TRENDING TAGS :
सिंहस्थ कुंभः महिला नागा साधु भी करेंगी शाही स्नान, पहनेंगी गेरूआ
Akanksha Singh
उज्जैन : उज्जैन के क्षिप्रा नदी के तट पर 22 अप्रैल से लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेला में हर बार की तरह इस बार भी यहां नागा साधुओं का शाही स्नान होगा। परंपरा और दीक्षा के अनुसार नागा साधु नग्न रहते हैं लिहाजा उनका स्नान भी सार्वजनिक रूप से बिना वस्त्र के होता है। महिला नागा साधु भी शाही स्नान करेंगी लेकिन उनके शरीर पर गेरुआ होगा। वर्तमान समय में महिला नागा साधु बनने पर रोक के कारण इनकी संख्या घटती जा रही है।
आखिर क्यों महिलाएं नागा साधु नहीं बनतीं
आखिर क्यों महिलाऐं नागा साधु नहीं बन सकती हैं इस बारे में मन कामेश्वर मंदिर की महंत दिव्या गिरी ने Newztrack.com को बताया कि पहले के मंदिर दूर दूर और सामाजिक स्थानों से अलग होते थे जिससे अगर कोई भी महिला चाहे तो नागा साधु बनकर तपस्या कर सकती थी, लेकिन अब के मंदिर बहुत पास पास और आबादी में हैं जिसके कारण महिला नागा साधु प्रक्रिया पर रोक लग गई है।
-उन्होंने कहा कि जिस तरह पुरुष नागा साधुओं को शाही स्नान में निर्वस्त्र नहाने की अनुमति है उस तरह महिला नागा साधु को निर्वस्त्र होकर नहाने की अनुमति नहीं हैं।
यह भी पढ़े...कमांडों की तरह होती है नागा साधुओं की ट्रेनिंग, जानिए इनके सारे रहस्य
आसान नहीं होता है सफर
-दिव्या गिरी कहती हैं अभी भी 1975 के जमाने की महिला नागा साधु हैं।
-वह बिना वस्त्र के ही अपना जीवन व्यतीत करती हैं।
-उन्हें अगर किसी भी चीज की जरुरत होती है तो वो अपनी सेविका के माध्यम से वो काम करवाती हैं।
-पहले की सन्यासिन पहाड़ों पर जाकर तपस्या करती थी।
-धीरे धीरे लोग पहाड़ों पर भी अपना घर बसाने लगे।
-नतीजा ये हुआ कि इन्हे मंदिर के किसी एकांत जगह पर तपस्या करनी पड़ रही है।
यह भी पढ़े...जब शिवभक्त मोदी ने लगाई थी सिंहस्थ कुंभ में डुबकी, VIRAL हुईं PHOTOS
क्या है इनका वस्त्र?
-वैसे तो नागा साधु की मुख्य पहचान होती है उनके शरीर पर वस्त्र का एक भी टुकड़ा ना हो।
-अगर बात की जाए महिला नागा साधु की तो ये अपने तन को गेरुए वस्त्र से ढकती हैं।
-अखाड़ों का मानना है कि महिलाओं का नग्न रहना भारतीय संस्कृति के खिलाफ है।
- यही कारण है कि महिला नागा साधुओं को शाही स्नान में निर्वस्त्र नहाना मना है।
मां अनुसुइया है इष्टदेव
-महिला नागा साधुओं की दुनिया सबसे अलग होती है।
-इनकी अनुमति के बिना कोई भी इनके शिविर में कदम नहीं रख सकता।
-इनके इष्टदेव भगवान दत्तात्रेय की मां अनुसुइया हैं और उन्हीं की ये आराधना करती हैं।
इस अखाड़े ने दी नई पहचान
-महंत देव्या गिरी ने कहा कि वैसे तो सातों अखाड़ों में महिला सन्यासनी हैं लेकिन जूना अखाड़े ने इन्हें एक नई पहचान दी है।
-जूना अखाड़ा ने अपनी एक नई शाखा सन्यासनी पंचदशनाम जूना अखाड़ा बनाई, जिसमें महिला सन्यासिन को नई पहचान मिली।