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जल की हर बूंद है अनमोल, समझें इसकी अहमियत
नमामि गंगे योजना के तहत मोदी सरकार ने 2014 में 20 हजार करोड़ रुपये आंवटित किये थे। इस योजना के तहत गंगा की 250 परियोजनाएं चिन्हित की गई है। इसमें से 47 पूरी हो गई है। इसमें यमुना समेत 40 नदियां और नाले शामिल है।
लखनऊ: पानी की एक- एक बूंद को बचाना समय की जरूरत है। अगर हम आज न संभले तो आने वाली पीढियों को भयावह नतीजों का सामना करना पड़ेगा। मुफ्त में मिले इस बहुमूल्य संसाधन का इतना नुकसान किया जा रहा है कि आज भारत में बहने वाली अधिकतर नदियों के प्रवाह क्षेत्र और उनकी जल गुणवत्ता प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है। उम्मीद है 2019 में पानी बचाने के प्रति हम ज्यादा जागरूक होंगे। देश में जल संचयन, गंगा सफाई जैसी चल रही अहम योजनाएं नई उम्मीद जगाती है।
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जल संरक्षण के लिए सरकार चला रही ये खास योजनाएं
नमामि गंगे योजना
मोदी सरकार ने 2014 में 20 हजार करोड़ रुपये आंवटित किये थे। इस योजना के तहत गंगा की 250 परियोजनाएं चिन्हित की गई है। इसमें से 47 पूरी हो गई है। इसमें यमुना समेत 40 नदियां और नाले शामिल है। यमुना में ही 34 परियोजनाएं चल रही है। जिसमें 12 दिल्ली में है। इन योजनाओं में गंगा में गिरने वाले गंदे नालों को शोधन यंत्रों द्वारा शोधित करने पर जोर दिया जा रहा है। मार्च 2020 तक गंगा पूरी तरह से निर्मल करने का को सरकार प्रतिबद्ध है।
अटल भूजल योजना
भूजल के संरक्षण के लिए जून 2018 में शुरू हुई। विश्व बैंक द्वारा अनुमोदित यह योजना गुजरात, महराष्ट्र हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिए प्रस्तावित है।
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राष्ट्रीय अभियान
जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने, संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान और जल के कुशलतम इस्तेमाल को बढ़ाना इसका मकसद है। इस साल इस अभियान के द्वारा 20 फीसद जल संरक्षण संभव है।
भूजल संरक्षण
सरकार द्वारा देश भर में भूजल के बारें में अधिक जानकारी जुटाने और उसे बचाने के लिए नेशनल एक्विफायर मैनेजमेंट परियोजना चलाई जा रही है। यह हेलीबोन जियोफिजिकल सर्वे सिस्टम पर आधारित है। इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला भारत सातवां देश है।
2017-22 के बीच इसके तहत 14 लाख वर्ग किमी. क्षेत्रफल में मैपिंग किये जाने का लक्ष्य है।
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-26 प्रतिशत देश के क्षेत्रफल में गंगा का प्रवाह क्षेत्र फैला है।
-गंगा 28 प्रतिशत जल संसाधनों में योगदान करती है ।
-43 प्रतिशत जनता पानी के लिए गंगा पर निर्भर है।
-71 प्रतिशत पृथ्वी की सतह पर जल मौजूद है।
-96.5 प्रतिशत उपलब्ध खारा जल है।
-3.5 प्रतिशत पीने योग्य जल (इसमें से 68 फीसद जल बर्फ व ग्लेशियर के रूप में, एक –तिहाई धरती की सतह के अंदर (भूजल) और नदियों और झीलों के रूप में मौजूद है।
-5177 घन मीटर: 1951 में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता
-1341 घन मीटर : 2025 तक प्रति व्यक्ति उपलब्धता होने का अनुमान
-नल से औसतन प्रति मिनट 20 लीटर पानी निकलता है। इस्तेमाल करने पर इस बर्बादी को रोका जा सकता है। नल से पानी की एक बूंद प्रति सेकेण्ड लगातर टपकने पर सलाना 2700 गैलन तक पानी बर्बाद हो सकता है।
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