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कश्मीर हिंसाः जो काम पैलेट गन नहीं कर पाई वो नोटबंदी ने कर दिया
श्रीनगर: हिजबुल के आतंकी बुरहान वानी की 8 जुलाई को मुठभेड़ के दौरान हुई मौत के बाद घाटी में भड़की हिंसा को रोकने के लिए जो काम 'पैलेट गन' भी नहीं कर पाई वो नोटबंदी ने कर दिया। नोटबंदी के फैसले के बाद अभी तक कश्मीर में कोई पत्थरबाजी नहीं हुई है।
डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर ने 14 नवंबर को मुंबई में एक प्रोग्राम में कहा कि नोटबंदी से आतंकवाद को धन मिलना बंद हो गया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी भी बंद हो गई है। मनोहर पर्रिकर ने पीएम मोदी के इस फैसले को साहसिक बताते हुए धन्यवाद कहा है। उन्होंने कहा कि इससे नशीले पदार्थों पर भी रोक लगाने में मदद मिलेगी।
और क्या कहा डिफेंस मिनिस्टर में ?
-मनोहर पर्रिकर ने कहा कि पहले सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी के लिए 500 रुपए और अन्य काम के लिए 1000 रुपए दिए जाते थे।
-उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के इस फैसले ने आतंकवाद के वित्त पोषण को शून्य कर दिया है।
-पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं नहीं हो रही हैं।
-पर्रिकर ने कहा कि नोटबंदी से आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले प्रभावित होंगे।
पीएम मोदी ने पर्रिकर को बताया था नौ रत्नों में से एक
गौरतलब है कि रविवार को पणजी के पास श्यामा प्रसाद मुखर्जी इंडोर स्टेडियम में लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने मनोहर पर्रिकर को अपने मंत्रिमंडल के ‘नवरत्नों’ में से एक करार दिया था। पीएम मोदी ने कहा था कि वह आभारी हैं कि उनकी टीम में भी अकबर के दरबार में नौ रत्नों की तरह ही कई रत्न हैं। उनमें से एक चमकदार रत्न मनोहर पर्रिकर हैं।
आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या थी पैलेट गन...
क्या होती है पैलेट गन?
-ये दूसरी तरह की बंदूकों से अलग होती है।
-इससे दागे जाने वाले कारतूसों में सैकड़ों लेड के छर्रे होते हैं।
-भीड़ पर दागे जाने पर कारतूस कुछ दूरी पर फट जाता है और छर्रे तेजी से लोगों के शरीर में जा घुसते हैं।
-कई बार छर्रे लोगों की आंखों में भी लगते हैं और इससे उनकी आंख नष्ट हो जाती है।
कितने तरह के होते हैं छर्रे?
-सुरक्षाबल कई तरह के छर्रे वाले कारतूस इस्तेमाल करते हैं।
-इनमें गोल, नुकीले या अन्य बनावट के लेड के छर्रे होते हैं।
-ये छर्रे शरीर में जहां भी लगते हैं, वहां असहनीय दर्द होता है।
-इन छर्रों की खास बात ये है कि ये किसी की जान नहीं लेते।
साल 2010 से हो रहे इस्तेमाल
-जम्मू-कश्मीर में पैलेट गन का इस्तेमाल साल 2010 से हो रहा है।
-उस साल हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।
-पैलेट गन से श्रीनगर में ही बीते पांच दिन में 120 के करीब लोग घायल हुए हैं।
-घायलों में से पांच लोगों की एक आंख की रोशनी पूरी तरह चली गई है।
-जम्मू और कश्मीर के सभी दल पैलेट गन के खिलाफ हैं, लेकिन जिसकी भी सरकार आती है, वह इसका विरोध नहीं करता।