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16 पॉइंट्स में जानिए कहानी उस करतारपुर की जिसे इंडियन दूरबीन से निहारते हैं
आशीष शर्मा 'ऋषि'
लखनऊ : पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान के नवनियुक्त पीएम इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने इस्लामाबाद गए। वहां वो आर्मी चीफ क़मर जावेद बाजवा के गले लग लिए। इसके बाद जब फोटो वायरल हुई तो सिद्धू ने 7 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। इसमें सिद्धू ने पाकिस्तानी पीएम इमरान खान को धन्यवाद देते हुए कहा कि गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के मौके पर पाकिस्तान करतारपुर से लगी सीमा खोलने वाला है। जब सिद्धू से पूछा गया कि उन्हें कैसे पता चला, तो गोलमोल सा जवाब दे निकल लिए। जबकि हकीकत में पाकिस्तान ने ऐसा कुछ कहा ही नहीं था। वो तो सिद्धू ने अपने हिसाब से कहानी बना ली थी।
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पाकिस्तान ने कोई वादा नहीं किया
पाकिस्तान से लौट सिद्धू ने ऐलान कर दिया कि गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के मौके पर पाकिस्तान करतारपुर से लगी सीमा खोलने वाला है। लेकिन पाकिस्तान से ऐसी कोई खबर अभीतक नहीं आई है और न ही उसने कोई वादा किया। फिर सवाल ये उठता है की सिद्धू ने इस मुद्दे को उठाया क्यों..? हमने जब पंजाब में इस का जवाब खोजने का प्रयास किया तो दो बातें निकल कर सामने आईं। पहली ये कि वहां के सिक्खों में करतारपुर को लेकर बहुत सम्मान है और वो चाहते हैं कि उनकी सरकार पाकिस्तान के साथ वार्ता कर मामला सुलझा ले। इसीलिए पंजाब में सक्रीय सभी राजनैतिक दल इस मुद्दे को भुनाने का प्रयास करते हैं। वहीं दूसरी बात ये पता चली की सिद्धू को इमरान से अपनी दोस्ती पर बड़ा भरोसा था। उन्हें लगा की जब वो सार्वजनिक तौर पर करतारपुर को लेकर इस तरह का बयान देंगे तो इमरान फौरन हामी भर देंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और सिद्धू की फजीहत शुरू हो गई।
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ये तो रही सिद्धू की बात अब जानते हैं कि आखिर ये स्थान इतना खास क्यों है
- भारत-पाक सीमा पर पाकिस्तान में एक शहर है नरोवाल। नरोवाल से लगभग एक घंटे की दूरी पर एक छोटा सा गांव है- करतारपुर।
- करतारपुर का गुरुद्वारा ‘दरबार साहिब’ सिखों के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। जैसे हिंदुओं के लिए केदारनाथ।
- कहा जाता है कि इसे गुरु नानक देव ने ही बनवाया, करतारपुर बसाया और यहीं अंतिम सांस भी ली।
- बंटवारे से पहले करतारपुर गुरदासपुर का ही हिस्सा था। गुरदासपुर से इसकी दूरी महज तीन किमी ही है।
- बंटवारे के दौरान सिखों को यकीन था कि करतारपुर हिंदुस्तान का ही हिस्सा रहेगा। लेकिन जब नक्शे पर ही सीमाओं का निर्धारण किया गया हो तो भावनाओं को उसमें स्थान नहीं मिलता। बंटवारा हुआ तो दरबार साहिब पाकिस्तान पहुंच गया।
- बंटवारा हुआ, तो गुरुद्वारा वीरान हो गया। तस्करों ने उसे अड्डा बना लिया।
- लेकिन वहां नानक के मुसलमान भक्त दर्शन के लिए आते रहे। कुछ दिनों में ये तादात बढ़ने लगी।
- 2001 में गुरूद्वारे की नई ईमारत बन कर तैयार हुई। बंटवारे के बाद पहली बार तभी यहां लंगर बंटा।
- गुरु नानक देव ने जो गुरुद्वारा बनवाया था वो बाढ़ में बर्बाद हो गया था।
- यहां होने वाले लंगर के लिए मुसलमान चंदा देते हैं। चूल्हों के लिए लकड़ियां पाकिस्तानी आर्मी देती है।
- कहा जाता है कि वर्ष 1965 के युद्ध में यहां एक बम गिरा। लेकिन वो फटा नहीं। अब इस बम को चबूतरे में मढ़ दिया गया है।
- बीएसएफ ने एक दर्शन स्थल का निर्माण करवाया है। जहां एक दूरबीन लगी हुई है। यहां से सिख गुरुद्वारे को देखते हैं।
- लेकिन हिन्दुस्तानी सिख चाहते हैं कि उनको करतारपुर गुरुद्वारे जाने के लिए वीजा-फ्री कॉरिडोर मिले ताकि जब चाहें गुरुद्वारे में दर्शन करने जा सकें।
- नवंबर को नानक देव की 550वीं जयंती धूमधाम से मनेगी। करतारपुर कॉरिडोर की मांग फिर तेज होने लगी है ऐसे में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने शॉट तो अच्छी खेली थी लेकिन रन आउट हो गए।
- सिद्धू कांड के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की एक चिट्ठी सामने आई है। इसके मुताबिक, भारत सरकार करतारपुर कॉरिडोर का मुद्दा लंबे समय से उठा रही है। लेकिन पाकिस्तान इसके लिए राजी नहीं है। और जिस कॉरिडोर खोले जाने के नाम पर सिद्धू आर्मी चीफ के गले पड़ गए थे उसपर भी उसने कुछ नहीं कहा है।
- विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात के बाद सिद्धू ने कहा, भारत को चाहिए कि वो कॉरिडोर खोलने के लिए पाकिस्तान को निवेदन भेजे। ये बयान दे वो ऐसा जता रहे हैं जैसे पाकिस्तान कॉरिडोर खोलने को तैयार बस भारत सरकार के आग्रह का इंतजार कर रहा है।