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ये है देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा, जानिए किसकी क्या है हैसियत?

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Published on: 14 Sept 2016 12:02 PM IST
ये है देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा, जानिए किसकी क्या है हैसियत?
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजनीति के सबसे बड़े कुनबे में सत्ता के लिए घमासान मचा हुआ है। सत्ता की चाह ने परिवार के लोगों के मन में अनबन शुरू कर दी है। यह अनबन इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि किसी का पद छीना जा रहा है, तो कोई इस्तीफा देने पर आमादा है।

आइए नजर डालते हैं यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार पर...

मुलायम सिंह यादव: मुलायम सिंह यादव ने परिवार में सक्रिय राजनीति की नींव रखी। पिछले कुछ सालों में वह भले ही यूपी की राजनीति में बहुत हस्तक्षेप करते नहीं दिखते हैं, लेकिन आजकल तो वह पूरी तरह से सक्रिय राजनीति कर रहे हैं और अहम फैसले भी ले रहे हैं।

-मुलायम सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैंफई में 22 नवम्बर, 1939 को हुआ था।

-इनके पिता का नाम स्व। सुघर सिंह, और माता का नाम स्व। मूर्ति देवी था। पांच भाइयों में तीसरे नंबर के मुलायम सिंह के दो विवाह हुए हैं।

-पहली मालती देवी, जिनके निधन के पश्चात उन्होंने सुमन गुप्ता से विवाह किया।

-अखिलेश यादव मालती देवी के पुत्र हैं जबकि मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव को उनकी दूसरी पत्नी सुमन ने जन्म दिया है।

-वर्ष 1954 में पंद्रह साल की किशोरावस्था में ही मुलायम के राजनीतिक तेवर उस वक्त देखने को मिले जब उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर ‘नहर रेट आंदोलन’ में भाग लिया और पहली बार जेल गए।

mulayam singh yadav

1967 में पहली बार विधायक चुने गए

-28 वर्ष की आयु में 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से विधायक बने।

-इसके बाद 1974, 77, 1985, 89, 1991, 93, 96 और 2004 और 2007 में बतौर विधान सभा सदस्य चुने गए।

-मुलायम सिंह यादव 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में लोकसभा के सदस्य चुने गये।

-इस बीच वे 1982 से 1985 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे।

-पहली बार 1977-78 में राम नरेश यादव और बनारसी दास के शासन काल में सहकारिता और पशुपालन मंत्री बनाए गए।

-इसके बाद से ही वे करीबी लोगों के बीच मंत्री जी के नाम से जाने लगे।

-हली बार पांच दिसंबर 1989 को 53 वर्ष की उम्र में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के साथ मुलायम सिंह यादव उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

-मुलायम सिंह यादव 1989 से 1991 तक, 1993 से 1995 तक और साल 2003 से 2007 तक तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चुके हैं।

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akhilesh yadav

अखिलेश यादव: पिछले उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में एक अंडर करंट चल रही थी, जिसे बड़े बड़े प्रकांड राजनीतिज्ञ नहीं समझ सके। जब चुनाव परिणाम घोषित हुए तब कहीं जाकर लोगों को इस अंडर करंट का अंदाजा लगा। चुनाव परिणाम घोषित हुए और तेजी से बदलते घटनाक्रम में इस युवा को प्रदेश के मुख्यमंत्री के का ताज पहना दिया गया। अखिलेश यादव 15 मार्च 2012 को उत्तर प्रदेश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। उनके मुख्यमंत्री बनने के वक्त एक अलग अंडर करंट उनके विरोधियों और छिपी चुनौतियों की बह रही थी, जिसे समझने में खुद अखिलेश नाकाम रहे, नतीजा आज प्रदेश में हो रही उथल-पुथल के रूप में सामने हैं।

-यूपी के सीएम और समाजवादी पार्टी के जनक मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 को इटावा जिले के सैफई में हुआ था।

-मां मालती देवी का बचपन में ही देहांत हो गया था। अखिलेश ने अपनी प्राथमिक शिक्षा इटावा के सेंट मेरी स्कूल में पूरी की।

-आगे की पढाई के लिए उन्हें राजस्थान में धौलपुर के सैनिक स्कूल भेजा गया। जहां से 12वीं करने के बाद अखिलेश ने मैसूर के एसजे कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री ली।

