सैनिक से सियासत तक: जानिए क्या है OROP और इसके विवाद की जड़

पूर्व सैनिक सूबेदार रामकिशन ग्रेवाल के सुसाइड करने के बाद मोदी सरकार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद विरोधियों ने मोदी सरकार को अब ओआरओपी के मुद्दे पर घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। तो जानिए आखिर क्या है ओआरओपी और क्या है इसके विवाद की जड़ ...

tiwarishalini
Published on: 3 Nov 2016 12:56 AM GMT
सैनिक से सियासत तक: जानिए क्या है OROP और इसके विवाद की जड़
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सैनिक से सियासत तक: जानिए क्या है OROP और इसके विवाद की जड़

नई दिल्ली: पूर्व सैनिक सूबेदार रामकिशन ग्रेवाल के सुसाइड करने के बाद मोदी सरकार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद विरोधियों ने मोदी सरकार को अब ओआरओपी के मुद्दे पर घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। तो जानिए आखिर क्या है ओआरओपी और क्या है इसके विवाद की जड़ ...

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क्या है वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी ) ?

-दरअसल मोदी सरकार ने 6 सितंबर 2015 को लगभग 40 साल बाद वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना लागू की थी।

-लेकिन पूर्व सैनिकों का मानना है कि इससे उनकी मांगे पूरी नहीं हुई हैं।

-इस योजना के तहत किसी भी समय रिटायर हुए सैन्यकर्मियों को सामान पेंशन मिलेगी, यदि वे उसी रैंक में और सामान अवधि तक सेवाएं देते हैं।

-चूंकि सरकारी खजाने पर इससे शुरुआती साल में 10 हजार करोड़ रुपए का बोझ पड़ना था।

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-एरियर्स के लिए 12 हजार करोड़ रुपए देने थे।

-इसलिए 20 लाख पूर्व सैनिकों को इसका फायदा छह-छह महीने में चार किश्तों में देने पर रजामंदी बनी।

-इसी साल अप्रैल में कैबिनेट ने भी इसके अमल को मंजूरी दे दी।

-पीएम मोदी ने हाल ही में कहा था कि ओआरओपी के तहत लगभग 5,500 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।

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वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) को लेकर इसलिए हो रहा विरोध

-पूर्व सैनिकों का कहना है कि यह योजना बेस इयर 2013 के साथ 1 जुलाई 2014 से प्रभावी है।

-ओआरओपी के लाभार्थी करीब करीब 30 लाख सैन्यकर्मी चाहते हैं कि इसे 1 अप्रैल 2014 से लागू किया जाए और 2015 को इसका बेस इयर माना जाए।

-योजना का एरियर चार छमाही किश्तों में भुगतान किया जा रहा है।

-जबकि सभी सैनिक की विधवाओं और युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की विधवाओं को यह रकम एकमुश्त दी जा रही है। पहली किश्त दी जा चुकी है।

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-सरकार ने इस योजना की हर पांच साल में समीक्षा का प्रस्ताव रखा है।

-जबकि सैनिक हर साल इसकी समीक्षा चाहते हैं।

-इस योजना का सबसे बड़ा विवाद यह है कि कोई सीनियर ऑफिसर अपने जूनियर ऑफिसर के मुकाबले कम पेंशन नहीं पाना चाहेगा।

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-सरकार का कहना है कि स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) लेने वाले सैनिकों को ओआरओपी का लाभ नहीं मिलेगा।

-सरकार के इस बिंदु पर सैनिक खासा नाराज हैं ।

-सैनिकों का कहना है कि लगभग 40 फीसदी सैनिक जल्दी रिटायर हो जाते हैं।

-सरकार का यह भी कहना है कि इस योजना का लाभ योजना लागू होने से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को ही मिलेगा।

-मोदी सरकार ने 2013 तक के मिनिमम और मैक्सिमम पेंशन का एवरेज निकाल कर ओआरओपी पेंशन देना तय किया है।

-लेकिन सैनिकों की मांग है कि ज्यादा पेंशन को आधार माना जाए।

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