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Triyuginarayan Temple Video: यहां शादी करने से पूरी होगी मनोकामना, हिमालय के इस मंदिर में मिले थे शिव-शक्ति

Uttarakhand Triyuginarayan Temple: इसी मंदिर में भोले-शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था, जिसे लेकर पुराणों में कई तरह की कथाएं भी लिखी गई हैं।

Rajpoot Praveen
Published on: 23 April 2023 12:28 AM IST (Updated on: 23 April 2023 12:28 AM IST)

Uttarakhand Triyuginarayan Temple Video: हिमालय के मंदाकिनी क्षेत्र में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर बेहद ही खास और मशहूर है। इस मंदिर में हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, और भगवान शिव पार्वती का आशीर्वाद लेते हैं। कहा जाता है कि इसी मंदिर में भोले-शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था, जिसे लेकर पुराणों में कई तरह की कथाएं भी लिखी गई हैं। इस मंदिर में शिव-शंकर और माता पार्वती के विवाह के प्रमाण आज भी मौजूद है, जिसका सबसे बड़ा प्रमाण है यहां निरंतर जलने वाली ज्योति, कहा जाता है कि इसी ज्योति के सामने ही शिव-पार्वती के फेरे हुए थे और तभी से यह ज्योति निरंतर जल रही है।

त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड

त्रियुगीनारायण मंदिर में हुआ था शिव-पार्वती का विवाह

हिमावत की पुत्री पार्वती के रूप में मां गौरी का पुर्नजन्म हुआ था, कहा जाता है कि कठिन तपस्या और ध्यान के बाद माता गौरी भगवान शिव-शंकर को प्रसन्न कर पाई थीं। जिसके बाद वह भगवान शिव से शादी कर पाई थीं। जहां मां गौरी ने गहरी साधना की थी, उस जगह को आज गौरीकुंड के नाम से जाना जाता है। जो त्रियुगीनारायण मंदिर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां आज भी लोग दर्शन करने के लिए जाते हैं। वहीं इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव गुप्तकाशी में माता पार्वती के समक्ष विवाह करने का प्रस्ताव रखा था। गुप्तकाशी केदारनाथ की ओर जाने वाले रास्ते के बीच पड़ता है।

इस तरह हुआ था शिव-पार्वती का विवाह

पौराणिक कथाओं की मानें तो ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु जी की उपस्थिति में यह शुभ विवाह संपन्न किया गया था। जहां ब्रह्मा जी पुरोहित बने थे, तो भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई के रूप में सारी रीतियों और रिवाजों को पूरा किया था। इस विवाह में संत और मुनियों ने भी इस विवाह में हिस्सा लिया था। इस जगह को आज ब्रह्म शिला के नाम से जाना जाता है, जो मंदिर के ठीक सामने स्थित है।

केदारनाथ धाम के पास है त्रियुगीनारायण मंदिर

त्रेता युग से स्थापित त्रियुगीनारायण मंदिर की काफी मान्यता है। यह मंदिर केदारनाथ धाम के पहले पड़ता है। केदारनाथ और बदरीनाथ धाम द्वापरयुग स्थापित किए गए थे। कहते हैं कि इस मंदिर में भगवान विष्णु वामन अवतार में आए थे।

त्रियुगीनारायण मंदिर में शादी करना होता है शुभ

केदारनाथ के इस मंदिर में शादी करना काफी शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में शादी करता है, सात फेरे लेता है उनका रिश्ता शिव-पार्वती की तरह ही अटूट बनता है और रिश्ते में विश्वास भी बना रहता है। यही वजह है कि हर साल इस मंदिर में देश-विदेश के हजारों कपल शादी करने के लिए पहुंचते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेकर अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत करते हैं।

शादी के लिए किया जाता है रजिस्ट्रेशन

त्रियुगीनारायण मंदिर में शादी करवाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होता है। जिसके लिए 1100 रुपये फीस लगती है। यहां शादी करने वाले जोड़े के माता-पिता की सहमति होना जरूरी है। इसके साथ ही साथ दूल्हा-दुल्हन अपने आधार कार्ड और फोन नंबर से अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।

कैसे पहुंचे त्रियुगीनारायण मंदिर

सड़क मार्ग

त्रियुगीनारायण मंदिर आप सड़क मार्ग से भी जा सकते है। जिसके लिए रुद्रप्रयाग से केदारनाथ धाम वाली सड़क से जाना काफी आसान होगा। वहीं आप गुप्तकाशी से जाते हुए सोनप्रयाग की ओर जाने वाले रास्ते से भी इस मंदिर में पहुंच सकते हैं।

हवाई मार्ग से

देहरादून हवाई अड्डे तक पहुंचने के बाद आप यहां से अपना पर्सनल हेलीकॉप्टर बुक करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

रेल यात्रा

इस मंदिर के सबसे पास ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पड़ता है, जहां पहुंचने के बाद आप आसानी से निजी वाहन द्वारा मंदिर तक जा सकते हैं।



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Rajpoot Praveen

Rajpoot Praveen

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