-इसके बाद वे एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग में मास्टर्स करने ऑस्ट्रेलिया चले गए।

-सिडनी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई खत्म करने के बाद अखिलेश वापस आकर अपने पिता मुलायम सिंह यादव के साथ राजनीति में जुड़ गए।

-अखिलेश की शादी डिंपल यादव 24 नवंबर 1999 को हुई। आज उनके तीन बच्चे अदिति, अर्जुन और टीना हैं। इनमे अर्जुन और टीना जुड़वा भाई बहन है।

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dimpal yadav

डिंपल यादव : यूपी के सीएम अखिलेश यादव की पत्नी और कन्नौज से चुनी गईं देश की पहली निर्विरोध सांसद डिंपल यादव किसी परिचय की मोहताज नहीं है। 1978 में पुणे में आर्मी कर्नल एससी रावत के घर जन्मी डिम्पल की शुरुआती पढ़ाई और पालन पोषण पुणे, भटिंडा और अंडमान निकोबार में हुआ।

-इंटरमीडिएट के बाद डिंपल यादव ने लखनऊ विश्वुविद्यालय से ह्यूमेनिटीज में ग्रेजुएशन किया। यहीं अखिलेश यादव से उनकी दोस्ती हुई। दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला। अखिलेश एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद ऑस्ट्रेलिया से लौटे तो दोनों ने शादी कर ली। विवाह के बाद डिंपल हाउस वाइफ बन गईं और अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी में शामिल होकर राजनीति में सक्रिय हो गए।

ऐसे बनीं सांसद

-12 जून, 2012 को डिंपल यादव को संसद का टिकट मिल गया। अब उनकी असली राजनीतिक पारी शुरू हो चुकी थी।

-हालांकि इससे पहले भी उन्हों ने राजनीति में अपनी किस्मत फिरोजाबाद संसदीय सीट से आजमाई थी। वह सीट भी अखिलेश ने छोड़ी थी।

-इस पर फिल्म अभिनेता राज बब्बीर जीते थे। खैर पिछली हार जैसी भी रही हो, इस बार की जीत किसी बड़ी जीत से कम नहीं, क्योंकि वो कन्नौज में बिना एक वोट पड़े ही सांसद चुन ली गईं क्योंकि वहां किसी भी पार्टी ने उनके विरुद्ध प्रत्याशी उतारा ही नहीं और वह निर्विरोध जीतीं।

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ram gopal yadav

राम गोपाल यादव: प्रो. राम गोपाल यादव समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई है। गरीबी में पढ़ाई और फिर पेशे से अध्यापक रहे श्री यादव वर्तमान में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सांसद हैं। वह मुलायम सिंह यादव के थिंक टैंक और समाजवादी पार्टी के चाणक्य भी कहे जाते हैं। यादव परिवार में सबसे पढ़े लिखे केवल प्रो। रामगोपाल यादव हैं। रामगोपाल यादव ने अपने भाई शिवपाल यादव के साथ 1988 में राजनीति में कदम रखा। वह इटावा के बसरेहर ब्लॉअक प्रमुख का चुनाव जीते। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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धर्मेंद्र यादव: धर्मेंद्र यादव मुलायम सिंह के बड़े भाई अभय राम के बेटे हैं। वह इस वक्त- बदायूं से सांसद हैं और इससे पहले मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं। तब वह 14वें लोकसभा के सबसे युवा सांसद थे। धर्मेंद्र यादव का राजनीति से नाता छात्र जीवन के समय से ही है। इलाहाबाद में पढ़ाई के दौरान समाजवादी जनेश्वकर मिश्र के सानिध्यन में उन्हों ने छात्र राजनीति की। इलाहाबाद में सपा का परचम लहराने का श्रेय जनेश्वर मिश्र को जाता है, तो उनके सहायक के तौर पर धर्मेंद्र का भी नाम लिया जाता है।

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अक्षय यादव: मुलायम सिंह के कुनबे के सातवें राजनेता अक्षय यादव हैं। वह सपा महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे और मुलायम सिंह यादव के भतीजे हैं। वह इस समय फिरोजाबाद से सांसद हैं। अक्षय ने एमबीए किया है और बीज का कारोबार भी संभाल चुके हैं।

