OMG: इतनी कम उम्र के बच्चों में भी डिप्रेशन,पैरेंट्स हो जाए सावधान

suman
Published on: 25 Aug 2018 10:01 AM GMT
OMG: इतनी कम उम्र के बच्चों में भी डिप्रेशन,पैरेंट्स हो जाए सावधान
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जयपुर: एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस नई थैरेपी के अनुसार अभिभावक बच्चों से बातचीत करने की कला सीख बच्चों में अवसाद (डिप्रेशन) को कम कर सकते हैं। इस रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि पेरेंट चाइल्ड इंट्रेक्शन थैरेपी(पीसीआईटी) से बच्चों में व्यवहारिक तौर पर होने वाले विकार से निजात दिलाई जा सकती है। साथ ही यह थैरेपी बच्चों के छोटी उम्र में हुए डिप्रेशन से बाहर निकालने में कारगर साबित हो सकती है।

बता दें कि कुछ मामलों में 3 साल की उम्र के बच्चों में भी डिप्रेशन पाया गया है। वहीं स्कूल जाने से पहले ही बच्चों को एंटी डिप्रेशन दवाएं लेने की जरूरत पड़ती है। ऐसी स्थिति में बच्चों को साइकोथैरेपी की भी जरूरत पड़ती है। पेरेंट चाइल्ड इंट्रेक्शन थैरेपी(पीसीआईटी) में अभिभावकों को बच्चों से बात करने की सही तकनीक सिखाई जाती हैं। इन तकनीकों का अभ्यास पेरेंट्स पहले विशेषज्ञों की देखरेख में कर सकते हैं।

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कम उम्र में बच्चों को अवसाद से बचाने के लिए शोधकर्ताओं ने इस थैरेपी में उनके भावनात्मक विकास के लिए भी मोड्यूल तैयार किया है। पीसीआईटी थैरेपी में इस्तेमाल होने वाली तकनीकों से पेरेंट्स बच्चों को उनकी भावनाओं पर नियंत्रण रखना सीखा सकते हैं और साथ ही वे उनके बेहतर भावनात्मक सहभागी भी बन सकते हैं। इन तकनीकों को इस तरह तैयार किया गया है कि बच्चे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखने के साथ-साथ भावनाओं को बेहतर तरीके से व्यक्त भी कर पाएं।

जोएल शैर्रील, जो कि यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ के डिप्टी डायरेक्टर हैं, कहते हैं कि इस अध्ययन में कम उम्र के बच्चों में पाए जाने डिप्रेशन के कारण और उनके लक्षणों का पता लगाया गया है। साथ ही इससे छुटकारा पाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए इसका भी पता लगाया गया है। 3 से 6 साल की उम्र के अवसादग्रस्त बच्चों को (अर्ली चाइल्डहुड डिप्रेशन) यानी कम उम्र में अवसाद की कैटेगरी में रखा जाता है। साथ ही ऐसे बच्चों के अभिभावकों को पीसीआईटी थैरेपी के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।

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