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Ujjain Mahakal History: हजारों साल पुराना है उज्जैन का इतिहास, इन स्थानों का जरूर करें दीदार

Ujjain Mahakal History: उज्जैन मध्य प्रदेश का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो देश नहीं बल्कि विदेशों तक पहचान रखता है। चलिए आज महाकाल नगरी के बारे में जानते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 28 Feb 2024 8:07 PM IST
Ujjain Mahakal History
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Ujjain Mahakal History ( Photos - Social Media)

Ujjain Mahakal History : उज्जैन मध्य प्रदेश में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ नगरी है, जिसे बाबा महाकाल की नगरी के नाम से पहचाना जाता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकाल का दरबार होने के साथ यहां पर कई सारे धार्मिक तीर्थ स्थल है। जहां दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। आज हम आपको उज्जैन के इतिहास और यहां के धार्मिक स्थलों से रूबरू करवाते हैं।

उज्जैन का इतिहास

उज्जैन प्राचीन और ऐतिहासिक शहर है जो 5000 साल पुराना है। यह आदि ब्रह्म पुराण में सबसे अच्छा शहर के रूप में वर्णित है और इसे अग्निपुराण और गरुड़ पुराण में मोक्षदा और भक्ति-मुक्ति कहा जाता है। एक समय था जब यह शहर एक बड़े साम्राज्य की राजधानी रहा था। इस शहर का एक शानदार इतिहास रहा है। धार्मिक पुस्तकों के अनुसार इस शहर ने विनाश के देवता के लिए विनाश को कभी नहीं देखा है, महाकाल स्वयं यहां निवास करते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार सात शहर जो मोक्ष प्रदान कर सकते हैं और उनमें से अवंतिका शहर सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि उज्जैन का महत्व अन्य शहरों की तुलना में थोड़ा अधिक है।विक्रमादित्य 57 ईसा पूर्व - 19 ईस्वी जिसे विक्रमसन के नाम से भी जाना जाता है, वे उज्जैन के पहले राजा थे। उनके साम्राज्य कि राजधानी उज्जैन ही थी।

उज्जैन महाकाल


उज्जैन से जुड़ी कहानी

राक्षस के अत्याचारों से पीड़ित होकर प्रजा ने भगवान शिव का आह्वान किया, तब उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और राक्षस का वध किया। कहते हैं प्रजा की भक्ति और उनके अनुरोध को देखते हुए भगवान शिव हमेशा के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में उज्जैन में विराजमान हो गए।

उज्जैन का नाम

आज जो नगर उज्जैन नाम से जाना जाता है वह अतीत में अवंतिका, उज्जयिनी, विशाला, प्रतिकल्पा, कुमुदवती, स्वर्णशृंगा, अमरावती आदि अनेक नामों से पहचाना जाता रहा। पौराणिक मान्यता के अनुसार प्राचीनकाल में ब्रह्मा से वरदान प्राप्त त्रिपुर नामक असुर जब देवताओं को परेशान करने लगा तब सभी देवताओं ने शिवजी के कहने पर रक्तदन्तिका चण्डिका देवी की अराधना की। देवी ने प्रसन्न होकर महादेव को महापाशुपतास्त्र दिया। इस अस्त्र के महादेव ने मायावी त्रिपुर को तीन खण्डों में काट दिया। इस प्रकार त्रिपुर को उज्जिन किया गया। उज्जिन अर्थात पराजित किया गया। इस प्रकार इस स्थान का नाम उज्जयिनी पड़ा।

उज्जैन महाकाल


महाकाल मंदिर का इतिहास

आज का यह महाकाल मंदिर लगभग 150 वर्ष पूर्व राणोजी सिंधिया के मुनीम रामचंद्र बाबा शेण बी ने निर्मित करवाया था। महाकाल मंदिर का निर्माण राणोजी शिंदे ने करवाया था। 18वीं सदी के चौथे-पांचवें दशक में राणौजी के दीवान सुखटंकर रामचंद्र बाबा शैणवी ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, यह मंदिर द्वापर युग में बना था. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण छठी शताब्दी ईस्वी में उज्जैन के पूर्व राजा चंदप्रद्योत के पुत्र कुमारसेन ने करवाया था। 12वीं शताब्दी ईस्वी में राजा उदयादित्य और राजा नरवर्मन के अधीन इसका पुनर्निर्माण किया गया था। पुराणों के मुताबिक, महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी। प्राचीन काव्य ग्रंथों में भी महाकाल मंदिर का जिक्र किया गया है। महाकाल मंदिर की नींव और चबूतरा पत्थरों से बना था और मंदिर लकड़ी के खंभों पर टिका था।

