×

Ram Mandir History: कृष्ण करुणाकर नायर के बिना अधूरा है राम मंदिर का इतिहास

जब 1986 में राम जन्मभूमि का ताला खोला गया तब रामलला की प्रतिमा के बगल में के के के नायर की एक फोटो रखी थी। दीवाल पर लिखा था जब तक राम लला का नाम रहेगा के के के नायर तेरा नाम इतिहास में अमर रहेगा।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh MishraPublished By Praveen Singh
Published on: 6 Aug 2020 12:54 PM GMT (Updated on: 24 July 2021 9:04 AM GMT)
X

Ram Mandir History: आज जब देश श्रीराम लला के जन्मभूमि मन्दिर शिलान्यास के जश्न में डूबा हुआ है । तब कृष्ण करुणाकर नायर का नाम याद किए बिना आज का दिन सार्थक नहीं हो सकता । कौन थे के के के नायर । उनका जन्म 11 सितंबर, 1907 को केरल में एलेप्पी में हुआ था। 7 सितंबर, 1977 को उन्होंने इस पार्थिव देह को त्याग दिया। के के नायर की शिक्षा दीक्षा मद्रास और लंदन में हुई थी।1930 में वे आई सी एस बने और उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर कलेक्टर रहे।

रामलला का इसदिन हुआ प्राकट्य

1 जून, 1949 को उन्हें फैजाबाद का कलेक्टर बनाया गया। मानो राम लला ने उनको स्वयं फैजाबाद बुलाया हो। उनके कलेक्टर रहते हुए 22- 23 दिसंबर, 1949 की रात को इसी स्थान पर रामलला का प्राकट्य हुआ।

23 दिसंबर को प्रातः काल बड़ी संख्या में भक्तों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ तथाकथित बाबरी मस्जिद (वास्तविक राम जन्म भूमि) पर रामलला का दर्शन करने के लिए एकत्र होने लगी। वास्तव में 22-23 दिसम्बर, 1949 की रात सबसे बड़ा शिलान्यास हुआ था । जब रामलला का प्राकट्य हुआ। सबसे बड़ा शिलान्यास का दिन तो वही था ।

कृष्ण करुणा कर नायर को जाने बिना नहीं जान सकते राम मंदिर का इतिहास

भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उप प्रधानमंत्री तथा गृह मन्त्री सरदार पटेल ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत को कहा कि किसी भी स्थिति में रामलला की प्रतिमा उस स्थान से तत्काल हटा दी जानी चाहिए।

जवाहर लाल नेहरू ने २६ दिसंबर को पंत जी को एक तार भेजा ," अयोध्या की घटनाओं से मैं बुरी तरह विचलित हू। मुझे पूरा विश्वास है कि आप इस मामले में व्यक्तिगत रीति लेंगे। ख़तरनाक मिसाल क़ायम की जा रही है। इसके परिणाम बुरे होंगे।

मुख्य सचिव ने डांट लगाई

तत्कालीन मुख्य सचिव भगवान सहाय ने बुलाकर डांट लगायी। मुख्यमंत्री पंत और मुख्य सचिव ने मूर्ति हटाने को कहा। नायर ने भगवान सहाय को जवाब दिया,"इस मुद्दे को व्यापक जन समर्थन है। प्रशासन के लोग इसे रोक नहीं सकते। हिंदू नेताओं को गिरफ़्तार किया जाता तो हालात और ख़राब हो जाते। मैं और ज़िला पुलिस प्रमुख मूर्ति हटाने पर सहमत नहीं है। मुझे हटा दीजिए।"

कृष्ण करुणा कर नायर को जाने बिना नहीं जान सकते राम मंदिर का इतिहास

उन्होंने कहा प्रतिमा किसी ने रखी नहीं है, रामलला का प्राकट्य हुआ है। जब रामलला का प्राकट्य हुआ है, तो उसे कौन हटा सकता है। नायर किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थे। अंततः नायर को सस्पेंड कर दिया गया। उन्होंने अपने निलंबन को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी । उनका निलंबन उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया।

नायर ने सेवानिवृत्ति ले ली

नायर का संकल्प तो कुछ और ही था उन्होंने आगे नौकरी करने से इंकार कर दिया। स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति ले ली। 1952 में उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू कर दी ।

कृष्ण करुणा कर नायर को जाने बिना नहीं जान सकते राम मंदिर का इतिहास

बाद में पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल जी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने भारतीय जनसंघ की सदस्यता ले ली। 1967 में बहराइच से वे भारतीय जनसंघ के टिकट पर सांसद चुने गए। उनकी पत्नी शकुंतला नायर कैसरगंज से सांसद चुनी गई। उनका ड्राइवर भी विधायक चुना गया।

दृढ़ इच्छाशक्ति के धनी कृष्ण करूणा कर नायर को आज के दिन याद किए बिना मन नहीं मान रहा था । जब 1986 में राम जन्मभूमि का ताला खोला गया तब रामलला की प्रतिमा के बगल में के के के नायर की एक फोटो रखी थी। दीवाल पर लिखा था जब तक राम लला का नाम रहेगा के के के नायर तेरा नाम इतिहास में अमर रहेगा।

योगेश मिश्र की विशेष रिपोर्ट

Newstrack

Newstrack

Next Story