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अमृतसर हादसा: डाक्टरों की छुट्टियां रद्द, इलाज में दिखा चिकित्सकीय सुविधाओं का अभाव
चंडीगढ़: अमृतसर के पास शुक्रवार को हुए रेल हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर आज 61 हो गई। इसमें से 18 शवों का शनिवार दोपहर 1 बजे तक पोस्टमार्टम हो चुका है। इन शवों का अंतिम संस्कार भी सम्पन्न करा दिया गया है। जलियां वाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल व गुरु नानक देव अस्पताल के डाक्टरों का कहना है कि बाकी बचे शवों का पोस्टमार्टम भी किया जा रहा है।
अस्पताल प्रशासन की तरफ से डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द कर दी है। बेहतर उपचार के लिए गुरदासपुर व पठानकोट से भी डॉक्टरों की टीम बुलाई गई है। इस बीच अस्पताल में मेडिकल सुविधाओं का अभाव भी देखने को मिला है।
नवजोत सिंह सिद्धू का विरोध
हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों सहित अन्य लोगों ने स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू व उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू का विरोध किया है। लोगों का कहना है कि हादसा कल शाम को हुआ लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू के पास संवेदना व्यक्त करने समय भी नहीं था, लोगों के आंसू पोछना तो दूर की बात है। यही नहीं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ भी लोगों में रोष है।
तीन दिन का राजकीय शोक घोषित
मुख्यमंत्री ने हादसे में मारे गए लोगों की याद में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। सोमवार तक स्कूल -कालेज व सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे।
अमृतसर से चलने वाली 42 गाडियां रद
अमृतसर रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर अधिकारी रूपिंदर सिंह के अनुसार अमृतसर से चलने वाली 42 रेलगाडियों को अनिश्चितकाल के लिए रद कर दिया गया है। शनिवार को सुबह 11:45 पर अमृतसर से चल कर जयनगर को जाने वाली फ्लाइंग मेल को शाम 6 बजे बरास्ता तरनतारन-ब्यास रवाना किया जाएगा। रेल सूत्रों के मुताबिक रेल सेवाएं देर रात तक बहाल होने की उम्मीद है।
भाजपा ने कराया अमृतसर बंद
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व राज्य सभा सांसद श्वेत मलिक ने आज अमृतसर बंद का आह्वान किया है। हालांकि शहर का मुख्य बाजार हालगेट, गुरु बाजार, सहित अन्य प्रमुख बाजार बंद रहे, जबकि शहर के कुछ हिस्सों में बाजार खुले हैं।
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1947 के बाद पहली बार दिखा ऐसा मंजर
देश विभाजन की आग में झुलस चुके गुरु नगरी के बुजुर्गों का कहना है कि 1947 के बाद ऐसा मंजर पहली बार देखने को मिला है। उनका कहना है कि तब पाकिस्तान से आने वाली रेलगाडियों में लोगों के कटे हुए शव आते थे, लेकिन यह हादसा उससे ज्यादा भयावह है। आतंकवाद के दौर में भी ऐसा नहीं हुआ था कि एक साथ 60 लोग मारे गए हों।
पहली बार बना था रावण और खत्म हो गई जिंदगी
गुल्लू नाम का युवक पिछले कई सालों से दशहरा मेंले में हनुमान बना करता था, लेकिन इस साल पहली बार वह रावण बना था, लेकिन उसे क्या पता था कि यह रावण उसका पहला और आखिरी किरदार होगा। मरने वालों में गुल्लू भी शामिल है। पूरी रात गुल्लू की मां बदहवास कभी सिविल अस्पताल तो कभी मेडिकल कालेज के गुरुनानक देव अस्पताल में अपने गुल्लू को तलाशती रही। लेकिन सुबह उसे पता चला कि दशहरा मेले में रावण का किरदार निभा रहा गुल्लू अब इस दुनिया में नहीं रहा।
मृतकों में यूपी कल्याण परिषद के महामंत्री के भाई भी शामिल
इस हादसे में मारे गए लोगों में उत्तर प्रदेश कल्याण परिषद के महामंत्री सुग्रीव सिंह के भाई चंद्रिका सिंह की भी मौत हो गई। वह पिछले कई वर्षों से यहां रहकर टेलर का काम करते थे और मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जनपद मऊ इलाके के रहने वाले थे।
अज्ञात लोगों पर केस दर्ज
पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। हालांकि लोगों का कहना है कि सीधे तौर पर मेले का आयोजन करने वाली कांग्रेस पार्षद और नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी को नामजद किया जाना चाहिए।
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मेला देख रहे लोगों को सोचना चाहिए
जिस जगह पर ये हादसा हुआ है, वहां से दो तरफ को रेल लाइन गुजरती है। पहली रेल लाइन अमृतसर दिल्ली है जो अप और डाउन है। इस ट्रैक पर पूरे दिन में करीब 50 से अधिक रेलगाडियां गुजरती है। जबकि दूरा ट्रैक अमृतसर पठानकोट है। यहां पर रेलवे फाटक भी है। इसलिए इसे जोडा फाटक कहते है।
यहां रेलवे लाइन के दोनों तरफ घनी आबादी है। एक तरफ शहर का गोल्डन एवेन्यू है तो दूसरी तरफ जज नगर है, कृष्णा नगर व कांगडा कालोनी है। जज नगर और कृष्णा नगर में ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं जो सालों पहले आ कर यहां बस गए थे। और मरने वालों में ज्यादातर वही लोग है।
जिस जगह पर हादसा हुआ है वहां पर धोबी घाट है। इसी धोबीघाट के पास ट्रैक से करीब 100 मीटर की दूरी पर दशहरा मेला का आयोनज किया गया था और रेल पटरियों पर खडे हो कर मेले का आनन्द ले रहे थे। निकाय मंत्री सिद्धू की पत्नी नजवोत कौर ने शाम 7:15 बजे जैसे ही अपना भाषण खत्म कर रावण के पुतले को आग लगाई ठीक उसी वक्त डाउन ट्रैक से अमृतसर हावडा मेल गुजरी।
इस ट्रेन से लोग बच तो गए लेकिन इसके पल भर बाद ही जालंधर से अमृतसर आ रही डीएमयू की चपेट में आ गए। मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि रावण में लगाए गए पटाखों की आवाज से वे लोग ट्रेन की आवाज नहीं सुन पाए।अब सवाल यह उठता है कि जब लोग जानते थे कि यहां से रेलगाडियां गुजरती हैं तो फिर ट्रैक पर खडे ही क्यों हुए।
जिस वक्स हादसा हुआ, उस वक्त गुजरती है कई गाडियां
जिस समय ये हादसा हुआ उस समय कई रेलगाडियां के आने और जाने का समय होता है। क्योंकि शाम 3:45 बजे डिब्रूगढ एक्सप्रेस, 4:15 बजे छत्तीसगढ एक्सप्रेस, 5 बजे शताब्दी, 5:45 बजे अमृतसर हावडा एक्सप्रेस और 6:40 पर हावडा मेल सहित अन्य गाडियां गुजरती है। यह जानते हुए भी लोग रेल ट्रैक पर डटे रहे।
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