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Varanasi Famous Kund: बनारस के इस कुंड में पड़ती है सबसे पहली सूरज की किरण

Varanasi Famous Kund: वाराणसी नगरी में रहस्यमय कहानियों की एक विशाल श्रृंखला देखने को मिलती है, ऐसी ही कहानी बनारस के इस कुंड की है..

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 21 Aug 2024 7:40 PM IST
Varanasi Lolark Kund,
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Varanasi Lolark Kund (Pic Credit-Social Media)

Varanasi Famous Lolark Kund: बनारस उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के तट पर स्थित एक पवित्र और धार्मिक नगरी है। इसे देश के सबसे बड़े धार्मिक केंद्रों में से एक माना जाता है। यहां हम आपको शहर के मध्य में स्थित ऐतिहासिक रूप से बहुत प्रसिद्ध तालाब के बारे में बताने जा रहे है, जो निः संतान दंपत्तियों को संतान सुख का आशीर्वाद देता है, कुष्ठ रोग को ठीक करता है और पापों से भी मुक्ति दिलाता है। वाराणसी में लोलार्क कुंड प्राचीन शहर में एक पवित्र स्थल है। इसमें भगवान शिव और सूर्य देवता दोनों का आशीर्वाद है।

लोलार्क कुंड को सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवासुर संग्राम के दौरान भगवान सूर्य के रथ का पहिया इसी स्थान पर गिरा था, जिसके बाद इस कुंड का निर्माण हुआ।

महादेव और सूर्य देवता साथ विराजते है यहां

भगवान सूर्य भगवान ने स्वयं अपने हाथों से मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की जिसे लोलार्केश्वर महादेव कहा जाता है।शिवलिंग पर की जाने वाली कोई भी पूजा या सेवा न केवल महादेव को बल्कि भगवान सूर्य को भी समर्पित होती है, जिससे यह सूर्य और शिव दोनों की पूजा के लिए एक पवित्र स्थान बन जाता है।



सूर्योदय के लिए भी खास है यह जगह

आज भी काशी में उगते सूर्य की पहली किरण लोलार्क कुंड में पड़ती है, जो भक्त पूरी श्रद्धा के साथ कुंड में स्नान करता है, उसके सभी रोग दूर हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।



ऐसी है कुंड की संरचना

लोलार्क कुंड वाराणसी के सबसे पुराने पवित्र स्थलों में से एक है। यह जमीन से 15 मीटर ऊंचा एक आयताकार तालाब है। लोलार्क शब्द का अर्थ है 'कांपता हुआ सूर्य।' यह तालाब के पानी में भगवान सूर्य की हिलती हुई छवि को दर्शाता है। तालाब तक पहुंचने के लिए खड़ी सीढ़ियाँ बनाई गई हैं। यहाँ कई धार्मिक त्यौहार मनाए जाते हैं। लोलार्क षष्ठी के त्यौहार के दौरान हजारों भक्त सूर्य देव की पूजा करने के लिए यहाँ आते हैं।



कहां है कुंड?

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में लोलार्क कुंड शहर में तुलसीघाट के पास स्थित है।

मनोकामना पूर्ति का केंद्र

पश्चिम बंगाल में स्थित कूचबिहार राज्य के राजा चर्म रोग से पीड़ित थे और निःसंतान थे। यहां स्नान करने से न केवल उनका चर्म रोग ठीक हुआ बल्कि उन्हें एक पुत्र की भी प्राप्ति हुई। यही वजह है कि लोलार्क कुंड मनोकामना पूर्ति का केंद्र है, मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों लोग अपने बच्चों का मुंडन कराने आते हैं। भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में मुंडन संस्कार कराया जाता है। लोलार्क आदित्य मंदिर के पीठासीन देवता हैं जो माताओं को उनके भाग्य में संतान का आशीर्वाद देते हैं।



पुराणों में भी है लोलार्क कुंड का उल्लेख

लोलार्क कुंड शुभ द्वादश आदित्य यात्रा का पहला पड़ाव है। स्कंद पुराण काशी खंड के अनुसार लोलार्केश्वर महादेव को 'सर्व आशापूर्वेश्वर महादेव' अर्थात सभी मनोकामनाओं को देने वाले के नाम से भी जाना जाता है। लोलार्क कुंड का उल्लेख काशीखंड, शिवमहापुराण, विष्णुपुराण, अनेक सनातनी ग्रंथों और ग्रंथों में मिलता है।



अहिल्याबाई ने भी करवाया था पुनरुद्धार

राजा कूचबिहार ने लोलार्क कुंड क्षेत्र का पुनरुद्धार कराया तथा लोलाकरेश्वर महादेव का मंदिर भी बनवाया। बाद में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने भी इस कुंड का सौन्दर्यीकरण कराया। लोलार्क कुंड की रचना इस तांत्रिक विधि से की गई है कि भाद्रपद शुक्ल षष्ठी को सूर्य की किरणें अत्यंत प्रभावशाली हो जाती हैं।



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Yachana Jaiswal

Yachana Jaiswal

Content Writer

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