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यह हैं लखनऊ के गरीबों के मसीहा, 25 सालों से फ्री में कर रहे हैं जरुरतमंदों का इलाज
समर्थ श्रीवास्तव
लखनऊ: परेशानियों से भागना आसान होता है,
हर मुश्किल जिंदगी में एक इम्तेहान होता है,
हिम्मत हारने वाले को कुछ नहीं मिलता ज़िंदगी में,
और मुश्किलों से लड़ने वाले के क़दमों में ही तो जहान होता है।
जी हां, यह वही अल्फाज हैं, जो डॉक्टर विवेक पर एक दम सटीक और सार्थक बैठते हैं। कहने को आज इंसान खुद के लिए सब कुछ हासिल कर लेता है, लेकिन अगर धरती पर आकर आपने दूसरों के लिए जीवन नहीं जिया, तो क्या जिया?
अगर आप अपनी कामयाबी को वाकई महसूस करना चाहते हैं, तो जरूरत है आपको कामयाबी का एक हिस्सा जरूरतमंदों की मदद में लगाने की कुछ ऐसा ही काम कर रहे हैं। लखनऊ जिला मुख्यालय से करीब 27 किलोमीटर दूर फेमस स्किन डॉक्टर डॉक्टर विवेक। उनकी जिंदगी का मकसद दूसरों की मदद करना है। वह पिछले 25 सालों से मरीजों को मुफ्त दवा और इलाज देते चले आ रहे हैं।
तस्वीर सौजन्य- आशुतोष त्रिपाठी
कहते हैं कि जब आप किसी की मदद के लिए आप दो हाथ बढ़ाते हो, तो ऊपरवाला आपको चार हाथों के बराबर खुशियां देता है। शायद यही वजह है कि उनका चैरिटी का काम बिना किसी रुकावट के दिन-ब-दिन और भी आगे बढ़ रहा है।
वैसे डॉ विवेक कोई सुपरहीरो नहीं हैं, पर वह उससे कम भी नहीं हैं। आज के समय में निःस्वार्थ जरूरतमंदों की मदद करना बहुत बड़ा काम है। वह उन लोगों की मदद कर रहे हैं, जो पैसों की कमी के कारण इलाज नहीं करवा पाते हैं। डॉक्टर विवेक गरीब मरीजों को बिना कोई फीस लिए ना केवल सलाह देते हैं बल्कि मुफ्त दवाओं के साथ पूरा मुफ्त इलाज भी देते हैं। उनके इस महान काम को Newstrack.com ने करीब से जानने की कोशिश की।
पेश है उनसे जुड़ी यह रिपोर्ट...
आगे की स्लाइड में जानिए डॉक्टर विवेक किस तरह करते गरीबों की हेल्प
सोमवार और गुरूवार को लगती है मरीजों की भीड़
डॉक्टर विवेक बताते हैं कि जो मरीज गरीब हैं और उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं होते हैं, वह उनकी मदद करते हैं। लखनऊ के मोहनलालगंज के नजदीक उनके मिशनरी केंद्र में हर सोमवार और गुरूवार को मरीजों की भीड़ लगती है। बिना किसी परेशानी के वह उन सभी का इलाज करते हैं और मुफ्त में दवाइयां भी मुहैया कराते हैं। ऐसा वह 25 सालों से करते चले आ रहे हैं।
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कुछ ऐसी है डॉक्टर विवेक की जीवनशैली
डॉक्टर विवेक जरूरतमंदों की मदद के लिए सुबह 9:30 पर अपने घर से निकल जाते हैं। स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर विवेक का आलमबाग स्थित अपने क्लीनिक का दौरा करने का टाइम 12:30 है।
सप्ताह में वह 5 दिन ग्रामीण इलाकों के मरीजों के लिए काम करते हैं।
एक सप्ताह में पांच दिनों के लिए, वह अपने ग्रामीण क्लीनिक चलाते हैं, जिसमें वह दो दिन मोहनलालगंज मिशनरी में, दो दिन बक्शी का तालाब और एक दिन हरिबिलास में देते हैं।
63 वर्षीय डॉक्टर विवेक ने दैनिक दिनचर्या को तीन भागों में बांटा हुआ है। सुबह मरीजों का फ्री इलाज करने के बाद वह अपने आलमबाग क्लीनिक में 12:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक रोगियों को देखते हैं और फिर 7:30 बजे से रात 10:30 बजे तक क्लीनिक में ही फिर काम करते हैं। वह ऐसा 1992 से कर रहे हैं।
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क्या है मिशनरी ऑफ चैरिटी
मिशनरी ऑफ चैरिटी, मदर टेरेसा का संगठन है, जिसकी स्थापना 1977 में की गई थी। दुनिया भर में इसके करीब 365 ऐसे केंद्र हैं। ज्योति नगर मिशनरी चैरिटी पुनर्वास केंद्र एक कुष्ठ केंद्र है, जिसमें लगभग 100 रोगी और 200 बेड हैं।
पुरुष और महिला रोगियों के वार्ड अलग हैं। उनमें से अधिकतर वह मरीज हैं, जिन्हें उनके परिवार ने उन्हें छोड़ दिया है। डॉ विवेक की टीम यहां कुष्ठ रोगियों का इलाज करती है और जब तक वह पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते, तब तक उन्हें दवाइयां प्रदान करती है। नि:शुल्क स्किन ओपीडी की भी यहां व्यवस्था है।
बता दें कि डॉक्टर विवेक केवल उन्हीं रोगियों का इलाज करते हैं, जो गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) कार्ड के नीचे जीवनयापन कर रहे हैं।
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यह भी जाने डॉ विवेक और उनके मिशनरी के बारे में