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शिवपाल यादव : शिवपाल सिंह यादव का जन्म 6 अप्रैल, 1955 को हुआ था। उन्होंने बीए, बीपीएड किया हुआ है। उनकी शादी सरला यादव से हुई है और इन दोनों के एक बेटा और बेटी है। मुलायम के पांच भाइयों में सबसे छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने ही सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया।

शिवपाल बड़े तेज-तर्रार मिजाज के माने जाते हैं। शिवपाल को छोड़कर मुलायम के किसी भाई का राजनीति में जाने का इरादा नहीं था। शिवपाल ने से बातचीत बताया कि 70 के दशक में चंबल के बीहड़ जिले इटावा में राजनीति की राह आसान नहीं थी।

वर्ष 1967 में जसवंतनगर से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुलायम सिंह के राजनैतिक विरोधियों की संख्या काफी बढ़ चुकी थी। राजनैतिक द्वेष के चलते कई बार विरोधियों ने मुलायम सिंह पर जानलेवा हमला भी कराया। यही वह समय था, जब मैंने (शिवपाल सिंह और चचेरे भाई रामगोपाल यादव मुलायम सिंह के साथ आए) शिवपाल ने मुलायम सिंह की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी संभाली थी।

आगे की स्लाइड में उनसे, जिसने डिंपल यादव से पहले रखा राजनीति में कदम

sarla yadav

सरला यादव (शिवपाल की पत्नी): शिवपाल की पत्नी सरला यादव परिवार की पहली महिला सदस्य हैं, जिन्होंने बहू डिंपल से पहले ही राजनीति में कदम रखा था। शिवपाल बताते हैं कि उस समय कुछ मजबूरी ही ऐसी थी की पत्नी को राजनीति में उतरना पड़ा। हालांकि वो सक्रिय राजनीति का हिस्सा कभी नहीं बनी और घर की देखभाल में ज्यादा समय बिताती थीं। इसका कारण है कि अखिलेश के साथ साथ वे मेरे दोनों बच्चों की जिम्मेदारी उठाती थीं। शिवपाल के अनुसार वे राजनीति करने लगे थे और नेताजी का कामकाज भी संभालना उनके लिए एक बड़ी चुनती था। सरला को दो बार जिला सहकारी बैंक की राज्य प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित करवाया। वर्ष 2007 के बाद लगातार दूसरी बार चुनी गई थी और अब कमान बेटे आदित्य के हाथ में है।

आगे की स्लाइड में जानिए इस खानदान के और सदस्यों के बारे में

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आदित्य यादव ‘अंकुर’: प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के पुत्र 25 वर्षीय आदित्य यादव उर्फ अंकुर उत्तर प्रदेश प्रादेशिक कोऑपरेटिव फेडरेशन (यूपीपीसीएफ) के निर्विरोध अध्यक्ष हैं।

-सफेद कुर्ता-पाजामा से इतर पैंट, शर्ट, कोट और हाथ में महंगी रोलेक्स घड़ी पहने बीटेक डिग्रीधारी आदित्य समाजवाद के बदलते चेहरे की ओर इशारा करते हैं।

-राजनीति में सफलता की पहली सीढ़ी चढ़ने के लिए आदित्य ने अपने पिता शिवपाल सिंह यादव के पद चिन्हों पर चलते हुए सहकारिता का सहारा लिया है।

-खुद शिवपाल सिंह ने भी इटावा जिले के सहकारी बैंक के अध्यक्ष पद से सियासी पारी की शुरुआत की थी।यूपीपीसीएफ का अध्यक्ष बनने के साथ ही आदित्य का नाम मुलायम सिंह परिवार के उन सदस्यों की सूची में 13वें नंबर पर शुमार हो गया है, जो राजनीति में एंट्री कर चुके हैं।

2017 के विधानसभा चुनाव में आदित्य यादव को परिवार की पारंपरिक सीट जसवंतनगर से विधानसभा भेजने की भी तैयारी पूरी है, बस इसी आधिकारिक घोषणा होनी बाकी है।

