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Varanasi Kashi Vishwanath Facility: बिल्कुल बदल गया काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर, श्रद्धालुओं के लिए है खास सुविधाएं

Varanasi Kashi Vishwanath Facility: पृथ्वी के निर्माण के दौरान सूर्य की पहली किरण काशी वारणसी पर ही पड़ी थी और यह मंदिर अब सीधे गंगा से जोड़ दिया गया है।

Kajal Sharma
Published on: 6 March 2023 9:23 AM IST
kashi varanasi
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kashi vishwanath(Social media)

Varanasi Kashi Vishwanath Facility: देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ का मंदिर की आस्था के बारे में कौन नहीं जानता है। पिछले कई हजार सालों से वाराणसी में स्थित इस ज्योतिर्लिंग की मान्यता विश्व प्रसिद्ध है, जिसे देखने और दर्शन करने के लिए हर सालों लाखों श्रद्धालुओं यहां आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां एक बार मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पृथ्वी के निर्माण के दौरान सूर्य की पहली किरण काशी वारणसी पर ही पड़ी थी और यह मंदिर अब सीधे गंगा से जोड़ दिया गया है। ताकि श्रद्धालु जलासेन घाट, मणिकर्णिका और ललिता घाट पर स्नान कर सीधे बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे।

बाबा के धाम में काफी कुछ नया

काशी विश्वनाथ मंदिर में कलाकारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक अलग दो मंजिला इमारत का निर्माण किया गया है।

मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए योग और ध्यान केंद्र के रूप में वैदिक केंद्र को स्थापित किया गया है।

मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए बाबा की भोगशाला स्थापित की है। जहां एक साथ 150 श्रद्धालु बैठकर बाबा प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।

इस मंदिर में अब 4 विशालकाय द्वारों का निर्माण किया गया है, जहां पहले सिर्फ सकरी गलियां हुआ करती थीं आज वहां बड़े-बड़े द्वार बना दिए गए हैं।

सनातन धर्म में काशी में मोक्ष की मान्यता है। इसलिए विश्वनाथ धाम में मुमुक्षु भवन बनाया गया है। जिससे लगभग 100 कदम की दूरी पर महाश्मशान मणिकर्णिका स्थित है।

मंदिर के बाहर श्रद्धालुओें के लिए स्प्रिचुअल बुक सेंटर यानी धार्मिक पुस्तकों के लिए नया केंद्र स्थापित किया गया है।

काशी को आनंद कानन भी कहा जाता था। इसे देखते हुए बाबा धाम में हरियाली की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। महादेव के प्रिय रुद्राक्ष, बेल, पारिजात के पौधों के साथ ही अशोक के पेड़ और तरह-तरह के फूल धाम परिसर में लगाए गए हैं।


मंदिर निर्माण से जुड़ी खास बातें

काशी विश्वनाथ मंदिर बनाने के लिए चुनार के बलुआ पत्‍थर के अलावा सात प्रकार के पत्‍थरों का उपयोग किया गया है।

मंदिर के फ्लोर के लिए मकराना के दूधिया मार्बल पत्थर का उपयोग किया गया है।

घाट की सीढ़ियों पर जैसलमेर का मंडाना स्‍टोन लगाया गया है।

भूकंप और भूस्‍खलन जैसी प्राकृति आपदाओं से बचाव के लिए पत्‍थरों को जोड़ा गया है। पीतल की प्‍लेटों से18 इंच लंबी तथा 600 ग्राम वजन की पीतल प्‍लेटों को कसने के लिए 12 इंच की गुल्‍लियां लगाई गई हैं।

पीतल और पत्‍थरों के बीच की जगह को भरने के लिए केमिकल लेपाक्‍स अल्‍ट्रा फिक्‍स का इस्‍तेमाल किया गया है।


श्रद्धालुओं के लिए खास सुविधाएं

काशी विश्वनाथ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खास सुविधाओं का इंतेजाम किया गया है।

कल्‍चरल सेंटर, टूरिस्‍ट फैसिलटेशन सेंटर, सिटी म्‍यूजियम बनाए गए हैं।

मोक्ष भवन में 18 दंपतियों के रहने की सुविधाओं का निर्माण किया गया है।

भोगशाला और दर्शनार्थी सुविधा केंद्र और साथ ही पुजारियों के लिए अलग विश्राम कक्ष बनाए गए हैं।

गंगा तट से विश्‍वनाथ मंदिर जाने के लिए एस्‍केलेटर भी लगाया गया है।



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Kajal Sharma

Kajal Sharma

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