×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

राजपूत का मुस्लिमों में खौफ: इनकी पत्नियों को बनाता था दासी, थर-थर कांपते थे मुगल

बप्पा रावल गुहिल राजपूत राजवंश के वास्तविक संस्थापक थे। इसी राजवंश को सिसोदिया भी कहा जाता है, जिनमें आगे चल कर महान राजा राणा कुम्भा, राणा सांगा, महाराणा प्रताप हुए। बप्पा रावल बप्पा या बापा वास्तव में व्यक्तिवाचक शब्द नहीं है, अपितु जिस तरह "बापू" शब्द महात्मा गांधी के लिए रूढ़ हो चुका है, उसी तरह आदरसूचक "बापा" शब्द भी मेवाड़ के एक नृपविशेष के लिए प्रयुक्त होता रहा है।

SK Gautam
Published on: 4 Feb 2020 7:29 PM IST
राजपूत का मुस्लिमों में खौफ: इनकी पत्नियों को बनाता था दासी, थर-थर कांपते थे मुगल
X

लखनऊ: भारत में भले ही काफी दिनों तक मुगलों का राज रहा हो लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक ऐसा खूंखार राजपूत योद्धा था जिसने मुगलों की 35 मुस्लिम रानियों को गुलाम बना कर रखा था। इस बात से मुगल भी कांप उठते थे ।

100 से ज्यादा रानियां थीं जिसमें से 35 मुस्लिम थीं

आज हम आपको एक ऐसे ही योद्धा के बारे में बताने जा रहे हैं जो मुस्लिम काल के लिए काफी खतरनाक था और उसने कई मुस्लिम रानियों को युद्ध में जीता था। बता दें कि भारत में कई योद्धा अपने काम की वजह जाने जाते हैं। इस राजा ने 100 से ज्यादा रानियां रखी थी और उसमें पैंतीस मुस्लिम थी, इस राजा ने अरबों को हराकर उस पर कब्जा कर लिया था।

कासिम को हराकर सिंध पर किया था कब्जा

इस राजा का नाम बप्पा रावल था और इसने सलीम को भी हराकर गजनी में अपने भतीजे को गवर्नर बना दिया था, बप्पा रावल सातवीं शताब्दी के सबसे बड़े शूरवीर माने जाते थे इसने कासिम को हराकर सिंध पर भी कब्जा किया था। बप्पा रावल के बारे में बता दें कि इसने 19 साल तक शासन किया और 39 साल की उम्र में लड़ाइयों से सन्यास लिया इसने अंतिम सांस नागदा में ली थी।

ये भी देखें : दिल्ली चुनावः बसपा विधायक की संपत्ति में सबसे अधिक 144 फीसद इजाफा

पाकिस्तान के शहर रावल पिंडी का नाम भी बप्पा रावल के नाम पर

आपको यह भी जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान के शहर रावल पिंडी का नाम भी बप्पा रावल के नाम पर ही पड़ा है, सबसे बड़े योध्दाओं में बाप्पा का नाम भी शुमार हैं, यह अपने खूंखार रूप की वजह से जाने जाते हैं।

बप्पा रावल का इतिहास

बप्पा रावल गुहिल राजपूत राजवंश के वास्तविक संस्थापक थे। इसी राजवंश को सिसोदिया भी कहा जाता है, जिनमें आगे चल कर महान राजा राणा कुम्भा, राणा सांगा, महाराणा प्रताप हुए। बप्पा रावल बप्पा या बापा वास्तव में व्यक्तिवाचक शब्द नहीं है, अपितु जिस तरह "बापू" शब्द महात्मा गांधी के लिए रूढ़ हो चुका है, उसी तरह आदरसूचक "बापा" शब्द भी मेवाड़ के एक नृपविशेष के लिए प्रयुक्त होता रहा है।

ये भी देखें : गृह मंत्रालय का ऐलान: NPR के अपडेशन में कागजात की जरूरत नहीं

जनता ने इसे बापा पदवी से विभूषित किया था

सिसौदिया वंशी राजा काल भोज का ही दूसरा नाम बापा मानने में कुछ ऐतिहासिक असंगति नहीं होती। इसके प्रजासरंक्षण, देशरक्षण आदि कामों से प्रभावित होकर ही संभवत: जनता ने इसे बापा पदवी से विभूषित किया था। महाराणा कुंभा के समय में रचित एकलिंग महात्म्य में किसी प्राचीन ग्रंथ या प्रशस्ति के आधार पर बापा का समय संवत् 810 (सन् 753) ई. दिया है।

बप्पा रावल ने अपने विशेष सिक्के भी जारी किए

बप्पा रावल ने अपने विशेष सिक्के भी जारी किए थे। इस सिक्के में सामने की ओर ऊपर के हिस्से में माला के नीचे श्री बोप्प लेख है। बाईं ओर त्रिशूल है और उसकी दाहिनी तरफ वेदी पर शिवलिंग बना है। इसके दाहिनी ओर नंदी शिवलिंग की ओर मुख किए बैठा है। शिवलिंग और नंदी के नीचे दंडवत् करते हुए एक पुरुष की आकृति है। पीछे की तरफ सूर्य और छत्र के चिह्न हैं। इन सबके नीचे दाहिनी ओर मुख किए एक गौ खड़ी है और उसी के पास दूध पीता हुआ बछड़ा है। ये सब चिह्न बपा रावल की शिवभक्ति और उसके जीवन की कुछ घटनाओं से संबद्ध हैं।



\
SK Gautam

SK Gautam

Next Story