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Gopinath Mandir Uttarakhand: उत्तराखंड में है भगवान शिव का अनोखा मंदिर, यहां गोपेश्वर के रूप में होती है भोले की पूजा
Gopinath Mandir Uttarakhand: उत्तराखंड के चमोली जनपद के गोपेश्वर में भगवान शिव का गोपीनाथ मंदिर है। मंदिर में भगवान शिव का त्रिशूल है। मान्यता है कि त्रिशूल में इतनी शक्ति है कि कोई इसे हिला नहीं सकता है।
Gopinath Mandir Uttarakhand : उत्तराखंड देश का एक बहुत ही खूबसूरत और प्रमुख राज्य है। यहां पर घूमने के लिए कई सारे पर्यटक स्थल मौजूद है और यह विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। हर साल देश विदेशी पर्यटक यहां पर घूमने के लिए पहुंचते हैं। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता काफी कमल की है लेकिन यह जगह सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए नहीं बल्कि पवित्र प्रसिद्ध मंदिरों के लिए भी पहचाना जाता है। यहां कई सारे धार्मिक स्थल मौजूद है यही कारण है किस देवभूमि के नाम से पहचाना जाता है। उत्तराखंड में केदारनाथ, बद्रीनाथ, तुंगनाथ जैसे चर्चित मंदिर है जहां हर कोई जाना चाहता है। लेकिन यहां के गोपीनाथ मंदिर के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। यहां पर शिव की पूजा गोपी के रूप में होती है। चलिए आज हम आपको इस मंदिर के बारे में बताते हैं।
कहां है मंदिर गोपीनाथ मंदिर (Where Is The Temple Gopinath Temple)
गोपीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में है। यह शिव मंदिर गोपेश्वर में है। यह जगह बदरीनाथ धाम और केदारनाथ धाम की पैदल मार्ग का केंद्र बिंदु है। इस मंदिर का संरक्षण पुरातत्व विभाग करता है। इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है। मंदिर कला हिमाद्री शैली में है। इस मंदिर में ऐसे अभिलेख मौजूद हैं जिससे नेपाली शासकों का भी संबंध है। मंदिर में नेपाल के राजा अनेकमल से जुड़े अभिलेख भी हैं। पंचकेदारों के बाद इस मंदिर का बेहद धार्मिक महत्व है और यह काफी प्रसिद्ध है।
गोपीनाथ मंदिर कि पौराणिक मान्यता (Mythological Belief Of Gopinath Temple)
पौराणिक मान्यता है कि जब कामदेव ने भगवान शिव के ध्यान को भंग करने की कोशिश की थी तो शिव ने उन्हें मारने के लिए जो त्रिशूल फेंका था वह यहां है। यह त्रिशूल इसी स्थान पर स्थापित हो गया था। ऐसी भी लोक मान्यता और पौराणिक मान्यता है कि जब शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था तो उनकी पत्नी रति ने गोपेश्वर में तपस्या की थी।
यहां है भोलेनाथ का त्रिशूल (Here is Bholenath's Trident)
मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर में परशुराम व भैरव जी की प्रतिमा भी मौजूद है। मंदिर के कुछ दूरी पर वैतरणी नामक कुंड है। मंदिर के आंगन में शक्ति त्रिशूल भी है, जिस पर फरसा भी मौजूद है। इस त्रिशूल को यदि तर्जनी उंगली से छुआ जाए तो त्रिशूल पर कंपन्न होने लग जाता है।