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भारत-ईरान के बीच दोस्ती को करेगा मजबूत चाबहार बंदरगाह, उद्घाटन आज
जयपुर: भारत के लिए सामरिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ईरान के चाबहार स्थित बंदरगाह एक हिस्सा 3 दिसंबर (रविवार) को काम करना शुरू कर देगा। ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी इसका उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर भारत, ईरान और अफगानिस्तान सहित कई देशों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार को रूस से लौटते वक्त तेहरान पहुंचकर इस परियोजना की समीक्षा की।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट कर बताया, अपने पारंपरिक करीबी और सभ्यतागत जुड़ावों को मजबूत करते हुए स्वराज ने जरीफ के साथ तेहरान में दोपहर के भोजन के दौरान वार्ता की। दोनों पक्षों ने आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की। समझा जाता है कि दोनों मंत्रियों ने चाबहार बंदरगाह परियोजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की, जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार है। एक महीने पहले भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के जरिये समुद्र से अफगानिस्तन को गेहूं की पहली खेप भेजी थी।
वहीं, विदेशमंत्रालय के अधिकारियों ने कहा, यह तकनीकी ठहराव था और स्वराज का अपने ईरानी समकक्ष से बातचीत पूर्व निर्धारित नहीं थी। बता दें कि भारत ने चारबहार में करीब 10 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। इसके साथ ही 50 करोड़ डॉलर की और मदद का आश्वासन दिया है।
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इस परियोजना के पूरा होने से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच सीधा संपर्क हो जाएगा। साथ ही भारत मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप तक समान भेज सकता है। अब तक भारतीय माल पाकिस्तान के जरिये अफगानिस्तान तक पहुंचता है। चाबहार के खुलने से भारतीय माल को अब पाकिस्तान के रास्ते की बजाए सीधे मध्य एशिया और यूरोप भेजा जा सकेगा। ऐसे में यह पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा रणनीतिक नुकसान होगा।
देश हित में बंदरगाह से जुड़ी बातें...
*दक्षिण पूर्व ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक बंदरगाह है, इसके जरिए भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान को बाइपास करके अफगानिस्तान के लिए रास्ता बनाएगा। अफगानिस्तान की कोई भी सीमा समुद्र से नहीं मिलती और भारत के साथ इस मुल्क के सुरक्षा संबंध और आर्थिक हित हैं।
*फारस की खाड़ी के बाहर बसे इस बंदरगाह तक भारत के पश्चिमी समुद्री तट से पहुंचना आसान है. इस बंदरगाह के जरिये भारतीय सामानों के ट्रांसपोर्ट का खर्च और समय एक तिहाई कम हो जाएगा।
*उन मुल्कों में एक है जिनके ईरान से अच्छे व्यापारिक रिश्ते रहे हैं. चीन के बाद भारत ईरान के तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है।
*चाबहार से ईरान के मौजूदा रोड नेटवर्क को अफगानिस्तान में जरांज तक जोड़ा जा सकता है जो बंदरगाह से 883 किलोमीटर दूर है. 2009 में भारत द्वारा बनाए गए जरांज-डेलारम रोड के जरिये अफगानिस्तान के गारलैंड हाइवे तक आवागमन आसान हो जाएगा।
*इस हाइवे से अफगानिस्तान के चार बड़े शहरों- हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ तक सड़क के जरिये पहुंचना आसान होता है.परमाणु कार्यक्रमों के चलते ईरान पर पश्चिमी देशों की ओर से पाबंदी लगा दिए जाने के बाद इस प्रोजेक्ट का काम धीमा हो गया. जनवरी 2016 में ये पाबंदियां हटाए जाने के बाद भारत ने इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया।
*दुनिया में खपत होने वाले तेल का करीब पांचवां हिस्सा रोजाना इस जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है जो ओमान की खाड़ी और हिंद महासागर को फारस की खाड़ी से अलग करता है.