बाबा महाकाल


भव्य है महाकाल लोक

900 मीटर से अधिक लंबा महाकाल लोक कॉरिडोर पुरानी रुद्र सागर झील के चारों और फैला हुआ है। उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के आसपास के क्षेत्र का पुनर्विकास करने की परियोजना के तहत रुद्र सागर झील को पुनर्जीवित किया गया है। महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना 856 करोड़ रुपये की है और राज्य की राजधानी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित है। महाकाल मंदिर के नवनिर्मित कॉरिडोर को 108 स्तंभों पर बनाया गया है, 910 मीटर का ये पूरा महाकाल मंदिर इन स्तंभों पर टिका होगा। इन स्तंभों पर शिव के आनंद तांडव स्वरूप को उकेरा गया है। महाकाल पथ के साथ भगवान शिव के जीवन से जुड़े वृतांत बताने वाली कई मूर्तियां लगाई गई हैं। यह कॉरिडोर सुंदर लाइटिंग और मूर्तियाें से सजा हुआ है।

बाबा महाकाल


महाकाल दर्शन टिकट

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भक्तों को रोज सुबह 6 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक 750 और 1500 रुपए के टिकट पर गर्भगृह से भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। दर्शनार्थी बड़ा गणेश मंदिर के समीप प्रोटोकॉल कार्यालय पर बने काउंटर से टिकट खरीद सकते हैं।

आसपास के पर्यटक स्थल

हरसिद्धि मंदिर

रुद्र सागर झील के समीप स्थित यह मंदिर भी उज्जैन का प्रमुख मंदिर है। कहा जाता है कि दो राक्षसों का वध करने के लिए देवी पार्वती ने हरसिद्धी माता का रूप धारण किया था। उन्हीं को समर्पित है यह अद्भुत मंदिर। मंदिर में दो स्तंभ है जिन्हें हर शाम जलाकर मंदिर को जगमगाया जाता है। भव्य मंदिर के बीच में हरसिद्धी माता की गहरे केसरिया रंग की मूर्ति है जिसके पास में लक्ष्मी व माँ सरस्वती की प्रतीमा भी स्थित है। इस मंदिर का निर्माण मराठा काल के दौरान हुआ था।

हरसिद्धि मंदिर


बड़े गणेशजी

इस मंदिर में स्थापित गणेशजी की प्रतिमा का आकार भव्य है। सुबह और शाम की आरती आपको भक्ति-भाव में लीन कर देगी। यहां आकर आप संस्कृत व ज्योतिष विद्या को सीख कर अपने ज्ञान में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। गणेशजी की मूर्ति की सुंदरता देखते ही बनती है।

बड़े गणेशजी


भर्तहरी गुफा

उज्जैन के पर्यटक स्थलों में शुमार ये गुफा शिप्रा नदी के तट पर, गढ़कलिका मंदिर के पास स्थित है। इस जगह राजा विक्रमादित्य के भाई ने अपनी आरामदायक ज़िंदगी सांसारिक सुख-दुख, रिश्ते-नाते का मोह त्याग करके कई सालों तक ध्यान किया था। उनके कड़े ध्यान के बाद इस गुफा को उन्हीं का नाम-भर्तहरी दिया गया।

भर्तहरी गुफा


काल भैरव

यह मंदिर हिंदू धर्म में तांत्रिक पंथ से जुड़ा हुआ माना जाता है, इसलिए आपको यहां कई साधु दिखेंगे जो अपनी तांत्रिक साधना करने के लिए यहां आते हैं। नंदी बैल के सामने बरगद के पेड़ के नीचे एक शिवलिंग है। यहां बना काल भैरव मदिरा का पान करते हैं।

भर्तहरी गुफा




Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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