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सुलझाने को लकड़ी की समस्या, अब काशी में नारियल के छिलकों से जलेंगी चिता

shalini
Published on: 22 July 2016 6:26 AM GMT
सुलझाने को लकड़ी की समस्या, अब काशी में नारियल के छिलकों से जलेंगी चिता
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बनारस: इंडिया में ज्यादातर लोग हिंदू हैं और हिन्दुओं में मरे हुए लोगों को कभी दफनाया नहीं जाता है। उनका अंतिम संस्कार हमेशा डेड बॉडी को जलाकर किया जाता है। किसी भी बॉडी को जलाने के लिए हमेशा 3 से 5 लकड़ी लग जाती है। इसी के चलते हमेशा से लकड़ियों की समस्या बनी रहती है। इस समस्या में सबसे आगे है बनारस।

जी हां, दुनिया भर में काशी के घाट दाह संस्कार के लिए फेमस हैं। यह जगह इतनी ज्यादा फेमस है कि यहां एनआरआई द्वारा डेड बॉडीज विदेशों से जलाने के लिए लाई जाती हैं। जिसकी वजह से काशी में लकड़ी की समस्या बनी हुई है लेकिन अब इस समस्या का काफी बेहतर ऑप्शन ढूंढ लिया गया है। लकड़ियों की समस्या दूर करने के लिए और पेड़ो की कटाई को कम करने के लिए कोयम्बटूर के ‘Kasi Pasumai Yatra’ ने नया तरीका ढूंढ निकाला है।

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क्या है वह तरीका

बता दें कि काशी में लकड़ी की समस्या से निपटने के लिए अब कोयम्बटूर से नारियल के छिल्कों को इकठ्ठा करके काशी भेजा जाएगा। इन छिलकों का पाउडर बनाया जाएगा और दाह संस्कार में इनका प्रयोग किया जाएगा। वैसे तो ‘Kasi Pasumai Yatra’ के संस्थापक आर नित्यानन्दम ने पहले शवों को छिलके से ही जलाने पर विचार किया था। किन्तु बाद में छिलकों का पाउडर बनाने का निर्णय लिया गया ताकि शव आसानी से जल जाएं।

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नारियल के छिल्के होंगे बेस्ट ऑप्शन

मोक्ष की नगरी कही जाने वाली काशी में हर रोज सैकड़ों डेड बॉडीज को जलाया जाता है। इंडिया में मरने वाले हर 1000 लोगो में से 2 लोगों का दाह संस्कार काशी में ही होता है। एक अनुमान के अनुसार काशी में हर दिन 280 टन लकड़ियों की जरुरत होती है। जिसे पूरा करना एक कठिन चैलेंज बनता जा रहा है, ऐसे में नारियल के छिलकों को लकड़ी के ऑप्शन के रूप में यूज किया जा सकता है। बता दें कि काशी में अब तक 140 टन नारियल के छिलकों का पाउडर भेजा जा चुका है।

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