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अमेरिका में जॉब का सपना देखने वाले इंडियंस के लिए ट्रंप ने खड़ी की अब ये मुसीबत
वॉशिंगटन: जब से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, तब से अमेरिकन्स के हित में आए दिन कुछ न कुछ काम कर ही रहे हैं हाल ही में उन्होंने H-1B वीजा रूल्स को सख्त बनाने के लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर सिग्नेचर किए हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 'अमेरिकंस के हितों से कोई कंप्रोमाइज नहीं किया जाएगा साथ ही कंपनीज को स्किल्ड लोगों को ज्यादा सैलरी भी देनी होगी'
ऑस्ट्रेलिया और यूएस को देखते हुए न्यूजीलैंड ने भी वीजा रूल्स में सख्ती का ऑर्डर दिया है।
यह कहा है अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रंप ने
-एक न्यूज एजेंसी के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि 'इमिग्रेशन सिस्टम में डिस्टर्बेंस की वजह से अमेरिकंस की नौकरियां विदेशी इम्प्लॉइज के हिस्से में जा रही हैं। कंपनियां, कम वेतन देकर विदेशियों को जॉब दे देती हैं, जिससे अमेरिकंस को जॉब के चांसेस नहीं मिल रहे हैं। ये सब अब खत्म होगा।"
-काफी टाइम से अमेरिकन इम्प्लॉइज वीजा प्रोसेस के गलत इस्तेमाल को खत्म करने की डिमांड करते रहे हैं।
-ट्रंप के अनुसार 'प्रेजेंट में H-1B वीजा लॉटरी सिस्टम के अंडर दिया जाता है। जो कि गलत है वीजा सिर्फ ज्यादा स्किल्ड और हाईएस्ट पेड एप्लीकेंट्स को दिया जाना चाहिए।
-कंपनीज किसी भी तरीके से अमेरिकंस की जगह किसी और कंट्री की इम्प्लॉईज को नहीं रख सकतीं। अब तक जैसा था, वैसा नहीं होगा। कंपनियों को फेयर प्रोसेस अपनानी होगी।
-अब एडमिनिस्ट्रेशन 'हायर अमेरिकन' के रूल्स पर काम करेगा ताकि हमारे लोगों के जॉब और उनकी सैलरी को सेफ किया जा सके।
-फॉरेन कंट्रीज को लंबे टाइम तक हमारी कंपनीज और वर्कर्स को धोखा देने की परमिशन नहीं दे सकते। मैं साफ कह रहा हूं कि 'बाई अमेरिकन, हायर अमेरिकन' की पॉलिसी स्ट्रिक्टली से अप्लाई होगी।"
आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहना है व्हाइट हाउस का
-वहीं इस बारे में व्हाइट हाउस की तरफ से जारी किए गए स्टेटमेंट में कहा गया कि H-1B वीजा के जरिए अमेरिका में ज्यादा स्किल्ड और सैलरी वाले लोग लाने की जरूरत है।
-स्टडी की मानें तो जिन 80% लोगों को यह वीजा दिया जाता है, उनके सैलरी लेवल कम होता है
-इस टाइम अमेरिकन कंपनीज H-1B वीजा पॉलिसी का मिसयूज कर रही हैं और बाहर के लोगों को तवज्जो दे रही हैं
-अमेरिकी रिपोर्ट्स के अनुसार हर साल ज्यादातर H-1B वीजा इंडियन आईटी कंपनियां हासिल कर लेती हैं।
H-1B पर इतने स्ट्रिक्ट रूल्स क्यों?
-दरअसल अमेरिका में प्रेजेंट में बेरोजगारी बढ़ रही है और इसी को दूर करने के लिए H-1B के रूल्स को स्ट्रिक्ट बनाने की बात कही जाती रही है।
-अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी की वजह अमेरिका दूसरी कंट्रीज को मानता है
-कई कंपनियां दूसरे देशों से कम सैलरी पर वर्कर अमेरिका लाती हैं। इससे अमेरिकंस को नौकरी मिलने के चांसेस कम हो जाते हैं और बेरोजगारी बढ़ती है।
-अमेरिका के एक ऑफिसर का कहना है कि हमारी कंट्री में भी क्वॉलिफाइड प्रोफेशनल्स हैं, जो कंपनीज की जरूरत पूरी कर सकते हैं।
-कुछ टाइम पहले ट्रंप के जारी किए गए पॉलिसी मेमोरेंडम में कम्प्यूटर प्रोग्रामर्स को H-1B वीजा के लिए अन-एलिजिबल कर दिया था।
यह है H-1B वीजा
-H-1B वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है।
-इसके अंडर अमेरिकन कंपनियां विदेशी थ्योरिटिकल या टेक्निकल एक्सपर्ट्स को अपने यहां जॉब पर रख सकती हैं।
-H-1B वीजा के अंडर टेक्नोलॉजी कंपनीज हर साल हजारों इम्प्लॉइज की रिक्रूट करती हैं।
-USCIS जनरल कैटेगरी में 65 हजार फॉरेन इम्प्लॉइज और हायर एजुकेशन (मास्टर्स डिग्री या उससे ज्यादा) के लिए 20 हजार स्टूडेंट्स को एच-1बी वीजा जारी करता है।
-अप्रैल 2017 में यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) ने 1 लाख 99 हजार H-1B पिटीशन रिसीव कीं।
-अमेरिका ने 2015 में 1 लाख 72 हजार 748 वीजा जारी किए।
-वहीं पिछले महीने यूएस कोर्ट ने 2 इंडियंस को एच-1B वीजा धोखाधड़ी का आरोपी पाया था।
पहले ही फीस बढ़ा चुका है अमेरिका
-अमेरिका जनवरी 2016 में एच-1बी और एल-1 वीजा फीस बढ़ा चुका है। एच-1बी के लिए 6000 डॉलर और एल-1 के लिए 4500 डॉलर किया गया है।
-ये रूल्स उन कंपनीज के लिए हैं, जिनके यूएस में 50 या इससे ज्यादा इम्प्लॉई हैं और इनमें से 50 % से ज्यादा H-B या H-1 वीजा पर नौकरी कर रहे हैं।