आगे की स्लाइड में मिलिए यादव परिवार की पहली महिला नेता से

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प्रेमलता यादव: मुलायम सिंह के छोटे भाई राजपाल यादव की पत्नी प्रेमलता ने 2005 में राजनीति में कदम रखा। पहली बार इटावा की जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जीत गईं। 2005 में राजनीति में आने के बाद ही प्रेमलता मुलायम परिवार की पहली महिला बन गईं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा। उनके बाद शिवपाल यादव की पत्नी और मुलायम की बहू डिंपल यादव का नाम आता है।

प्रेमलता के पति राजपाल यादव इटावा वेयर हाउस में नौकरी करते थे और अब रिटायर हो चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद से ही वह समाजवादी पार्टी में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। 2005 में चुनाव जीतने के बाद प्रेमलता ने अपना कार्यकाल बखूबी पूरा किया। इसके बाद 2010 में भी वह दोबारा इसी पद पर निर्विरोध चुनीं गईं।

आगे की स्लाइड में मिलिए एमबीए पास नेता से

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एमबीए पास अंशुल ने किया सपा का प्रचार: राजपाल और प्रेमलता से दो पुत्र हैं। एक हैं 27 वर्षीय अंशुल यादव और दूसरे 19 वर्षीय अभिषेक यादव। अंशुल यादव भी राजनीति का ककहरा सीख रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में अंशुल ने जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले ताखा ब्लॉक में अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के चुनाव प्रचार की कमान संभाली। अंशुल यादव इटावा व भरथना विधानसभा क्षेत्र में जोर अजमाइश में लगे हुए हैं। करीब दो साल से आम लोगों के बीच जा कर अंशुल यादव ने बूथ कमेटियों के गठन में प्रभावी भूमिका निभाई है। अंशुल यादव नोएडा से एमिटी यूनिवर्सिटी से एमबीए पास करने के बाद राजनीति के मैदान में कूदे।

आगे की स्लाइड में जानिए कौन है यादव परिवार में तेज

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तेज प्रताप यादव : इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट साइंस में एमएससी करके लौटे तेज प्रताप सिंह सक्रिय राजनीति में उतरने वाले मुलायम सिंह के परिवार की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। मुलायम के बड़े भाई रतन सिंह के बेटे रणवीर सिंह के बेटे तेज प्रताप सिंह यादव उर्फ तेजू इस समय मैनपुरी से सांसद हैं। इटावा और आसपास के क्षेत्र में समाजवादी पार्टी को मजबूत करने की पूरी जिम्मेचदारी तेज प्रताप सिंह ने अपने कंधों पर उठा रखी है।

परिवार के सदस्य इन्हें तेजू के नाम से भी पुकारते हैं। सैफई के पहले ब्लाक प्रमुख और सैफई महोत्सव के संस्थापक स्वर्गीय रणवीर सिंह यादव के बेटे तेजप्रताप यादव ने जसवन्तनगर से अपने बाबा शिवपाल सिह यादव की जीत में अहम योगदान दिया। सैफई से निर्विरोध ब्लाबक प्रमुख चुने जाने के बाद तेज प्रताप यादव ने पिछले विधानसभा चुनाव में काफी मेहनत की। तेज प्रताप की शादी पिछले साल आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी राजलक्ष्मी से हुई।

आगे की स्लाइड में मिलिए यादव परिवार की सबसे छोटी महिला नेता से

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अपर्णा बिष्ट यादव: अपर्णा बिष्ट यादव मुलायम सिंह यादव के दूसरे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। कई सालों से सोशल वर्क से जुड़ी रही हैं। मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक यादव से लव मैरिज की है। दोनों बचपन से ही एक-दूसरे को जानते थे और 10वीं की क्लास में ही अपर्णा का दिल प्रतीक पर आ गया था। इस बात का खुलासा खुद उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान किया था।

लखनऊ के पत्रकार अरविंद सिंह बिष्ट की बेटी अपर्णा बिष्ट की शादी प्रतीक यादव से 2011 में हुई थी। इस शादी में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन सहित कई जानी-मानी हस्तियां शामिल हुईं थीं। अपर्णा और प्रतीक बचपन से एक-दूसरे को जानते थे। ब्रिटेन के अखबार ‘द इंडिपेंडेंट’ से बातचीत में उन्होंने 2011 में कहा था, ‘हम 8 साल से दोस्त हैं। इसलिए आप हमें हाईस्कूल स्वीटहार्ट्स कह सकते हैं।

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