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पाई-पाई को मोहताज यह बिजनेस टाइकून, 3,000 करोड़ का सालाना कारोबार करती है इनकी कंपनी

aman
By aman
Published on: 10 Aug 2017 12:28 PM GMT
पाई-पाई को मोहताज यह बिजनेस टाइकून, 3,000 करोड़ का सालाना कारोबार करती है इनकी कंपनी
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पाई-पाई को मोहताज यह बिजनेस टाइकून, 3,000 करोड़ का सालाना कारोबार करती है इसकी कंपनी

मुंबई: उनकी कहानी बिल्कुल बॉलीवुड की किसी फिल्म की तरह ही है। मुम्बइया फिल्मों में जिस तरह दिखाया जाता है कि किस तरह एक बिजनेस टाइकून पैसे-पैसे को मोहताज हो गया आज वही हालत उनकी भी हो गई है। हिन्दी सिनेमा में अक्सर ऐसी कहानियां दिखाई जाती हैं कि कोई भिखारी से बहुत पैसे वाला तो कोई बहुत पैसे वाला भिखारी बन जाता है। वैसे हकीकत की जिंदगी में हमने शायद ही ऐसा वाकया देखा हो, मगर विजयपत सिंघानिया की जिंदगी की कहानी ऐसी ही है।

देश के सबसे अमीर परिवारों व बड़े उद्योगपतियों में शुमार सिंघानिया आज एक-एक पैसे के मोहताज हो गए हैं। कपड़ों में देश के जाने-माने ब्रांड रेमंड को अपने बेटे गौतम को सौंपने के बाद 78 साल के सिंघानिया दर-दर भटकने को मजबूर हैं। उन्होंने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है। मजे की बात तो यह है कि रेमंड का करीब 3,000 करोड़ का सालाना कारोबार है।

बेटे गौतम ने रेमंड को बनाया व्यक्तिगत जागीर

सिंघानिया का आरोप है, कि उनके बेटे गौतम ने उन्हें एक-एक पाई का मोहताज बनाकर रख दिया है। उनका यह भी आरोप है कि उनका बेटा रेमंड को व्यक्तिगत जागीर जैसे चला रहा है। रेमंड को बेटे गौतम को सौंपने के बाद मौजूदा समय में विजयपत खुद ग्रैंड पराडी सोसायटी में एक किराए के मकान में रह रहे हैं। हाईकोर्ट में दायर याचिका में उन्होंने मालाबार हिल्स स्थित पुनर्विकसित 36 मंजिल वाली इमारत जेके हाउस में डुप्लेक्स में कब्जा मांगा है। सिंघानिया के वकील ने हाईकोर्ट को उनकी खस्ता आर्थिक हालत की जानकारी देते हुए बताया कि वे किस तरह पैसों की तंगी का सामना कर रहे हैं।

आगे की स्लाइड में पढ़ें पूरी कहानी ...

बेटे के नाम कर चुके हैं सारी संपत्ति

सिंघानिया देश की चर्चित हस्तियों में रहे हैं। उन्हें पद्मभूषण सम्मान भी दिया जा चुका है। वे मुंबई के शेरिफ भी रह चुके हैं। उनके वकील दिनयार मेडन ने हाईकोर्ट को बताया कि विजयपत अपनी सारी संपत्ति अपने बेटे गौतम के नाम कर चुके हैं। वे रेमंड में अपने सारे शेयर भी बेटे के नाम कर चुके हैं। इन शेयरों की कीमत करीब 1000 करोड़ रुपए है। सारी संपत्ति व शेयर अपने नाम करवाने के बाद बेटे गौतम ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है। हालत यहां तक पहुंच चुकी है कि विजयपत से गाड़ी व ड्राइवर भी छीन लिए गए हैं।

