×

Sambhal History: यूपी के संभल में होगा भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि का जन्म, जानें यहां का इतिहास

Interesting Story Of Sambhal: उत्तर प्रदेश के संभल जिले को अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए पहचाना जाता है। चलिए आज हम आपको यहां के कुछ प्रसिद्ध स्थान के बारे में बताते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 1 Sept 2024 8:30 AM IST (Updated on: 1 Sept 2024 8:30 AM IST)
Interesting Story Of Sambhal
X

Interesting Story Of Sambhal (Photos - Social Media) 

Interesting Story Of Sambhal : उत्तर प्रदेश का संभल जिला अपने ऐतिहासिक महत्व की वजह से पहचाना जाता है। राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हस्तशिल्प उत्पादों के मामले में प्रतिष्ठित यह जगह लोगों के बीच काफी ज्यादा प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर कई सारे ऐतिहासिक स्थान मौजूद है। पुराणों के अनुसार मान्यता है कि कलयुग में भगवान विष्णु का दसवां अवतार श्री कल्कि भगवान के रूप में संभल में होगा, इस मान्यता के चलते 1 हजार वर्ष पूर्व यहां एक मंदिर की स्थापना की गई थी। मंदिर के महंत का दावा है कि देश में कल्कि भगवान का संभल में ये एकमात्र मंदिर है। 19 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां मंदिर का शिलान्यास भी किया है। संभल के एंकरा कंबोह इलाके में यह मंदिर बनने जा रहा है। यह भव्य मंदिर कल्कि भगवान को समर्पित होगा। कल्कि भगवान को कलयुग का भगवान कहा जाता है।

कैसा होगा कल्कि अवतार (How Will Kalki Avatar Be?)

कल्कि पुराण के अनुसार, भगवान कल्कि का वाहन घोड़ा होगा और उनके अस्त्र तीर कमान होंगे। उनके घोड़े का नाम देवदत्त होगा। जो कि सफेद रंग का होगा। भगवान विष्णु का 10वां अवतार कल्कि 64 कलाओं से युक्त होगा। इनके गुरु परशुराम होंगे और इनके निर्देश पर ही कल्कि भगवान शिवजी की तपस्या करेंगे। भगवान शिव की तपस्या कर वह दिव्य शक्तियां हासिल करेंगे।

Interesting Story Of Sambhal


कल्कि अवतार का उद्देश्य (Purpose of Kalki Avatar)

ऐसी मान्यता है कि कल्कि अवतार के बाद कलयुग का अंत हो जाएगा। कल्कि पुराण के अनुसार, अधर्म को खत्म करने और सतयुग के पुनरुत्थान के लिए भगवान विष्णु का यह अवतार होना है। कल्कि अवतार को मान्यता यह भी है कि भगवान विष्णु धरती पर पापियों का नाश करेंगे और धर्म को मानने वाले लोगों की रक्षा करेंगे।

संभल के पहले ये थे नाम (These Were The Names Before Sambhal)

जो लोक मान्यताएं चली आ रही है उसके मुताबिक सतयुग में इस जगह का नाम सत्यव्रत था त्रेता में महदगिरी द्वापर में पिंगला और कलयुग में इसका नाम संभल पड़ा। संभल में बनने वाले हस्तशिल्प उत्पाद राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाने जाते हैं। यहां निर्मित किए जाने वाले होरन बन उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार तक निर्यात भी होते हैं।

Interesting Story Of Sambhal


संभल से क्या है कल्कि भगवान का नाता (What is The Relation of Lord Kalki With Sambhal?)

पुराणों में वर्णन मिलता है कि कल्कि भगवान का जन्म विष्णुयशा नाम के तपस्वी ब्राह्म्ण के यहां पुत्र रूप में होगा। वर्तमान समय में यह स्थान उत्तर प्रदेश के संभल गांव में है। माना जाता है कि वह मात्र 3 दिन में कलयुग के अधर्मियों का विनाश कर पुनः सतयुग की स्थापना करेंगे। भविष्य पुराण के अनुसार जब कलयुग का अंत होगा तब पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी और आकाश में 12 सूर्य उदय होकर प्रकाशित होंगे।

हस्पशिल्प के लिए मशहूर है संभल (Sambhal Is Famous For Handicrafts)

वास्तव में संभाल के कारीगरों ने जो बेहतरीन सजावटी सामान बनाए हैं उसके लिए इसे वैश्विक स्तर पर पहचाना जाता है। संभल में हस्तशिल्पियों की बनाई गई शानदार ज्वेलरी को सात समंदर पार के लोग भी पसंद करते हैं। के दाम काफी कम होते हैं और यह देखने में आकर्षक होती है। संभल की हड्डी सिंह के डेकोरेशन से बनने वाले तमाम ज्वेलरी बहुत प्रसिद्ध है। चलिए आज हम आपके यहां के कुछ समृद्धि इतिहास से भरी हुई जगह के बारे में बताते हैं।

Interesting Story Of Sambhal


पुराना किला संभल (Old Fort Sambhal)

मुगल बादशाह शाहजहां के दौर से संभल से 7 किलोमीटर दूर 1650 से 1655 के बीच सोत नदी के किनारे सैय्यद फिरोज ने किला बनवाया था। शाहजहां के शासनकाल में संभल क्षेत्र के गवर्नर दक्षिणी के फौजी हुआ करते थे। इस जगह को पुराना किला के नाम से पहचाना जाता है। यह एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारक है।

तोता मैना कब्र संभल (Parrot Myna Grave Sabhaal)

संभल से 3 किलोमीटर दूर एक कब्र मौजूद है। इसे तोता मैना की मोहब्बत की निशानी के तौर पर बनाया गया था। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। इस कब्र पर एक इमारत लिखी हुई है इसमें एक तरफ आयतल कुर्सी लिखी है एक तरफ दुआ और एक तरफ कब्र बनने का समय हिजरी 939 लिखा हुआ है।

Interesting Story Of Sambhal


जामा मस्जिद संभल (Jama Masjid Sambhal)

जामा मस्जिद यहां के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है। यह वास्तु कला का अद्भुत नमूना है और एक दर्शनीय स्थल है। ये स्मारक पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र।



Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

Next Story