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भटकाया मुश्किलों ने, जमाने ने डराया, शिक्षा का मतलब मेरे गुरु आपने समझाया

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Published on: 4 Sep 2016 12:19 PM GMT
भटकाया मुश्किलों ने, जमाने ने डराया, शिक्षा का मतलब मेरे गुरु आपने समझाया
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SANDHYA YADAV SANDHYA YADAV

लखनऊ: गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काई खोट।

अंतर हाथ सहारि दे, बाहर मारे चोट।

ये वो चंद लाइनें हैं, जो हर इंसान की जिंदगी की सच्चाई है। इंसान उस कच्चे घड़े की तरह है, जिसे मां-बाप के चाक पर रखने के बाद उसके टीचर उसे संवारते हैं। एक टीचर वह कुम्हार है, जो अपनी शरण में आए स्टूडेंट्स को तब-तक ठोकता-पीटता है, जब तक उसे सही सही शेप न मिल जाए। फिल्म ‘तारे जमीन पर’ में अगर राम शंकर निकुम्भ सर न होते, ‘चक दे इंडिया’ में अगर कबीर खान न होते, तो क्या फिल्म का कोई वजूद होता शायद नहीं... ठीक वैसे ही अगर किसी इंसान की लाइफ में टीचर न हो, तो शायद उसका आगे बढ़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। कहते हैं कि जब द्रोणाचार्य ने एकलव्य को सिर्फ नीच जाति का होने के कारण शिक्षा देने से मना कर दिया था, उसके बाद भी एकलव्य ने उनकी मिट्टी की मूर्ति बनाकर तीरंदाजी का अभ्यास किया था क्योंकि वह जानता था कि बिना गुरु ज्ञान संभव ही नहीं है।

भले ही आज एक टीचर और स्टूडेंट का रिश्ता बदल गया हो, लेकिन कहीं न कहीं एक डोर तो आज भी कायम है, जिसने इनडायरेक्टली एक टीचर और स्टूडेंट को बांध रखा है। वो ज़माने बीत गए, जब एक टीचर का नाम सुनते ही बच्चे मार की डर से कांपने लगते थे। आज टीचर अपने स्टूडेंट्स के साथ फ्रेंडली हो चुके हैं। वह बखूबी जानते हैं कि किस तरह से अपने स्टूडेंट्स को हैंडल करना है। कभी-कभी कुछ बच्चों के शॉर्ट टेम्पर होने के चलते उन्हें परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। लेकिन फिर भी आज स्टूडेंट्स और टीचर्स की अंडरस्टैंडिंग काफी अलग है। आज अगर देश की बेटी पीवी सिंधु ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीत कर लाई है, तो वह उसके गुरु गोपीचंद की मेहनत का ही फल है। यह बात खुद सिंधु ने भी स्वीकारी है।

समय बदलने के साथ भले ही कुछ लोगों ने इस रिश्ते को कमजोर करने की कोशिश की, लेकिन आज भी कुछ ऐसे स्टूडेंट्स मौजूद हैं, जो खुद को आगे बढ़ाने के श्रेय अपने गुरुओं को देते हैं। ये स्टूडेंट्स भले ही आज अपने टीचर से अलग हो चुके हों, लेकिन उनकी बताई हर बात को आज भी फॉलो करते हैं। इन स्टूडेंट्स का कहना है कि अगर उनकी लाइफ में ये टीचर न होते, तो शायद वह अपनी लाइफ में आगे बढ़ने वाले कदम को आगे नहीं बढ़ा पाते।

शिक्षक दिवस के इस ख़ास मौके पर मिलवाते हैं, आज आपको हमारे लखनऊ के कुछ ऐसे ही स्टूडेंट्स से, जिनका रिश्ता द्रोणाचार्य-एकलव्य की तरह ही कायम है। यह स्टूडेंट्स अपने टीचर को Newstrack.com के माध्यम से थैंक्स कहकर अपने रेस्पेक्ट और प्यार को बयां कर रहे हैं। इनका मानना है कि अगर आज ये लाइफ में आगे बढ़ रहे हैं, तो सिर्फ और सिर्फ अपने टीचर्स की वजह से...

