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Taj Hotel: ताज होटल बनाने का ऐलान किया तो परिवार में पड़ी फूट,जानिए जमशेदजी टाटा की पूरी कहानी

Taj Hotel: साल 1889 में टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने अचानक ऐलान किया कि वे बॉम्बे अब मुंबई में एक भव्य होटल बनाने जा रहे हैं

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Newstrack Network
Published on: 13 May 2024 3:04 PM IST
Taj Hotel ( Social Media Photo)
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Taj Hotel ( Social Media Photo)

Taj Hotel: ताज होटल को बनने में करीब 14 साल लगे थे और साल 1903 में गेस्ट के लिए खोला गया था। ताज होटल साल 1903 में खुला था। इसकी नींव जमशेदजी टाटा बाएं ने डाली थी। साल 1889 में टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने अचानक ऐलान किया कि वे बॉम्बे अब मुंबई में एक भव्य होटल बनाने जा रहे हैंजमशेदजी टाटा ने जब ताज होटल बनाने का ऐलान किया तो उनके परिवार में ही फूट पड़ गई। टाटा की बहनें उनका विरोध करने लगीं। लेखक हरीश भट पेंगुइन हिंद पॉकेट बुक्स से प्रकाशित अपनी किताब ‘टाटा स्टोरीज’ में लिखते हैं कि जमशेदजी टाटा की एक बहन ने गुजराती में कहा, ‘आप बैंगलोर में साइंस इंस्टिट्यूट बना रहे हैं, लोहे का कारखाना लगा रहे हैं और अब कह रहे हैं कि भतारखाना होटल खोलने जा रहे हैं’?हरीश भट लिखते हैं कि जमशेदजी टाटा के दिमाग में बॉम्बे में भव्य होटल बनाने का आइडिया यूं ही नहीं आया था, बल्कि इसके पीछे एक कहानी और बदले की आग थी।


उन दिनों में बॉम्बे के काला घोड़ा इलाके में स्थित वाटसन्स होटल सबसे नामी हुआ करता था, लेकिन वहां सिर्फ यूरोप के लोगों को प्रवेश मिलता था। एक बार जमशेदजी टाटा वहां पहुंचे तो उन्हें यूरोपियन न होने के चलते एंट्री नहीं मिली। यह बात उनके दिल में बैठ गई थी।इसके अलावा उन दिनों बॉम्बे में एक भी ऐसा होटल नहीं था जो यूरोप या पश्चिमी देशों का मुकाबला कर सके। भट लिखते हैं कि जमशेदजी टाटा अक्सर अमेरिका, यूरोप और पश्चिमी देशों की यात्रा किया करते थे और वहां होटल और दूसरी सुविधाओं को देखा था। साल 1865 में ‘सैटरडे रिव्यू’ में एक लेख छपा, जिसमें लिखा गया था कि बॉम्बे को अपने नाम के अनुरूप अच्छा होटल कब मिलेगा? यह बात भी टाटा के दिल को लग गई थी।


जमशेदजी टाटा, ताज होटल के लिए सामान खरीदने दुनिया के कोने-कोने तक गए। लंदन से लेकर बर्लिन तक के बाजार खंगाल डाले। ताज होटल भारत का ऐसा पहला होटल था जहां कमरों को ठंडा रखने के कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ निर्माण संयंत्र लगाया गया था। होटल के लिए लिफ्ट जर्मनी से मंगवाई गई थी, तो पंखे अमेरिका से आए थे। हॉल के बाल रूम में लगाने के लिए खंभे पेरिस से आए थे।उन दिनों ताज होटल की कुल लागत 26 लाख रुपये तक पहुंच गई थी। आखिरकार साल 1903 में जब ताज होटल खोला गया तब इसके कमरों का किराया 6 रुपये प्रति दिन रखा गया। यह लगभग और होटलों के बराबर ही था। लेकिन पहले दिन होटल में महज 17 गेस्ट पहुंचे। आने वाले कुछ दिनों तक स्थिति लगभग ऐसी ही रही। ताज होटल के खर्चों ने जमशेदजी के सामने आर्थिक संकट खड़ा कर दिया। कुछ लोग इसे जमशेदजी का ”सफेद हाथी” तक कहने लगे।



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Shalini Rai

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