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सेहत की बात हो या फिर चेहरे पर लाना हो निखार, लीची को जरूर बनाएं अपना आहार

suman
Published on: 23 May 2017 2:34 PM IST
सेहत की बात हो या फिर चेहरे पर लाना हो निखार, लीची को जरूर बनाएं अपना आहार
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लखनऊ: लीची गर्मियों में मिलता है। इस सीजन में लीची खाने से गर्मी से राहत मिलती है। दक्षिण चीन से शुरू होने वाली की खेती आज थाइलैंड, बांग्लादेश, उत्तर भारत, दक्षिण अफ्रीका, हवाई और फ्लोरिडा तक फैल चुकी है। इन प्रदेशों की जलवायु लीची के लिए उपयुक्त है। अन्य फलों की तरह लीची में भी पौष्टिक तत्वों का भंडार है। लीची में पानी की मात्रा भी अधिक होती है। इसमें विटामिन सी, पोटैशियम और नैसर्गिक शक्कर की भरमार होती है। गर्मी में खाने से यह शरीर में पानी के अनुपात को संतुलित रखते हुए ठंडक भी पहुंचाता है। लीची केवल फल को तौर पर ही नहीं खाया जाता, इसका जूस और शेक भी बहुत पसंद किया जाता हैं।

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जैम, जैली, मार्मलेड, सलाद और व्यंजनों की गार्निशिंग के लिए भी लीची का इस्तेमाल किया जाता है। स्ट्राबेरी की तरह दिखने वाली हार्ट-शेप लिए छोटी-सी लीची में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, लौह जैसे खनिज लवण पाए जाते हैं, जो इसे हमारी सेहत का खजाना बना देते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने तो लीची को ‘सुपर फल‘ का दर्जा भी दिया है। अध्ययनों से साबित हुआ है कि विटामिन सी, फ्लेवोनॉयड, क्यूरसीटीन जैसे तत्वों से भरपूर लीची में कैंसर, खासतौर पर स्तन कैंसर से लड़ने के गुण पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन से हमारे शरीर में कैंसर के सेल्स ज्यादा बढ़ नहीं पाते।

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लीची एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट भी है। इसमें मौजूद विटामिन सी हमारे शरीर में रक्त कोशिकाओं के निर्माण और लोहे के अवशोषण में भी मदद करता है, जो एक प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने के लिए जरूरी है। रक्त कोशिकाओं के निर्माण और पाचन-प्रक्रिया में सहायक लीची में बीटा कैरोटीन, राइबोफ्लेबिन, नियासिन और फोलेट जैसे विटामिन बी काफी मात्रा में पाया जाता है।यह विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और पाचन-प्रक्रिया के लिए जरूरी है। इससे बीटा कैरोटीन को जिगर और दूसरे अंगों में संग्रहित करने में मदद मिलती है।

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फोलेट हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखता है। इससे हमारा तंत्रिका तंत्र स्वस्थ रहता है।लीची हमारी सेहत के साथ ही फिगर का भी ध्यान रखती है। इसमें घुलनशील फाइबर बड़ी मात्रा में मिलता है, जो मोटापा कम करने का अच्छा विकल्प है। फाइबर हमारे भोजन को पचाने में सहायक होता है और आंत्र समस्याओं को रोकने में मदद करता है। यह वायरस और संक्रामक रोगों से लड़ने के लिए हमारे शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह फाइबर कमजोर और बुजुर्गों को स्वस्थ रहने में मदद करता है।लीची ऊर्जा का स्‍त्रोत है। थकान और कमजोरी महसूस करने वालों के लिए लीची बहुत फायदेमंद है।

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इसमें मौजूद नियासिन हमारे शरीर में ऊर्जा के लिए आवश्यक स्टेरॉयड हार्मोन और हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है, इसलिए काम की थकावट के बावजूद लीची खाने से आप दोबारा ऊर्जावान हो जाते हैं।लीची का रस एक पौष्टिक तरल है। यह गर्मी के मौसम से संबंधित समस्याओं को दूर करता है और शरीर को ठंडक पहुंचाता है। लीची हमारे शरीर में संतुलित अनुपात में पानी की आपूर्ति करती है और निर्जलीकरण से बचाती है। पेट और अन्य बीमारियों की रोकथाम में असरदार लीची शरीर की अम्लता के उच्च स्तर को कम करके पाचन संबंधी विकारों को दूर करती है।गैस्ट्रो आंत्र विकार, हल्के दस्त, उल्टी, पेट की खराबी, पेट के अल्सर और आंतरिक सूजन से उबरने में लीची का सेवन फायदेमंद है।

