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इस आश्रम में लगता है रोगियों का महाकुंभ, यहां नहीं हैं मजहबी दीवारें
बाराबंकी: सियासी दल जहां हिन्दू और मुस्लिम को वोटों की खातिर पर बांट रहे हैं, वहीं आज भी देश का हिन्दू और मुस्लिम आपसी लड़ाई नहीं चाहता। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में स्थित हड़ियाकोल श्री राम वन कुटीर आश्रम निर्धन रोगियों के लिए महाकुंभ के जैसा ही है। यहां स्थित 'श्री राम स्मृति चिकित्सालय' में रोगियों का मुफ्त इलाज होता है। हर बार की तरह इस साल भी हड़ियाकोल में इन दिनों न सिर्फ उत्तर प्रदेश से मरीज पहुंचे हैं बल्कि दूसरे प्रांत बिहार, नेपाल, बुंदेलखंड, के अलावा झारखण्ड से भी इलाज कराने के लिए लोग यहां आए हैं।
आंख के मरीज को चेक करते डॉक्टर।
क्या कहा मरीजों ने
सीतापुर जिले से आश्रम में इलाज कराने आए पंडित ईश्वरदीन और मौलाना नसीरुद्दीन का कहना है कि यहां उन्हें सबसे बड़ी इंसानियत दिखती है। एक दूसरे के स्वास्थ्य को लेकर भगवान राम के भक्त हनुमान जी के दरबार में प्रार्थना करते हैं। आंख का इलाज कराने आए मो. असलम ने कहा हम हिन्दुस्तान में रहकर एक दूसरे को अपना भाई मानते हैं। जो लोग उन्हें लड़वाने की सोचते हैं वो सिर्फ वोटों की गंदी राजनीति के लिए ही सोचते हैं और कुछ नहीं। पंडित ईश्वरदीन ने मुस्लिम भाइयों के कन्धों से कंधा मिलाकर कहा कि साम्प्रदायिक सद्भाव में जादा सुकून है क्योंकि हम सभी हिन्दुस्तानी है।
इलाज के लिए पंक्ति में बैठे मरीज।
आश्रम मेें हैं ये डॉक्टर
आश्रम में देश के प्रसिद्द डॉक्टर अपनी निशुल्क सेवाएं देते हैं। राजस्थान उदयपुर से डाक्टर आर के अग्रवाल, डॉ जे.के छापरवाल, डॉ विनिया पेंडसे, वैध दिलकश सेठ। हरियाणा प्रान्त के भिवानी के विधायक व डॉ शिवशंकर भारद्वाज व कमला भारद्वाज। कलकत्ता से डॉक्टर रमेश अग्रवाल व डॉ. पीपाड़ा। आंध्र प्रदेश के हैदराबाद से सर्जरी के लिए डॉ उषा वोहरा। पंजाब के जालंधर से डा. जैकब प्रभाकर अपनी दर्जनों डाक्टरों की टीम के साथ है। लखनऊ की डॉक्टर राजेश व अर्चना अग्रवाल और बाराबंकी के डॉ संतोष जैन।
आश्रम में भर्ती मरीज
-आश्रम में इस साल लगभग(4,500) रोगियों का रजिस्ट्रेशन आश्रम द्वारा किया गया है।
-इसमें 26 बालरोगी, 3500 नेत्र रोगी, और अन्य सर्जरी के लिए 700 मरीज भर्ती हुए हैं।
समिति के अध्यक्ष ने क्या कहा
-स्वामी श्री रामज्ञानदास जी महाराज ने बताया, सीतापुर और लखीमपुर खीरी से 50 मरीज आए हैं।
-नेपाल,बिहार,झारखण्ड सहित बुंदेलखंड से भी मरीज हैं।
-लखनऊ से मात्र 30 किमो दूर बाराबंकी रेलवे स्टेशन से महज 5 किलोमीटर दूर ये आश्रम है।
-तीन महीने पहले ही रजिस्ट्रेशन होता है। इस दौरान मरीज को पहचान पत्र लाना आवश्यक है।
-इस साल 23 जनवरी से स्वास्थ्य कैम्प शुरू किया गया है जो फरवरी महीने चलता रहेगा।
आश्रम में होता है इन मर्जों का इलाज
-आंखों के मोतियाबिंद की सर्जरी व हार्निया के अलावा महिलाओं की बच्चेदानी का इलाज।
-यूट्रेस से जुडी सारी बीमारियों का इलाज यहां के डाक्टर करते है!
-मरीजों के लिए निशुल्क दवाइयां और खाने.पीने व रहने की सुविधाएं की जाती है !