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बर्थडे स्पेशल: पत्नी से बिछड़ने से टूट गए थे कार्ल मार्क्स, ऐसे बने महान दार्शनिक

वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता दार्शनिक, अर्थशास्त्री, समाजविज्ञानी और पत्रकार कार्ल मार्क्स की आज 201 वीं जयंती है। उनका जन्म 5 मई 1818 को जर्मनी के ट्रियर शहर में हुआ था।

Aditya Mishra
Published on: 5 May 2019 3:34 PM IST
बर्थडे स्पेशल: पत्नी से बिछड़ने से टूट गए थे कार्ल मार्क्स, ऐसे बने महान दार्शनिक
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लखनऊ: वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता दार्शनिक, अर्थशास्त्री, समाजविज्ञानी और पत्रकार कार्ल मार्क्स की आज 201 वीं जयंती है। उनका जन्म 5 मई 1818 को जर्मनी के ट्रियर शहर में हुआ था।

कार्ल मार्क्स ने दुनिया को समाज और आर्थिक गतिविधियों के बारे में अपने विचारों से आंदोलित कर दिया। उनके विचारों से प्रभावित हो कर कई क्रांतियों की नींव पड़ी। जानिए उनके बारे में...

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ऐसे बीता था बचपन

कार्ल मार्क्स का जन्म जर्मन राजमंडल में प्रशिया साम्राज्य के ट्रियर शहर में वकील हीनरिक मार्क्स और हेनरीटा प्रेसबर्ग के घर पांच मई, 1818 को हुआ था। उनके माता-पिता यहूदी थे। इस तस्वीर में आप साफ तौर पर उनके घर को देख सकते हैं। आज भी ये घर बिलकुल नया लगता है।

पूंजीपती वर्गों का सहना पड़ा विरोध

कार्ल मार्क्स ताउम्र कामकाजी तबके की आवाज बुलंद करते रहे। इसके कारण उन्हें पूंजीपती वर्गों का काफी विरोध भी सहना पड़ा।

अपने क्रांतिकारी लेखों के कारण उन्हें जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम से भगा दिया गया था। साल 1864 में लंदन में 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' की स्थापना में मार्क्स ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा था पूंजी मृत श्रम है , जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों का खून चूस कर जिंदा रहता है, और जितना अधिक ये जिंदा रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों को चूसता है।

धर्म को बताया था लोगों का अफीम

दार्शनिक के तौर पर उनका मानना था कि लोगों की खुशी के लिए पहली आवश्यकता 'धर्म का अंत' है। उन्होंने कहा था कि 'धर्म लोगों का अफीम है'। उन्होंने कहा था नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेर-फेर करने की वस्तु है। ‘अमीर गरीबों के लिए कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन उनके ऊपर से हट नहीं सकते।

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1848 में ही कार्ल मार्क्स ने किया था बाल श्रम का जिक्र

साल 1848 में जब कार्ल मार्क्स कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणा पत्र लिख रहे थे तब ही उन्होंने बाल श्रम का जिक्र किया था। कार्ल मार्क्स ने जो घोषणा पत्र जारी किया था उसमें बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा देना के बारे में कहा गया था। कारखानों में बाल श्रम पर रोक के बारे में उन्होंने अपने घोषणा पत्र में किया गया था।

भेदभाव का विरोध

समाज को बदलने के लिए सही समय पर सही कदम उठाने की जरुरत होती है। मार्क्स भी कहते थे कि अगर आप समाज में कुछ गलत होते देख रहे है जैसे भेदभाव, अन्याय तो आप उसका विरोध करें एक साथ इकट्ठा होकर प्रदर्शन करें। मार्क्स ने पहले ही सरकारों बिजनेस घरानों के गठजोड़ को लेकर चेताया था

बड़े बिजनेस घराने एक साथ गठबंधन कर ले तो कितनी बड़ा खतरा हो सकता है इस बात का अंदाजा काल मार्क्स ने 19वीं सदी में ही लगा लिया था। उन्होंने तब इस तरह के साठ- गांठ के बारे में जिक्र किया था।

पत्रकार भी थे कार्ल मार्क्स

1848 में जब यूरोप में जब क्रांतिकारी गतिविधियां शुरू हुई तब मार्क्स ने बेल्जियम छोड़ दिया और पेरिस जर्मनी से होते हुए वो लंदन में बस गए। हालांकि उन्हें वहां की नागरिकता नहीं मिली लेकिन इसके बाद भी उन्होंने वहीं अपनी सारी जिंदगी बिताई। लंदन में ही इन्होंने पत्रकारिता शुरू की थी।

जब पत्नी से बिछड़ने से टूट गए थे मार्क्स

दिसंबर 1881 में उनकी पत्नी जेनी वॉन वेस्टफेलेन की मृत्यु हो गई थी। पत्नी की मौत के बाद मार्क्स 15 महीने तक बीमार रहे और 14 मार्च 1883 में 64 वर्ष की आयु में उनकी निधन हो गया। लंदन के ही हाइगेट कब्रिस्तान में उनकी समाधि बनी है।

कार्ल मार्स की किताब

यह तस्वीर कार्ल मार्क्स की 'दास कैपिटल' नाम की किताब की है, जिसे उन्होंने खुद लिखा था। इस किताब को भी उनकी याद में उनके जन्मस्थल यानी कि उनके म्यूजियम में सजा कर रखा गया है। बता दें कि दास कैपिटल पुस्तक की रचना कार्ल मार्क्स ने 1867 में की थी। इसमें पूँजी एवं पूँजीवाद का विश्लेषण है तथा मजदूरवर्ग को शोषण से मुक्त करने के उपाय बताये गए हैं।

कार्ल मार्क्स के विचारों से प्रेरित विचारक

इस तस्वीर में कार्ल मार्क्स के साथ वो विचारक मौजूद हैं, जो मार्क्सवादी विचारों से प्रेरित थे। इस तस्वीर को भी मार्क्स की याद में जन्मस्थल यानी कि उनके म्यूजियम में संभालकर रखा गया है।

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Aditya Mishra

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