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Varanasi Famous Shiv Mandir: बनारस में भगवान शिव के फेमस मंदिर, आइये जाने इसका इतिहास
Varanasi Famous Shiv Mandir: चलिए जानते है बनारस में भगवान शिव को समर्पित मंदिरों के बारे में। जिसे आप अपने काशी यात्रा के दौरान घूमने और दर्शन करने की लिस्ट में शामिल कर सकते है। इन मंदिरों का इतिहास हमारे जीवन पर भी प्रभाव डालता है।
Varanasi Famous Shiv Mandir: वाराणसी या बनारस, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है। दुनिया के सबसे पुराने जीवित शहरों में से एक है। हिंदू पौराणिक कथाओं में वाराणसी की प्रमुखता विख्यात है। पवित्र गंगा के तट पर स्थित, वाराणसी को हिंदू शहरों में सबसे पवित्र शहर माना जाता है। जिसे भारत देश का आध्यात्मिक राजधानी (Spiritual Capital) भी माना जाता है। यदि वाराणसी देश की आध्यात्मिक राजधानी है, तो काशी विश्वनाथ मंदिर इसका गौरव है। लेकिन बाबा काशी विश्वनाथ के धाम के अलावा वाराणसी को और भी कई शिव मंदिरों का वरदान मिला हुआ है। चलिए जानते है बनारस में भगवान शिव को समर्पित और मंदिरों के बारे में। जिसे आप अपने काशी यात्रा के दौरान घूमने और दर्शन करने की लिस्ट में शामिल कर सकते है। इन मंदिरों का इतिहास हमारे जीवन पर भी प्रभाव डालता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर:(Kashi Vishwanath Mandir)
वाराणसी शहर मुख्यतः इस मंदिर के नाम से ही जाना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर शहर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इसे 1194 ई. में कुतुब-उद-दीन-ऐबक ने नष्ट कर दिया था। 18वीं शताब्दी में अहिल्या देवी होल्कर ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। यह मंदिर कई बार मुगलों द्वारा तोड़कर नष्ट करने की कोशिश की गई। लेकिन सनातनीयों ने कभी हार नहीं मानी जिसका प्रमाण यह मंदिर है। आज तक कोई नहीं जानता कि इस मंदिर को मूल रूप से किसने बनवाया था, लेकिन यह देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के अंदर शिव जी के विश्वेश्वर या विश्वनाथ बाबा का ज्योतिर्लिंग है। इस मंदिर के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें एक सोने का गुंबद और शीर्ष पर एक सोने का शिखर है। किंवदंती है कि यदि आप गुंबद को देखकर कोई मनोकामना मानते हैं तो भगवान शिव आपकी मनोकामना पूरी करते हैं। एक दूसरी किंवदंती है कि जब मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर को नष्ट करने की योजना बनाई, तो मंदिर के देवता की मूर्ति को मंदिर परिसर के अंदर एक कुएं में छिपा दिया गया था। कुआँ अब भी वहीं है। जब आप मंदिर जाएं तो इस ऐतिहासिक कुएं को अवश्य देखें।
श्री तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर(Shree Tilbhandeshwar Mahadev Mandir)
श्री तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर, जिसे तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर और तिलभांडेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर पवित्र शहर वाराणसी के सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का हिंदू धर्म में बहुत धार्मिक महत्व है और यह भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता है कि तिलभांडेश्वर मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर बंगाली टोला इंटर कॉलेज (भेलूपुर, वाराणसी) के बगल में पांडे हवेली में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में शिव लिंग 2,500 साल पहले स्वयं प्रकट हुआ था। हर साल इस शिवलिंग में "तिल" के आकार में बढ़त होती है। वर्तमान में शिव लिंग की ऊंचाई 3.5 फीट है और आधार का व्यास लगभग 3 फीट है। यह भी माना जाता है कि माता शारदा ने इस मंदिर में कुछ दिन बिताए थे।
नया विश्वनाथ मंदिर(New Vishwanath Mandir)
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित, पंडित मालवीय द्वारा योजना का साकार रूप है। जिसे बिड़ला द्वारा निर्मित एक आधुनिक पूजा स्थल के रूप में भी जाना जाता है। जाति या पंथ की परवाह किए बिना इस मंदिर का द्वार सभी के लिए खुला है। यह हिंदू मंदिर वाराणसी में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के परिसर में स्थित है। भगवान शिव को समर्पित, यह बनारस के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। पवित्र शहर वाराणसी के बड़े पर्यटक आकर्षणों में से एक है। नए विश्वनाथ मंदिर की संरचना काशी विश्वनाथ मंदिर के समान ही की गई है। संगमरमर से निर्मित इस मंदिर का डिज़ाइन बी.एच.यू. के संस्थापक मदन मोहन मालवीय द्वारा स्वयं किया गया था। 253 फीट की ऊंचाई वाला यह मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा टावर है। दरअसल, यह एक मंदिर परिसर है जिसमें 7 मंदिर हैं। शिव मंदिर भूतल पर स्थित है, जबकि दुर्गा मंदिर और लक्ष्मी नारायण मंदिर पहली मंजिल पर स्थित हैं। मंदिर की दीवारें हिंदू देवी-देवताओं की शानदार मूर्तियों की आकृति से सजी हैं।
मृत्युंजय महादेव मंदिर(Mrityunajay Mahadev Mandir)
मृत्युंजय महादेव मंदिर को रावणेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।यह मंदिर पवित्र शहर वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का हिंदू धर्म में बड़ा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह मंदिर रोग ठीक करने के लिए प्रसिद्ध है। इसे मृत्युंजय के नाम से भी जाना जाता है इसे रावणेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर अपने सभी भक्तों को अप्राकृतिक मृत्यु से दूर रखता है और बीमारियों का इलाज करता है जब भक्त "मृत्युंजय पथ" करते हैं। जब कुएं से पानी अपने ऊपर छिड़कते हैं। यह भी माना जाता है कि विष्णु के अवतार और आयुर्वेदिक चिकित्सा के देवता धन्वंतरि ने अपनी सारी औषधियां कुएं में डाल दीं थी। जिससे इसे उपचार शक्ति मिली है।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Mandir)
रत्नेश्वर महादेव मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर वाराणसी में सबसे टूरिज्म का बड़ा आकर्षण है। जाहिर तौर पर अच्छी तरह से संरक्षित होने के बावजूद, मंदिर पीछे की तरफ काफी झुका हुआ है। इसका गर्भगृह आमतौर पर गर्मियों के कुछ महीनों को छोड़कर, साल के अधिकांश समय पानी के नीचे रहता है। रत्नेश्वर महादेव मंदिर वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित है। मंदिर ने नौ डिग्री तक झुका हुआ है। मंदिर को काशी करवट के नाम से भी जाना जाता है। जिसमे काशी वाराणसी का प्राचीन नाम है, और करवट का हिंदी में मतलब झुका हुआ होता है। इसे राजा मान सिंह के एक अनाम नौकर ने अपनी मां रत्ना के लिए बनवाया था। एक दूसरी कहानी के अनुसार इसका निर्माण इंदौर की अहिल्या बाई की दासी रत्ना बाई ने करवाया था। अहिल्याबाई ने इसे झुकने का और कभी न पूजने का श्राप दिया था, क्योंकि उनकी दासी ने इसका नाम अपने नाम पर रखा था। जिस कारण यह मंदिर आधा से ज्यादा समय पानी में ही डूबा रहता है।