर कहीं सारे धार्मिक स्थल मौजूद है जो विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। उन्ही में से एक भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम है जहां पर उन्होंने क, ख, ग से लेकर 64 विद्याओं को हासिल किया था।
महाभारत काल में था प्रसिद्ध (Famous During Mahabharata Kaal)
अपने धार्मिक स्थान के साथ महाभारत काल के समय उज्जैन शिक्षा स्थल के रूप में पहचाना जाता था। भगवान श्री कृष्णा बलराम और सुदामा ने गुरु सांदीपनि से आश्रम में शिक्षा हासिल की थी। उन्होंने यहां रहकर ही विद्या अध्ययन किया था।
कहां है आश्रम
गुरु सांदीपनि का यह आश्रम उज्जैन में मंगलनाथ रोड पर मौजूद है। आश्रम के आसपास के इलाके को अंकपात के नाम से पहचाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने इस जगह का उपयोग अपनी लेखनी धोने के लिए किया था।
5 हजार साल पुराना आश्रम (5 Thousand Years Old Sandipani Ashram)
पहले ये आश्रम घास फूस से बना हुआ था लेकिन इसके अस्तित्व को जिंदा रखने के लिए उसे पक्का बना दिया गया। यहां के पुजारी के मुताबिक ये जगह 5266 साल पुरानी है।
यहां है श्री कृष्ण की प्रतिमा (Shri Krishna Sandipani Ashram)
इस आश्रम में भगवान श्री कृष्ण, बलराम और सुदामा की प्रतिमा भी बनी हुई है। जिसमें यह तीनों बैठकर स्लेट पर लिखते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्णा जब यहां पढ़ने आए थे तब उनकी उम्र 11 साल की थी। यहां पर उन्होंने 64 विद्याएं और 16 कलाओं को हासिल किया था। अपने मामा कंस का वध करने के बाद 64 दिनों तक उन्होंने उज्जैन में रहकर शिक्षा हासिल की थी।