घर पाने के लिए हाईकोर्ट में दायर की याचिका

विजयपत की ओर जिस घर के पजेशन के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है वह 1960 में बना था। यह इमारत 14 मंजिला बनायी गई थी। मुंबई के पॉश इलाके मालाबार हिल्स में बनी इस इमारत का बाद में विकास कराया गया। मौजूदा समय में यह इमारत 36 मंजिला है। 2007 में इसमें चार डुप्लेक्स रेमंड की सब्सिडरी पशमिना होल्डिंग्स को दे दिए गए। उसी साल इसे फिर से बनाने का फैसला किया गया। उस समय हुई डील के मुताबिक सिंघानिया,गौतम, वीनादेवी (विजयपत के भाई की विधवा) और उनके बेटों अनंत व अक्षयपत को 5,185 वर्ग फीट के एक-एक डुप्लेक्स मिलने थे। इसके लिए उन्हें नौ हजार रुपए प्रति वर्ग फीट की कीमत देनी थी। इमारत में अपना हिस्सा पाने के लिए वीनादेवी व अनंत ने पहले ही हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर रखी है। अक्षयपत भी इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच चुके हैं। विजयपत के वकील ने कहा कि वे अपना सबकुछ अपने बेटे को दे चुके हैं, मगर अब बेटा उन पर ध्यान नहीं दे रहा और वे किराए के घर में रहने को मजबूर हैं। सिंघानिया के मुताबिक रेमंड के दो कर्मचारियों ने उनकी संपत्ति, बैंक के दस्तावेज व व्यक्तिगत फाइलों को देखा था। उसके बाद ये दस्तावेज भी उनकी पहुंच से बाहर हो गए। उनका आरोप है कि उनके बेटे ने उन पर दबाव बनाने व उन्हें परेशान करने के लिए ऐसा किया। सिंघानिया आजकल नेपियन सी रोड पर एक किराए के मकान में रह रहे हैं।

बातचीत से मामला सुलझाने का सुझाव

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस गिरीश कुलकर्णी ने कहा, कि परिवार ऐसे विवाद बातचीत से सुलझाएं तो बेहतर होगा। कुलकर्णी के इस सुझाव पर दोनों पक्षों के वकील बातचीत के लिए राजी हो गए हैं। वैसे हाईकोर्ट ने सिंघानिया की याचिका पर रेमंड से 18 अगस्त तक जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को तय की गई है।

कानपुर के मशहूर सिंघानिया परिवार से जुड़े हैं विजयपत

विजयपत सिंघानिया कानपुर के मशहूर सिंघानिया परिवार से ताल्लुक रखते हैं। कानपुर में कमलापत सिंघानिया ने अपने व पिता जुग्गीलाल के नाम को मिलाकर जेके समूह की बुनियाद रखी थी। कमलापत के तीन बेटे हुए-पद्मपत, कैलाशपत व लक्ष्मीपत। कमलापत ने मृत्यु से पहले अपने बिजनेस साम्राज्य को तीन भागों में बांट दिया था। पद्मपत का परिवार को कानपुर में टिका रहा, मगर कैलाशपत का परिवार मुंबई व लक्ष्मीपत का परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया। बाद में कैलाशपत के बेटों अजयपत व विजयपत सिंघानिया ने रेमंड ब्रांड से अपने कपड़े के कारोबार को आगे बढ़ाया। अजयपत का निधन होने के बाद विजयपत ही रेमंड का कारोबार देखने लगे, क्योंकि अजयपत के दोनों बच्चे छोटे थे। विजयपत के भी दो बेटे हुए-मधुपति व गौतम। इनमें भी मधुपति का निधन हो गया। इस कारण विजयपत कारोबार में मदद के लिए पूरी तरह अपने बेटे गौतम पर ही आश्रित हो गए।

विजयपत का सफर:

-4 अक्टूबर 1938 को कानपुर में जन्म हुआ।

-कपड़े की दुनिया के बड़े नाम रेमंड ग्रुप के चेयरमैन रहे हैं।

-दिसंबर 2005 से दिसंबर 2006 तक मुंबई के मानद मेयर (शेरिफ) रहे।

-67 साल की उम्र में सबसे अधिक ऊंचाई पर हॉट एयर बैलून उड़ाया।

-उल्लेखनीय सेवाओं को लिए पद्मभूषण से अलंकृत।

-1998 में ब्रिटेन से भारत तक अकेले माइक्रोलाइट विमान उड़ाकर लाए।

-1994 में 24 दिन में 34 हजार किमी की उड़ान पूरी की।

-एयरफोर्स की ओर कमोडोर की मानद उपाधि से नवाजा जा चुका है।

-एन एंजल इन द कॉकपिट सहित कई किताबें भी लिखीं।

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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