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ये हैं छत्तीसगढ़ की असली बाहुबली बेटियां, मां के लिए चीर दिया धरती का सीना

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की दो बेटियों ने भी अपनी मां की खातिर धरती का सीना चीर कुआं खोद डाला, जिसकी आज हर ओर चर्चा हो रही है।

tiwarishalini
Published on: 4 Jun 2017 11:07 AM GMT
ये हैं छत्तीसगढ़ की असली बाहुबली बेटियां, मां के लिए चीर दिया धरती का सीना
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ये हैं छत्तीसगढ़ की असली बाहुबली बेटियां, मां के लिए चीर दिया धरती का सीना

ये हैं छत्तीसगढ़ की असली बाहुबली बेटियां, मां के लिए चीर दिया धरती का सीना

रायपुर: निर्देशक राजमौली की बहुचर्चित फिल्म 'बाहुबली' में अपनी मां को शिवजी के जलाभिषेक के लिए दूर से पानी भर-भर लाता देख बाहुबली शिवलिंग को ही उठाकर पानी के नजदीक ले जाते हैं। बाहुबली के इस दृश्य के मार्मिक दृश्यांकन में मां की तकलीफ और बेटे का समाधान दोनों को दर्शकों की खूब तालियां मिली।

मां की खातिर धरती का सीना चीर कुआं खोद डाला

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की दो बेटियों ने भी अपनी मां की खातिर धरती का सीना चीर कुआं खोद डाला, जिसकी आज हर ओर चर्चा हो रही है। इन बेटियों ने अपनी मां को दो किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाता देख, घर के नजदीक ही कुआं खोदने का बीड़ा उठाया और कुदरत ने उन्हें 20 फीट में पानी का उपहार दे दिया।

हौसलों के आगे हर कोई नतमस्तक

बेटियों की मां के प्रति प्रेम और वेदना के साथ-साथ ही उनके हौसलों के आगे हर कोई नतमस्तक हो रहा है। छत्तीसगढ़ की संसदीय सचिव चंपादेवी पावले ने भी बेटियों की इस हौसले की तारीफ की और हरसंभव मदद की बात कही है।

ये हैं छत्तीसगढ़ की असली बाहुबली बेटियां, मां के लिए चीर दिया धरती का सीना

मजदूर परिवार की शांति और विज्ञांति

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के विकासखंड मनेंद्रगढ़ के कछौड़ गांव की मजदूर परिवार की शांति और विज्ञांति। कछौड़ के कसहियापारा में अमरसिंह गोंड़ और उनकी पत्नी जुकमुल अपनी दो बेटियों शांति और विज्ञांति के साथ रहते हैं।

पानी के लिए जाना पड़ता था 2 किमी दूर

बताया जाता है कि कसहियापारा में 15 परिवार निवासरत हैं। जहां उनके लिए तीन हैंडपंपों की व्यवस्था की गई है, लेकिन दो खराब हैं और एक में दूषित पानी आता है जो किसी काम का नहीं है। ऐसी स्थिति में लोग पानी के लिए दो किलोमीटर दूर मुड़धोवा नाले पर निर्भर हैं।

ये हैं छत्तीसगढ़ की असली बाहुबली बेटियां, मां के लिए चीर दिया धरती का सीना

ना देख पाईं मां की तकलीफ

परिवार की जरूरतों को पूरा करने शांति और विज्ञांति की मां भी हर रोज दो किलोमीटर का सफर पानी के लिए किया करती थी। अपनी मां की इस तकलीफ को देख बेटियों ने घर के नजदीक कुआं खोदने की ठानी और सारी समस्या का समाधान अपने हौसलों से कर दिया।

मेहनत रंग लाई

बताया जाता है कि जब शांति और विज्ञांति ने घर के समीप कुआं खोदने की बात कही तो मां-पिता सहित सभी ने मजाक समझ कर टाल दिया, लेकिन बेटियों को कुआं खोदते देख वे सभी सहयोग के लिए जुट गए और उनकी मेहनत रंग लाई।

--आईएएनएस

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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