×

100 सालों के बाद आया है यह करवा चौथ, महिलाओं को मिलेंगे ये शुभ फल

By
Published on: 19 Oct 2016 10:37 AM IST
100 सालों के बाद आया है यह करवा चौथ, महिलाओं को मिलेंगे ये शुभ फल
X

karwa chauth

लखनऊ: वह शुभ मुहूर्त आ गया है। जिसका पूरे साल भर से महिलाएं बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी। आज के दिन महिलाओं के चेहरे पर चांद सा नूर चमकने लगा है। आज के दिन सुहागिन महिलाएं और अनमैरिड लड़कियां पतियों की लंबी उम्र और उनकी मंगल कामना के लिए निर्जल व्रत रखेंगी। आज के दिन केवल चंद्र देवता की ही पूजा नहीं होती है। कहते हैं कि इस दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं गौरी पूजन भी बड़ी ही श्रद्धा के साथ करती हैं।

लेकिन महिलाओं के सौभाग्य को अखंड बनाने वाला यह त्योहार इस बार पूरे 100 साल बाद आया है क्योंकि इस बार करवा चौथ के विशेष संयोग बने हैं। रोहिणी नक्षत्र, बुधवार, सर्वार्थ सिद्धि योग एवं गणेश चतुर्थी का संयोग आज के ही दिन है, जो ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत अच्छा माना जाता है। आज गणेश जी की पूजा से भी कई गुना अधिक लाभ मिलेगा चंद्रमा स्वयं, शुक्र की राशि वृष में उच्च के होंगे। बुध स्वराशि कन्या में और शुक्र व शनि एक ही राशि में विराजमान रहेंगे। इतना ही नहीं, नहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी शुक्र प्रेम का परिचायक है। करवा चौथ के आज के शुभ अवसर पर शुक्र ग्रह, मंगल की राशि वृश्चिक में है, जिससे संबंधों में उष्णता रहेगी। मंगलवार की रात्रि 11 बजे तक तृतीया तिथि रहेगी और फिर चतुर्थी तिथि आरंभ होकर बुधवार की सायं 07.33 बजे तक रहेगी ।

आज के करवा चौथ के विषय में ज्योतिष शास्त्रियों का मानना है कि 2016 में करवाचौथ का व्रत रखने से 100 व्रतों का वरदान प्राप्त होगा। न केवल पति की उम्र लंबी होगी बल्कि संतान चाह रखने वालों को संतान सुख भी प्राप्त होगा।

आगे की स्लाइड में जानिए और क्यों ख़ास होता है करवा चौथ का व्रत

karwa-chauth

कहा जाता है कि करवा चौथ का व्रत कभी पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अच्छी फसल की कामना से शुरू हुआ था। तब रबी की फसल बोने के समय बड़े-बड़े मिट्टी के कलशों में गेहूं भरा जाता था। इन कलशों को करवा कहते थे। लेकिन समय के साथ करवा चौथ का अर्थ और उसके मायने पूरी तरह से बदल गए। पंजाब-हरियाणा में करवे में पानी और फूल डालने का चलन है, तो राजस्थानियों में करवे को चावल और गेहूं से भरा जाता है। जबकि यूपी और एमपी में करवे को मिठाई से भरा जाता है। खासतौर पर चावल के लड्डू से। इस व्रत को महिलाएं बड़ी ही श्रद्धा और विश्वास के साथ रखती हैं। महिलाएं ज्यादातर लाल जोड़ा पहनती हैं।

Next Story