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Uttarakhand Ka Famous Mandir: उत्तराखंड के इस मंदिर में होती है सभी मान्यता पूरी

Uttarakhand Ka Famous Mandir: उत्तराखंड में देवी देवताओं के साथ, ऋषि मुनियों के साधना और समर्पण की भूमि है। यहां पर ऋषि मुनियों के मंदिर व उनके आश्रम से जुड़ी कई कहानियां व आश्रम है।

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 31 May 2024 7:38 AM GMT
Mata Ansuya Mandir, Uttrakhand Famous Temple
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Mata Ansuya Mandir In Uttarakhand (Pic Credit-Social Media)

Uttarakhand Ka Famous Mandir: हिंदू देवी-देवताओं से महत्वपूर्ण लगाव और हिंदू धर्म से संबंधित बड़े पैमाने पर धार्मिक प्रथाओं के कारण उत्तराखंड राज्य को 'देवभूमि' का नाम दिया गया है। चमोली जिले के प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों में से एक अनुसूया देवी मंदिर है, जो देवी सती को समर्पित है। वह अत्रि मुनि की पत्नी थीं, जो एक महान ऋषि और सप्त ऋषियों में से एक थे, ऐसा कहा जाता है कि देवी अनुसूया अपने पति के लिए पूरी तरह समर्पित थीं। जिनकी परीक्षा खुद त्रिदेव की पत्नियों ने ली थी। जिसमे माता अनसूया सफल रहकर अपने अटूट प्रेम को प्रमाणित करने में सफल रही।

माता अनसूया देवी मंदिर(Mata Ansuya Devi Mandir)

सती शिरोमणी माता अनसूया देवी मंदिर मण्डल घाटी में स्थित है। मंदिर तक आपको चलकर जाना पड़ता है। मान्यता है कि जिन दम्पती के संतान प्राप्ति नहीं होती यहाँ दर्शन मात्र और रात्रि स्वप्न में माता दर्शन देकर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती है।



ट्रैकिंग के बाद मिलता है माता का दर्शन(Trekking Details)

अनसूया माता मंदिर महान ऋषि अत्रि मुनि की पत्नी सती अनसूया का एक प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर है। अनसूया मंदिर गोपेश्वर, चमोली में समुद्र तल से 2175 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस प्रसिद्ध मंदिर तक पहुँचने के लिए ट्रेक मंडल से शुरू होता है और ट्रेक की लंबाई लगभग 4 किमी है। यह एक आसान ट्रेक है जो ओक प्रजाति के घने जंगल से होकर जाता है।

मंदिर जाने का सही समय(Best Time to Visit Temple)

अनसूया माता मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय: मई से जून और सितम्बर-नवंबर तक का समय सबसे बेस्ट है। तब न ज्यादा गर्मी रहती है न ज्यादा ठंडी, वही बारिश के समय में फिसलन भरे रास्तों का सामना करना पड़ सकता है। जिसके लिए सही समय पता करके जाना जरूरी है



अनसूया देवी मंदिर स्थित: मंडल, गोपेश्वर, चमोली, उत्तराखंड भारत।

मन्दिर की मान्यता इसलिए है प्रसिद्ध

माँ अनुसूया देवी मंदिर बहुत ही आकर्षक और सुन्दर है। मंदिर से पहले मंदिर के रास्ते में एक छोटे से मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा है तथा मंदिर प्रांगण में शिव, पार्वती और माँ अनुसूया के पुत्र दत्तात्रेय की त्रिमुखी मूर्ति भी है। इस मंदिर में वे दम्पति आते हैं जो संतान सुख से वंचित हैं तथा संतान प्राप्ति की मन्नत लेकर आते हैं।

मंदिर के निकट कई धार्मिक स्थान

यहाँ जाने के लिए आपको 5 किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता पार करना पड़ता है। यहाँ 4 किलोमीटर पर आपको प्राचीन शिलालेख मिलते है जोकि छठी शताब्दी के लेख है। यहाँ ऊपर पहुँचने पर आपको बर्फ के पहाड़ भी देखने को मिलते है। माता के मंदिर से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर अत्त्रय मुनि का आश्रम है। यहाँ से 14 किलोमीटर की दूरी पर रुद्रनाथ मंदिर है।

मन्दिर से जुड़ी पौराणिक कथा

मान्यता के अनुसार, मां अनुसूया देवहूति और प्रजापति कदर्म की नौ पुत्रियों में से एक थीं। माता अनुसूया अत्रि मुनि की पत्नी थीं, ऐसा माना जाता है कि अनुसूया की पति-भक्ति और सतीत्व इतना महान था कि, जब भी कोई देव आकाश से गुजरता था, तो उसे मां अनुसूया का तेज महसूस होता था। यह देखकर त्रिदेव की पत्नी के मन में ईर्ष्या की भावना पैदा होती थी। ऐसा माना जाता है कि सतीत्व की शक्ति को देखने के लिए देवी पार्वती, लक्ष्मीजी और सरस्वती ने अपने पति ब्रह्मा, विष्णु और महेश को देवी अनुसूया की शक्ति की परीक्षा लेने के लिए भेजा था। जब वे आश्रम पहुंचे तो देवी अनुसूया ने उन्हें भोजन कराया। लेकिन उन्होंने भोजन नहीं लिया और उनके सामने एक शर्त रख दी। कि वे एक ही शर्त पर भोजन स्वीकार करेंगे जब वह बिना वस्त्र पहने भोजन परोसेंगी। यह सुनकर देवी अनुसूया चिंतित हो गईं कि वह ऐसा कैसे कर सकती हैं। अंत में देवी ने अपनी आंखें बंद कर लीं और अपने पति के बारे में सोचने लगीं। अचानक उन्हें आभास हुआ कि ये ऋषि देवता हैं और वे उनकी शक्ति की परीक्षा ले रहे हैं। इसके बाद उन्होंने शर्त रखी कि वह ऐसा करने के लिए सहमत हैं लेकिन इसके लिए उन्हें उनके पुत्रों का रूप लेना होगा। देवताओं ने उनकी बात मान ली और फिर उन्होंने उन्हें भोजन परोसा। बाद में, तीन देवता देवी अनुसूया के पुत्रों के रूप में वहां रहने लगे। जब देवता वापस नहीं पहुंचे, तो देवी पार्वती, लक्ष्मीजी और सरस्वती ने देवी अनुसूया से क्षमा मांगी और उनसे अपने पतियों को वापस देने का अनुरोध किया। इसके बाद वह इसके लिए राजी हो गईं और तब से यह स्थान मां अनसूया के नाम से जाना जाता है।

Yachana Jaiswal

Yachana Jaiswal

Content Writer

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