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पीवी सिंधु के हाथ आया मेडल, जानिए क्या हैं उनकी सफलता के राज

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Published on: 18 Aug 2016 5:08 PM GMT
पीवी सिंधु के हाथ आया मेडल, जानिए क्या हैं उनकी सफलता के राज
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रियो डी जेनेरो : पीवी सिंधु ने महिला बैडमिंटन सिंगल के फाइनल में जगह बना ली है। सिल्वर मेडल पक्का कर चुकी 21 साल की ये खिलाड़ी अब गोल्ड के लिए मैदान में उतरेगी। दुनिया की दसवें नंबर की इस खिलाड़ी ने पिछले कुछ सालों में जिस तेजी से सफलता की सीढ़ियां चढ़ी हैं वो हैरान करने वाला है।

कोच गोपीचंद से इंस्पायर

पीवी सिंधु पुलेला कोपीचंद से इंस्पायर हैं। अब गोपीचंद ही सिंधु के कोच भी हैं। कहा जाता है कि सिंद्धू की सफलता के पीछे गोपीचंद की कड़ी मेहनत है। उन्होंने पिछले कुछ सालों में सिंधू के लिए खूब पसीना बहाया है।

पीवी सिंधु का खेल ‘कनेक्शन’

पीवी सिंधु भी बैडमिंटन की स्टार खिलाड़ी सायना नेहवाल के शहर हैदराबाद से ही हैं। उनके माता-पिता वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। पिता पीवी रमन्ना ने भारतीय टीम की कप्तानी की है और अर्जुन अवॉर्डी भी रहे हैं। मां पी विजया हैं।

पीवी सिंधु की खास बातें

-सिंधु गजब की ‘नैचुरली टैलेंटड’ खिलाड़ी हैं।

-शारीरिक बनावट के लिहाज से भी अच्छी एथलीट हैं।

-सिंधु की हाईट 5 फुट 10 इंच है।

-बैडमिंटन कोर्ट को कवर करने में लंबाई का फायदा मिलता है।

सिंधु की उपलब्धियां

-मार्च 2015 में वीमेन सिंगल बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाली पहली इंडियन खिलाड़ी बनीं।

-2009 सब जूनिय एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीता।

-2010 ईरान फजर इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में सिलवर मेजल जीता।

-2010 में ही जूनियर वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।

पसीना या हंसी

कहा जाता है कि पीवी सिंधु वीरेंद्र सहवाग की तरह हैं। जो मैच से पहले कभी पिच नहीं देखते। विरोधी टीम के बारे में नहीं सोचते। सामने कितना बड़ा गेंदबाज है इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता। हाथ में बल्ला है और सामने वाले गेंदबाज की धुनाई करनी है। ऐसा ही स्टाइल सिंधु का है। सिंधु के चेहरे पर सिर्फ दो चीजें दिखाई देती हैं या तो पसीना या फिर हंसी।

सिंधु को मिले सम्मान

पद्म श्री, अर्जन अवॉर्ड, सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ द ईयर इन स्पोर्ट्स

पर्सनल लाइफ

पीवी सिंधु का जन्म 5 जुलाई 1995 को हैदराबाद में हुआ। उन्होंने St. Ann's College for Women से पढ़ाई की है।

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