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कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं है दूर इन रिश्तों से तो जान लें क्या होगा नुकसान
जयपुर:बचपन की छुट्टियों में दादी और नानी के घर जाना और वहां की गई शरारतें तो सभी को याद ही होगीं, साथ ही खेल-खेल में कितनी सारी अच्छी बातें और आदतें सीख जाते थे। जिनका हमें पता जिंदगी की कठिनाईयों में लगता था।
लेकिन आज के दौर की न्यूकिलर फैमिली में बच्चों को अपने दादी-नानी का वो प्यार और लाड़ नहीं मिल पाता है, जिसका असर बच्चों के व्यक्तित्व पर साफ दिखाई देता है, इसलिए बच्चों की जिंदगी में इन रिश्तों की अहमियत को बताने की जरूरत हैं।
-अगर अपने बच्चों को अपनी ही तरह की परवरिश देना चाहते हैं,तो उन्हें भी अपने दादा-दादी और नाना-नानी के पास जाने से न रोकें। क्योंकि उनके पास कहानियों और किस्सों में बहुत सारे संस्कार और व्यक्तित्व को निखारने के नुस्खे होते हैं। जो आज कही खोते जा रहे हैं
- धैर्य, सहनशक्ति और विनम्रता हम सबकी पर्सनेलिटी के वो गुण हैं, जिसके होने पर मुश्किल वक्त से लड़ने की हिम्मत पाते हैं। अगर ये गुण खुद में चाहते हैं तो बच्चे अपनी परेशानी को पहले समझे और बिना घबराए और घुटने टेकें उसको हल करने की कोशिश करें।
-बड़े-बुजुर्गों को अक्सर अनुभवों का वो खजाना कहा जाता है जो कभी खत्म नहीं होता। घर के बड़े अपने बच्चों और अपने नाती-पोतों को हर परेशानी से बचाने के लिए रोज नए-नए उपाय और टिप्स बताते हैं। जिनका असर कुछ समय के लिए ही नहीं बल्कि जिंदगी भर रहता है।
-आज के दौर में बच्चों और पेरेंट्स के बीच लगातार एक-दूसरे की बात न समझ पाने की वजह से दूरियां बढ़ती जा रही हैं। जिन्हें सिर्फ एक-दूसरे के साथ वक्त बिता कर ही दूर किया जा सकता है। ऐसे में अगर बच्चों को अपने दादी-दादा और नानी-नाना का साथ मिल जाता है तो कई बार बातों को बिगड़ने से रोका जा सकता है। इसका एक फायदा ये भी है कि घर के बड़े लोगों और बच्चों को अकेलेपन से नहीं जूझना पड़ेगा।
-आज जब दोनों ही पेरेंट्स वर्किंग होते हैं,जिससे बच्चे में सोशल मीडिया और अकेलेपन की वजह से कई गलत आदतें और बीमारियां होने लगती हैं। अगर ऐसे में बच्चे अपने ग्रेंड पेरेंट्स के साथ रहते हैं,तो उनमें बड़ों को देखकर दूसरों की केयर करना और उनकी रिस्पेक्ट करने जैसे गुणों का विकास होने लगता है।
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