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यह कब्ज या पेट में हानिकारक टोक्सिन के प्रभाव को कम करती है। गुर्दे की पथरी से होने वाले पेट दर्द से आराम पहुंचाती है। मधुमेह के रोगियों के तंत्रिका तंत्र को होने वाली क्षति को रोकने में मदद करती है।लीची विटामिन सी का बहुत अच्छा स्त्रोत होने के कारण खांसी-जुकाम, बुखार और गले के संक्रमण को फैलने से रोकती है। यह संक्रामक एजेंटों के खिलाफ प्रतिरोधक के रूप में काम करती है और हानिकारक मुक्त कणों को हटाती है। गंभीर सूखी खांसी के लिए तो लीची रामबाण है। ऑलिगनॉल नामक रसायन की मौजूदगी के कारण लीची एन्फ्लूएंजा के वायरस से आपका बचाव करती है।

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लीची में सूरज की अल्ट्रावॉयलेट यूवी किरणों से त्वचा और शरीर का बचाव करने की खासियत होती है। इसके नियमित सेवन से ऑयली स्किन को पोषण मिलता है। साथ ही मुंहासों के विकास को कम करने में मदद मिलती है। चेहरे पर पड़ने वाले दाग-धब्बों में कमी आ जाती है।लीची में पाए जाने वाले कैल्शियम, फॉसफोरस और मैग्नीशियम तत्व बच्चों के शारीरिक गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये मिनरल्स अस्थि घनत्व को बनाए रखते हैं। ये ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करते हैं।

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लीची के छिलके वाली चाय सर्दी-जुकाम, दस्त, वायरल और गले के इंफेक्शन के इलाज में मददगार है।लीची तंत्रिका तंत्र की नसों और जननांगों की सूजन के इलाज में फायदेमंद है। इससे दर्द से राहत मिलती है। किसी भी अंग में सूजन कम करने के लिए लीची बीज के पाउडर का लेप लगाने से आराम मिलता है।लीची बीज के पाउडर में दर्द से राहत पहुंचाने के गुण हैं। पाचन संबंधी विकारों को दूर करने के लिए बीज के पाउडर की चाय पीना फायदेमंद है। ऐसी चाय पीने से तंत्रिका तंत्र में होने वाले दर्द में भी राहत मिलती है। पेट के कीड़े मारने के लिए शहद में यह पाउडर मिला कर खाया जाता है। हर्बल चाय में लीची पेड़ की जड़ों, फूल और छाल उबाल कर पीने से चेचक जैसे संक्रामक रोगों में राहत मिलती है।

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दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने लीची के पल्प और छिलके में मौजूद फिनॉलिक कम्पाउंड से वजन कम करने, ब्लड प्रैशर नियंत्रित करने और हृदय रोगों की सप्लिमेंट्री दवाइयों का निर्माण किया है। इनमें हाईड्रोक्सीकट, लीची-60 सीटी और एक्स्रेडीन प्रमुख हैं। लीची से स्किन क्रीम भी बनाई गई है, जिससे चेहरे की झुर्रियां घटाई जा सकती हैं। इसे अल्कोहल बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

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एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए एक कटोरी या 10-11 दाने लीची का सेवन हितकर है। ज्यादा खाने से नकसीर या सिर दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कई बार तो लीची की अधिकता से एलर्जी भी हो जाती है। शरीर में खुजली होना, जीभ तथा होंठ में सूजन आना और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं सामने आती हैं।लीची में मौजूद पोटेशियम दिल की बीमारियों से बचाव करता है।

आगे...यह हृदय की धड़कन की अनियमितता अथवा अस्थिरता और रक्तचाप को नियंत्रित रखता है। लीची में मौजूद लाभदायक रासायनिक तत्व शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करते हैं, जिससे शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती और रक्त का प्रवाह सही ढंग से होता रहता है। इसी वजह से लीची का नियमित सेवन हार्ट अटैक की संभावना 50 प्रतिशत कम कर देता है।



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