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मुस्लिमों के मूंछ का रहस्य! जानें क्यों रखते हैं सिर्फ दाढ़ी, वजह कर देगी हैरान
सिर पर टोपी, कुर्ता-पायजामा और बढ़ी दाढ़ी। यह हुलिया देख आप मुस्लिम समुदाय के लोगों को पहचान लेते होंगे। लेकिन आपने कभी गौर किया है कि मुसलमान धर्म में अधिकतर लोग दाढ़ी तो रखते हैं लेकिन मूंछें नहीं रखते हैं। तो ऐसा क्यों होता है? तो आइए हम आपको बताते हैं
लखनऊ: भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। यहां की एक पुरानी उक्ति भी है कि- ''हिंदू-मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई-भाई'' यहां अलग-अलग धर्मों के लोगों का अपना पहनावा भी अलग होता है, जैसे सिर पर टोपी, कुर्ता-पायजामा और बढ़ी दाढ़ी। यह हुलिया देख आप मुस्लिम समुदाय के लोगों को पहचान लेते होंगे। लेकिन आपने कभी गौर किया है कि मुसलमान धर्म में अधिकतर लोग दाढ़ी तो रखते हैं लेकिन मूंछें नहीं रखते हैं। तो ऐसा क्यों होता है? तो आइए हम आपको बताते हैं...
...तो ये है मूंछ न रखने की असली वजह
दरअसल, इसके पुरानी रीत और भौगोलिक कारण हैं। इस्लाम से पहले अरब में लोग प्राकृतिक देवी-देवताओं की मूर्ति बनाकर पूजा करते थे। जबकि इस्लाम इसके उलट है। वह निराकार अल्लाह में विश्वास करता है।
एक हदीस के मुताबिक हजरत मोहम्मद सल्ललाहो अलैही वसल्लम ने कहा था कि उन प्राकृतिक देवी-देवताओं के विपरीत करो। चूंकि वह बड़ी मूंछें रखते थे और दाढ़ी साफ करा देते थे। इसलिए मुस्लिम इसके विपरीत करने लगे और मूंछें कटाने लगे।
ये है दूसरा बड़ा कारण
वहीं, एक अन्य मत है कि मुस्लिमों में मूंछें कटाकर रखना अरब संस्कृति का हिस्सा है। चूंकि वहां अक्सर रेतीली हवाएं चलती रहती हैं। यही कारण है कि रेत के कण लोगों की मूंछों में फंस जाते थे। खाना खाते वक्त वे उनके मुंह में चले जाते थे। इस वजह से वे अपनी मूंछें छोटी कराने या उन्हें कटाने का रिवाज शुरू हो गया।
यहां हम आपको बता दें कि हमारे इस लेख का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।
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