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Uttarakhand Famous Temple: उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर जहां आंख बंद करके जाते है पंडित, ये है मंदिर की कहानी

Latu Devta Mandir Details: उत्तराखंड की जमीन पर कई देवर देवताओं के निवास का प्रमाण हमें पुराणों में जानने को मिलती है। चलिए जानते है, उत्तराखंड के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 15 May 2024 11:15 AM IST (Updated on: 15 May 2024 11:16 AM IST)
Uttarakhand Famous Mandir, latu Devta Mandir
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Uttrakhand Famous Temple (Pic Credit -Social Media)

Latu Devta Mandir Details Information: उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल में एक अनोखा मन्दिर स्थित है। यहां पर पुजारी और भक्त सभी मंदिर में प्रवेश करने से पहले अपन आंखों को बंद कर उसपर पट्टी बांध लेते है। ऐसे ही वे मंदिर के देवता की पूजा अर्चना करते है। यहां पर मंदिर में स्थापित मूर्ति के दर्शन करने का रिवाज नहीं है। सिर्फ पुजारी और ब्राह्मण ही अंदर जाकर दर्शन करते है, पूजा अर्चना करते है। यहां पर मंदिर का कपाट साल भर में एक बार खुलकर उसी दिन बंद हो जाते है। इस मंदिर की मान्यता आज भी हर किसी को आश्चर्यचकित करते है।

मंदिर का नाम: लाटू देवता मंदिर

पता - देवाल, चमोली, उत्तराखंड

लाटू देवता मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में देवाल ब्लॉक के वाण गांव में है।



मंदिर से जुड़ी खास मान्यता

लाटू देवता मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह छोटा सा प्राचीन मंदिर बाण नामक गांव में है। यह स्थान लाटू देवता को समर्पित है, जिन्हें उत्तराखंड की अधिष्ठात्री देवी नंदा देवी का भाई माना जाता है। श्री नंदा देवी की पवित्र शोभा यात्रा हर 12 साल में मनाई जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, लाटू देवता हेमकुंड तक इस यात्रा में नंदा देवी का स्वागत करते हैं और उनके साथ रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि सांपों के राजा अपने सबसे मूल्यवान रत्न, जिसे 'मणि' के नाम से जाना जाता है, के साथ यहां रहते हैं। भक्तों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है। वे मंदिर के दरवाजे से 75 फीट की दूरी पर अपना प्रसाद दे सकते हैं। उत्तराखंड के देवाल में स्थित लाटू देवता मंदिर में आज भी पुजारी आंख और मुंह पर पट्टी बांधकर भगवान की पूजा-अर्चना करने मंदिर के अंदर जाते हैं।



मंदिर के देवता को पूजने के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

यह मंदिर समुद्र तल से 8500 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ों में स्थित है। ऊंचे पहाड़ों पर बड़े- बड़े देवदार वृक्ष के नीचे एक छोटा सा मंदिर है। लाटू देवता वाण गांव से हेमकुंड तक नंदा देवी का स्वागत करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के अंदर साक्षात रूप में नागराज मणि के साथ निवास करते हैं। श्रद्धालु साक्षात नाग और मणि को देखेंगे तो डर सकते है। मणि की रोशनी से लोगों की आखें खराब हो सकती है। इसलिए मुंह और आंख पर पट्टी बांधी जाती है। यह भी कहा जाता है कि पुजारी के मुंह की गंध देवता तक पहुंचकर उन्हें नाराज कर सकती है, इसलिए पुजारी के मुंह पर पूजा अर्चना के दौरान भी पट्टी बंधी रहती है। लाटू देवता मंदिर में मूर्ति के दर्शन नहीं किए जाते हैं। सिर्फ पुजारी ही मंदिर के भीतर पूजा-अर्चना के लिए जाता है।



मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

लाटू देवता से जुड़ी एक पौराणिक कथा है कि, जब देवी पार्वती के साथ भगवान शिव का विवाह हो रहा था तो, पार्वती जिसे नंदा देवी नाम से भी जाना जाता है। को विदा करने के लिए माता के सभी भाई कैलाश की ओर चल पड़े थे। उनके चचेरे भाई लाटू भी उसमें शामिल थे। मार्ग में लाटू को इतनी प्यास लगी कि, पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगे थे। तब लाटू को एक घर मिला वह पानी की तलाश में घर के अंदर चले गए। घर का मालिक बहुत बुजुर्ग था। बुजुर्ग ने लाटू से कहा कि कोने में मटका है उसमें से पानी पी लो। लाटू ने पानी समझकर गलती से मदिरा पी लिया। कुछ देर बाद मदिरा के नशे में वे उत्पात मचाने लगते हैं। जिसे देखकर देवी पार्वती क्रोधित हो जाती हैं और लाटू को कैद कर देती हैं। तब से माता के आदेशानुसार लाटू को हमेशा कैद में ही रखा जाता है। कहा जाता है कि कैदखाने में लाटू देवता एक विशाल सांप के रूप में विराजमान हैं।



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Yachana Jaiswal

Yachana Jaiswal

Content Writer

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