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रेप केस: भारत में 13 साल पहले आखिरी बार इस दरिंदे को मिली थी फांसी की सजा ...

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (05 मई) को निर्भया गैंगरेप केस में हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए चारों दोषियों अक्षय कुमार सिंह, पवन, विनय शर्मा और मुकेश की फांसी की सजा सुनाई है।

tiwarishalini
Published on: 5 May 2017 12:05 PM GMT
रेप केस: भारत में 13 साल पहले आखिरी बार इस दरिंदे को मिली थी फांसी की सजा ...
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रेप केस: भारत में 13 साल पहले आखिरी बार इस दरिंदे को मिली थी फांसी की सजा ...

रेप केस: भारत में 13 साल पहले आखिरी बार इस दरिंदे को मिली थी फांसी की सजा ...

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (05 मई) को निर्भया गैंगरेप केस में हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए चारों दोषियों अक्षय कुमार सिंह, पवन, विनय शर्मा और मुकेश की फांसी की सजा सुनाई है।चारों दोषियों ने फांसी के ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था, लेकिन चारों दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली।

क्या था मामला ?

दरअसल 16 दिसंबर 2012 की रात दक्षिणी दिल्‍ली के मुनीरका इलाके में पैरामेडिकल की स्टूडेंट निर्भया (23) अपने दोस्त के साथ मूवी देखकर लौट रही थी। बस में मौजूद कुछ लोगों ने दोनों को धोखे से बैठा लिया था। 6 बदमाशों ने निर्भया से बर्बरता के साथ चलती बस में गैंगरेप किया था। बाद में, उसे और उसके दोस्त को रास्ते में फेंक दिया था। 13 दिन बाद इलाज के दौरान सिंगापुर में निर्भया की मौत हो गई थी। देशभर में गैंगरेप केस का जमकर विरोध हुआ था। एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ में फांसी लगा ली थी। चार को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। घटना के वक्त नाबालिग रहे एक अन्य आरोपी को सुधार गृह भेजा गया था। 3 साल सजा काटने के बाद वह पिछले साल दिसंबर में रिहा हो गया था।

अगली स्लाइड पढ़ें रेप मामले में भारत में आखिरी बार किसे और कब फांसी की सजा मिली थी?

वैसे तो भारत में पिछली बार फांसी 1993 के मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को जुलाई 2015 में दी गई थी, लेकिन रेप मामले में आख़िरी बार फांसी साल 2004 में पश्चिम बंगाल के धनंजय चटर्जी को दी गई थी।

14 साल तक चले मुक़दमे और विभिन्न अपीलों और याचिकाओं को ठुकराए जाने के बाद धनंजय को कोलकाता की अलीपुर सेंट्रल जेल 14 अगस्त 2004 को फांसी दी गई थी। चटर्जी ने 14 साल की हेतल पारिख के साथ रेप कर उसकी हत्या कर दी थी।

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कोलकाता के टॉलीगंज के रहने वाले जल्लाद नाटा मलिक ने धनंजय को फाँसी देने का काम अंजाम दिया था जब धनंजय को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी, उस समय पश्चिम बंगाल में कोई भी जल्लाद नहीं था, क्योंकि मलिक इससे कुछ महीने पूर्व ही रिटायर हो गए थे।

धनंजय को फांसी देने के लिए राज्य सरकार ने नाटा से संपर्क साधा, लेकिन मलिक ने दोबारा जल्लाद बनने के बदले अपने बेटे को सरकारी नौकरी देने की शर्त रखी। सरकार ने मलिक की शर्त मानी और फिर वह धनंजय को फांसी पर लटकाने के लिए तैयार हुए दिसंबर 2009 में नाटा मलिक का कोलकाता में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।

चटर्जी के पहले भी कुलजीत सिंह उर्फ रंगा और जसबीर सिंह उर्फ बिल्ला को 1982 में फांसी दी गई। दोनों ने फिरौती के लिए दो बच्चों को अगुवा कर उनकी निर्मम हत्या कर दी थी। 27 नवंबर 1983 को बहुचर्चित जोशी-अभ्यंकर मर्डर केस में राजेंद जक्कल, दिलीप सुतार, शांताराम जगताप और मुनावर शाह को फांसी दी गई है।

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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