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माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव से जुड़ी ये 30 बातें, खड़े कर देंगी रौंगटे

Rishi
Published on: 15 July 2018 5:53 PM IST
माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव से जुड़ी ये 30 बातें, खड़े कर देंगी रौंगटे
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लखनऊ : देश के सबसे बड़े किडनैपिंग किंग बबलू श्रीवास्तव को हाईकोर्ट सशर्त जमानत दे दी है। रिहाई का आदेश भी हो चुका है। लेकिन हमारा मुद्दा ये नहीं है। हम तो आपको बताने वाले हैं उसकी जन्मकुंडली की खास बातें। यहां ये भी जानलेना आवश्यक है कि जो माफिया जान जाने के डर से कभी पैरोल के लिए अपील नहीं करता था। वो कैसे रिहा होने के बाद अपने घर जाएगा। कहीं ये मुन्ना बजरंगी की हत्या का इफेक्ट तो नहीं।

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  1. बबलू श्रीवास्तव का असली नाम ओम प्रकाश श्रीवास्तव है।
  2. यूपी के गाजीपुर जिले का रहने वाला है। घर आम घाट कॉलोनी में था।
  3. पिता विश्वनाथ प्रताप श्रीवास्तव जीटीआई में प्रिंसिपल थे।
  4. बबलू का बड़ा भाई विकास श्रीवास्तव आर्मी में कर्नल है।
  5. बबलू भाई की तरह सेना में अफसर बनना चाहता था। या फिर उसे आईएएस अधिकारी बनना था।
  6. बबलू लखनऊ विश्वविद्यालय में लॉ का छात्र था। 1982 में छात्रसंघ चुनाव हो रहे थे। बबलू का साथी नीरज चुनाव में महामंत्री पद का उम्मीदवार था।
  7. इसी दौरान दो छात्र गुटों में चुनावी झगड़ा हुआ। जिसमें किसी ने एक छात्र को चाकू मार घायल कर दिया। घायल छात्र का संबंध लखनऊ के लोकल माफिया अरुण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना के साथ था। इस मामले में अन्ना ने बबलू को आरोपी बनाकर जेल भिजवा दिया। यह बबलू के खिलाफ पहला मुकदमा था।
  8. बबलू जब जमानत पर छूटकर बाहर आया तो पुलिस ने कुछ दिन बाद फिर से उसे अन्ना के कहने पर स्कूटर चोरी के झूठे आरोप में जेल भेज दिया।
  9. नाराज घरवालों ने उसकी जमानत नहीं कराई।
  10. बबलू दो हफ्ते जेल में रहा। इसके बाद वाहन चोरी की घटनाओं में उसे लपेटा जाने लगा।
  11. अन्ना के विरोधी रामगोपाल मिश्र ने बबलू को अपने गैंग में शामिल कर लिया।
  12. इसके बाद बबलू यूपी, बिहार और महाराष्ट्र में किडनैपिंग किंग बन बैठा।
  13. छोटे गैंग अपहरण कर 'पकड़' उसे सौंप देते थे और फिर बबलू फिरौती वसूल करता था।
  14. 1984 से शुरू हुआ क्राइम ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा था। यूपी समेत कई राज्यों में अपहरण, फिरौती, अवैध वसूली और हत्या जैसे संगीन मामले दर्ज होते गए। 1989 में वह पुलिस से बचने के लिए विवादित तांत्रिक चंद्रास्वामी से मिला। लेकिन बात नहीं बनी।
  15. चंद्रास्वामी ने जब उसकी कोई हेल्प नहीं की तो वो नेपाल चला गया।
  16. नेपाल के माफिया डॉन और राजनेता मिर्जा दिलशाद बेग ने 1992 में दुबई में उसकी मुलाकात डॉन दाऊद इब्राहीम से कराई।
  17. दाऊद का साथ मिलने के बाद बबलू की पहचान इंटरनेशनल माफिया के तौर पर होनी होने लगी थी। अब बबलू तस्करी भी करने लगा।
  18. 1993 में हुए मुंबई सीरीयल ब्लास्ट के बाद माफिया छोटा राजन और बबलू श्रीवास्तव ने दाऊद इब्राहिम का साथ छोड़ दिया। तभी से बबलू डी कंपनी के निशाने पर है।
  19. पुणे में एडिशनल पुलिस कमिश्नर एलडी अरोड़ा की हत्या के मामले में बबलू का नाम चर्चा में आया। आरोप लगा कि बबलू और उसके साथी मंगे और सैनी ने अरोड़ा को गोलियों से भून दिया था। उसे उम्रकैद की सजा हुई।
  20. जेल में बंद बबलू ने ‘अधूरा ख्वाब’ नाम से भी किताब लिखी। किताब में दाऊद इब्राहिम से मुलाकात और उसके साथ काम करने का जिक्र है।
  21. बबलू ने दाऊद से दुश्मनी और गैंगवार को भी किताब में जगह दी है।
  22. किताब पर एक फिल्म बनाए जाने की तैयारी थी।
  23. अभिनेता अरशद वारसी को बबलू का किरदार निभाना था।
  24. 1995 में बबलू को मॉरिशस में पकड़ा गया था।
  25. देश में बबलू के खिलाफ करीब 60 मामले चल रहे थे।
  26. पेशी के लिए बबलू को बुलैटप्रूफ जैकेट और हैलमेट पहनाकर ले जाया जाता रहा है।
  27. बबलू जेल में ही खुद को सुरक्षित मानता है। लेकिन जिस तरह डॉन मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या हुई उसके बाद से बबलू बेचैन हो गया था। जबकि बबलू ने कभी कोर्ट में पेरोल के लिए पैरवी नहीं की है।
  28. लखनऊ से लेकर मुंबई तक चर्चा है कि बबलू को जानबूझकर बेल दी गई है। लेकिन इसके पीछे क्या कारण हो सकता है इसपर कोई कुछ नहीं बोल रहा।
  29. जेल में डॉन को जो कुछ भी खाने के लिए दिया जाता था उसे पहले पुलिसकर्मी चखते थे।
  30. जाली करेंसी के रैकेट के उजागर होने के बाद से बबलू डी कंपनी और उसके साथी गैंग्स के निशाने पर है। इसका कारण ये है कि बबलू की टिप्स पर ही ये रैकेट पकड़ा गया।



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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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