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History of Auroville Video: भारत का एक ऐसा गांव जहां लागू नहीं होता भारत का संविधान ना कोई धर्म, वीडियो में देखें इस खास जगह के बारे में

History of Auroville Video: भारत के इस गांव में देश ही नहीं बल्कि विदेशी लोग भी रहते हैं। यहां पर किसी का कोई धर्म नहीं है। यहाँ पर सभी लोग ओरोविल के सदस्य कहलाते हैं।

Akshita Pidiha
Published on: 30 April 2023 4:51 PM IST

No Constitution In Auroville: भारत के एक लोकतांत्रिक देश है। जिसका अर्थ है यहां सब कुछ क़ानून के दायरे में होता है। पर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में एक ऐसा भी गांव हैं जहां पर भारत का क़ानून लागू नहीं होता है, ना ही यहाँ पर कोई सरकार है। यह गाँव तमिलनाडु (Tamil Nadu) राज्य के चेन्नई शहर (Chennai) से केवल 150 किमी की दूरी पर स्थित है। इस गाँव का नाम ओरोविल (Auroville) है। 'ओरोविल' शब्द का मतलब एक ऐसी वैश्विक नगरी से है, जहां सभी देशों के स्त्री-पुरुष सभी जातियों, राजनीति तथा सभी राष्ट्रीयता से ऊपर उठकर शांति एवं प्रगतिशील सद्भावना की छांव में रह सकें। जहां पर देश ही नहीं बल्कि विदेशी लोग भी रहते हैं। यहां पर किसी का कोई धर्म नहीं है। यहाँ पर सभी लोग ओरोविल के सदस्य कहलाते हैं। भारत का यह शहर प्रायोगिक शहर कहलाता हैं।

ओरोविल का इतिहास (Auroville History)

इस जगह को सिटी ऑफ डॉन (The City of Dawn) यानी भोर का शहर भी कहा जाता है। इस शहर की स्थापना 1968 में मीरा अल्फाजों (फ़्रांसिस) ने की थी। यह एक तरीके की प्रयोगिक टाउनशिप है जो कि विल्लुप्पुरम डिस्ट्रिक तमिलनाडु में स्थित है। मीरा अल्फाजों जिन्होंने इस शहर की स्थापना की वह श्री अरविंदो स्प्रिचुअल रिट्रीट में 29 मार्च, 1914 को पुदुच्चेरी आई थी। 1968 आते आते उन्होंने ओरोविल की स्थापना कर दी। जिसे यूनिवर्सल सिटी (Universal City) का नाम दिया गया। जहां कोई भी कहीं से भी आकर रह सकता है। ओरोविल का उद्देश्य मानवीय एकता की अनुभूति करना है। साल 2015 तक इस शहर का आकार बढ़ता चला गया और इसे कई जगह सराहा भी जाने लगा। आज इस शहर में करीबन 50 देशों के लोग रहते हैं। इस शहर की आबादी तकरीबन 24000 है। यहां पर एक भव्य मंदिर भी है।

मंदिर में नहीं है कोई मूर्ति

आपने सभी मंदिरों में किसी न किसी देवी-देवता की तस्वीर या मूर्ति देखी होगी। लेकिन ओरोविल के मंदिर में ऐसी कोई मूर्ति या तस्वीर आपको देखने को नहीं मिलेगी। दरअसल, यहां धर्म से जुड़े भगवान की पूजा नहीं होती। यहां लोग आते हैं और सिर्फ योगा करते हैं। नगर के बीचों बीच मातृमंदिर स्थित है। यूनेस्को ने इस शहर की भी प्रशंसा की है और आपको यह बात शायद नहीं पता होगी कि यह शहर भारतीय सरकार के द्वारा समर्थित है। भारत के राषट्रपति रहते हुए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल भी ओरोविल का दौरा कर चुके हैं।

यहां नहीं है कोई सरकार

ओरोविल बिना सरकार के चलता है। यह एक विधानसभा द्वारा नियंत्रित होता है जिसमें हर एक वयस्क लोग शामिल हैं। इस जगह को 900 सदस्यों की एक सभा द्वारा चलाया जा रहा है, जो विभिन्न संस्कृतियों से हैं, जो कभी-कभी एक-दूसरे को समझ भी नहीं पाते हैं। लेकिन फिर भी लोग काफी अच्छे से यहां रहते हैं। ओरोविल का अपना आर्किटेक्चर और टाउन प्लानिंग ब्यूरो है। इसमें अभिलेखीय सुविधाएं, अनुसंधान संस्थान, एक ऑडिटोरियम, 40 ऑड इंडस्ट्री, रेस्टोरेंट, फार्म, गेस्टहाउस आदि हैं। यहीं नहीं, यहां कम्प्यूटर, निवासियों के लिए एक ई-मेल नेटवर्क (ऑरोनेट) भी है।