आगे की स्लाइड में मिलिए कुछ ऐसे ही स्टूडेंट्स से

ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली नजवा अख्तर अपनी टीचर को स्पेशल थैंक्स कहना चाहती हैं। उनका कहना है कि "बिन गुरु नहीं होता जीवन साकार, सर पर जब होता गुरु का साथ, तभी बनता है जीवन का सही आकार, गुरु ही हैं सफल जीवन का आधार।"

najwa akhtar

आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहना है विशाल नंदन का

एनसीसी की ट्रेनिंग ले रहे विशाल नंदन का कहना है कि अब तक उनकी लाइफ में जितने भी टीचर आए, सबसे कुछ न कुछ सीखने को मिला है। लेकिन वह अपनी गीता मैम को कभी नहीं भूल सकते। उनका कहना है कि जब वे 12वीं में पायनियर इंटर कॉलेज में पढ़ते थे, तब वह उन्हें पढ़ाती थी। वह लाइफ में आगे बढ़ने का श्रेय अपनी गीता मैम को देते हैं।

vishal nandan

आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहना है आदित्य तिवारी का

फोटोग्राफी का शौक रखने वाले आदित्य तिवारी बताते हैं कि जब वह नवीं कक्षा में पढ़ते थे, तो उन्हें इंग्लिश का फोबिया था। इंग्लिश का नाम सुनते ही उनके पसीने छूटने लगते थे। लेकिन उनकी नई इंग्लिश टीचर आई, तो उनका यह डर फुर्र हो गया। उनमें उनकी मैम ने इंग्लिश के लिए कांफिडेंस जगाया। वह कहते हैं कि आज वह अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। लेकिन फिर भी वह हर टीचर डे पर अपनी मैम से मिलने जाते हैं।

aaditya tiwari

आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहना है कौशिकी त्रिपाठी का

मास मीडिया की छात्रा रह चुकी कौशिकी त्रिपाठी का कहना है कि उनकी मुलाकात अपनी मैम से तब हुई, जब उन्होंने एक प्रतियोगिता में गजल गाई। वह मैम गजल सुनने आई थी और बाद में उन्होंने उसकी तारीफ की। कौशिकी को उन्होंने गजल से जुड़ी बातें भी समझाई। तब से कौशिकी और मैम के बीच एक अनोखी डोर बंध गई।

kaushiki tripathi

आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहना है हिमांशु का

आपने बनाया है मुझे इस योग्य, कि प्राप्त करूं मैं अपना लक्ष्य, दिया है आपने हर समय इतना सहारा, जब भी मुझे लगा कि मैं हारा

ग्रेजुएशन में पढ़ाई करने वाले हिमांशु यादव का कहना है कि उन्हें डांस की एबीसीडी उनकी मैम नदीम खान ने सिखाई है। अब वह जब भी डांस करते हैं, तो सबसे पहले उन्हीं को याद करते हैं।

himanshu

आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहना है रिजवान खान का

केकेसी के छात्र रह चुके रिजवान खान का कहना है कि जब वह वहां पढ़ाई कर रहे थे। तब उनके टीचर सुनील दत्त शर्मा और सुधीर हजेला ने काफी सपोर्ट किया। उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। टीचर डे पर वह उन्हें थैंक्स बोलते हैं।

rijwan khan

आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहना है विपिन यादव का

अज्ञानता को दूर करके ज्ञान की ज्योति जलाई है, गुरु के चरणों में ही रहकर हमने सब शिक्षा पाई है, गलत राह पर भटके जब जब हम , ऐ मेरे गुरु तब-तब आपने ही राह मुझे दिखाई है।

शकुंतला यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले छात्र विपिन यादव अपने टीचर शशिभूषण, प्रवीण मिश्रा को स्पेशल थैंक्स बोल रहे हैं।

vipin yadav

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इंजीनियरिंग के छात्र रत्नेश मिश्रा का कहना है कि वह जब 12वीं कक्षा में पढ़ते थे, तबके उनके सभी टीचर की एक तस्वीर उनके पास आज भी है। वह अपने सभी टीचर्स को थैंक्स बोल रहे हैं।

ratnesh mishra

आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहना है अंकिता बाजपेई का

"नहीं हैं शब्द कैसे करूं मैं धन्यवाद, बस चाहिए हर पल आप सबका आशिर्वाद, हूं जहां मैं आज उसमें है बड़ा योगदान, आप सबका जिन्होंने दिया मुझको इतना ज्ञान " कुछ इन शब्दों के साथ अपनी टीचर को अंकिता बाजपेई थैंक्स बोल रही हैं।

ankita bajpai

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