मध्य में है स्वर्णिम क्रिस्टल बॉल

इसके केंद्र में सूर्य की एकमात्र किरण के साथ स्वर्णिम आभा वाला 70 सेंटीमीटर का एक स्वर्णिम क्रिस्टल बॉल है, जो संरचना के शीर्ष से भूमंडल की ओर निर्देशित होता है। अल्फासा के अनुसार, यह "भविष्य की अनुभूति के प्रतीक" का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य नहीं होता या डूब जाता है तो ग्लोब के ऊपर के सूर्य की रश्मि के स्थान पर एक सौर ऊर्जामान प्रकाश की किरण बिखेरी जाती है।

यहां नगदी लेन देन नहीं होता है

ऑरोविल के अनूठी बस्ती के निवासी ओरोविल के अंदर रूपये का उपयोग नहीं करते हैं। इसके बजाय, उन्हें खाता संख्या (उनके मुख्य खाते से जुड़ी) दी जाती है और लेनदेन एक ‘ऑरोकार्ड’ (जो डेबिट कार्ड की तरह काम करता है) के माध्यम से किया जाता है।

सभी बुनियादी सेवाएं मुफ्त में मिलती है यहां

ओरोविल में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं और बिजली मुफ्त है। स्कूली शिक्षा भी मुफ्त है और कोई परीक्षा नहीं है। बच्चों को अपनी पसंद के विषय और अपनी गति से सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। रखरखाव के लिए, निवासी जनशक्ति प्रदान करते हैं और मासिक आधार पर नींव में योगदान करते हैं।दैनिक आगंतुकों और मेहमानों से अर्जित धन का उपयोग टाउनशिप के रखरखाव के लिए भी किया जाता है। विभिन्न परियोजनाओं के लिए धन जुटाने के लिए लघु उद्योग (जैसे हाथ से बने कागज, अगरबत्ती आदि) भी स्थापित किए गए हैं।

कैसे होता है कार्य

ओरोविल ऊर्जा और पारिस्थितिकी से लेकर अर्थशास्त्र और शिक्षा तक कई भविष्य के प्रयोगों का घर भी है। जिसमें सदस्य मासिक रूप से एक निश्चित राशि का योगदान करते हैं और फिर दी की गई व्यक्तिगत वस्तुओं के लिए भुगतान किए बिना उन्हें जो भी आवश्यक लगता है वे ले भी लेते हैं।

ओरोविल की अबतक की स्थिति के लिए हुए बहुत संघर्ष

ओरोविल की अपनी वर्तमान स्थिति तक की यात्रा बहुत सारे बाधाओं से भरी थी। सन 1973 में माता की मृत्यु के बाद, निवासियों और टाउनशिप के मूल संगठन श्री अरबिंदो सोसाइटी के बीच झड़प भी हुई। बाद में भारत सरकार को इस झड़प को समाप्त करने के लिए कदम उठाना पड़ा। सन 1988 में भारतीय संसद ने टाउनशिप को एक कानूनी इकाई बनाने और इसकी स्वायत्तता की रक्षा करने के लिए ओरोविल फाउंडेशन अधिनियम पारित किया। आज के समय में ओरोविल में 40 से अधिक देशों के 2,000 से अधिक लोग हैं। जिसमें लेखक, कलाकार, डॉक्टर, इंजीनियर , शिक्षक, किसान, छात्र सभी हैं।अब इस नगर पर विकास के ध्वंसक बादल मंडरा रहे हैं।

4 दिसंबर , 2021 को शहर विस्तार योजना के तहत तमिलनाडु सरकार ने बिना किसी पूर्व सूचना के यहाँ निर्मित इमारतों को जेसीबी से बुलडोज़ करना शुरू कर दिया। शहर विस्तार योजना के तहत न केवल यहाँ मौजूद इमारतों, आवासों और भवनों को ही गिराया जाने लगा बल्कि बीते 50 सालों में इस नगर में बसे 50 देशों के नागरिकों द्वारा संरक्षित और उत्पादित जंगलों को भी तहस नहस किया जाने लगा।ओरोविल सदस्यों ने अपनी सुरक्षा के लिए सरकार से जुड़े लोगों को गाँव में प्रवेश से रोक लगायी है। ओरोविल के लोग यही कहना चाहते हैं कि शहर का विस्तार, इस धरती की शर्तों पर हो न कि धरती को हर बार शहर के लिए अपनी बलि देना पड़े।



Akshita Pidiha

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