डॉक्टर की उदारता का उदाहरण आप इस बात से समझ सकते हैं कि उन्होंने मरीजों के लिए पंखे, फ्रिज, एसी, बेंच, जेनरेटर जैसी चीजें दान कर चुके हैं।
कुछ टाइम पहले जब वह मिशनरी सेंटर आते थे, तो उन्होंने करीब 100 मरीजों की जांच करते थे। समय बढ़ने के साथ-साथ मरीजों सही हुए, तो उनकी संख्या भी घटी, जिसके चलते डॉक्टर ने सप्ताह में दो दिन सोमवार और गुरूवार मरीजों को देखने के लिए रखे हैं।
डॉक्टर विवेक का कहना है कि उनका लोगों की मुफ्त में मदद करना यहीं नहीं रुकेगा। अगर स्वास्थ्य उनका साथ देगा, तो वह आने वाले 25 सालों तक यूं ही गरीबों की मदद करना चाहेंगे और फ्री में इलाज करेंगे।
वह एक दिन में लगभग 50 रोगियों का इलाज करते हैं। मरीजों की प्रतिक्रिया अच्छी रहती हैं क्योंकि मरीज खुद बताते हैं कि वह संतुष्ट हैं।
आगे की स्लाइड में जानिए डॉक्टर विवेक के सिद्धांत के बारे में
क्या है डॉक्टर विवेक का सिद्धांत: उनका कहना है कि लोगों को अपने जीवन में गरीब और जरूरतमंदों को मुफ्त में दवाइयां उपलब्ध कराने का सिद्धांत बनाना चाहिए।
उनके साथ कई दवा कंपनियां जुड़ी हुई हैं। उन्होंने गरीब रोगियों के लाभ के लिए उन्हें एक समूह में वर्गीकृत किया है। डॉक्टर एक महीने में एक बार में एक कंपनी की दवा लेते हैं। उन्होंने इस तरह से विभाजित किया है कि उन्हें सोमवार और गुरुवार के चार महीनों में सात से आठ कंपनियों से एक सप्ताह में मेडिकल दवाएं मिल सकें।
वह उन कंपनियों को अपने गरीब मरीजों को नि:शुल्क नमूने प्रदान करने के लिए कहते हैं। बदले में वे फिर रोगियों को उस कंपनी की दवाएं खरीदने के लिए सलाह देने की बात कहते हैं। ऐसे कंपनी प्रत्येक रोगी को एक या दो नमूने देने की कोशिश करती है। इस तरह से वह वह फार्मास्युटिकल कंपनियों को व्यवसाय प्रदान करते ही करते हैं, शून्य परामर्श शुल्क के साथ जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त दवाइयां भी मिल जाती हैं।
डॉक्टर विवेक की जिंदगी का एकमात्र उद्देश्य मेडिकल ज्ञान और एक्सपीरियंस से गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना है।
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कौन है उनकी प्रेरणा
डॉक्टर विवेक का कहना है कि उनके पिता ही उनकी प्रेरणा थे। उनके पिता उत्तर प्रदेश कृषि विभाग में एक निदेशक थे। 1977 में अपनी सेवानिवृत्ति के पहले, वह एक महान कार्य के लिए चार से पांच धर्मार्थ संगठनों में शामिल हो गए थे। 2012 में 93 में उनका निधन हो गया। 2013 में, उन्हें सामाजिक कार्य में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
डॉक्टर विवेक याद करते हुए बताते हैं कि 1985 में जब मैंने मेडिकल की पढ़ाई पूरी की, तो उनके पिता को पता चला कि दो से तीन साल के भीतर वह कुछ भी नहीं जानता था क्योंकि वह तथ्य से अनजान था। सिद्धांत और व्यावहारिक के बीच क्या अंतर है, नहीं पता था।
उसके बाद उनके पिता उनके कंफ्यूजन को दूर करने के लिए आईडिया निकाला। उन्होंने उन्हें ग्रामीण इलाकों में अभ्यास करने की सलाह दी, जहां उन्हें विभिन्न रोगों के बारे में पता करने के कई अवसर मिले। उन्होंने यह भी सलाह दी कि उनके सहयोगियों के साथ इन चीजों पर चर्चा करें।
उन्होंने सलाह दी कि जितना अधिक आप सीखना चाहते हैं, उतने ही कठिन परिस्थितियों में जाना होगा।
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और क्या सिखाया डॉक्टर विवेक के पिता ने
एक डायरी रखने की आदत: डॉ विवेक ने अपने पिता से अपने साथ एक डायरी ले जाने की आदत को अपनाया। उन्होंने कहा, 'ऐसे उत्तरदायी पद पर कार्य करने के लिए कई चीजें उन्हें याद रखने वाली थीं, इसलिए उन्होंने डायरी रखना सीखा और सब-कुछ उसमें लिखा भी।
छोटी नींदों से रहते हैं एक्टिव: अपने बिजी शेड्यूल में डॉक्टर विवेक को आराम की बेहद जरूरत होती है। इसके लिए वह बीच-बीच में छोटी नींद ले लेते हैं। इससे उनके शरीर में एनर्जी बनी रहती है। यह आदत भी उन्हें अपने पिता से ही मिली है।
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साथी डॉक्टरों के लिए एक अनुरोध: डॉक्टर विवेक को उम्मीद है कि उनका जरुरतमंदों की मदद का उदाहरण उनके साथी डॉक्टरों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा ताकि वह भी उनकी तरह गरीबों की मदद करें। वह चाहते हैं कि अन्य डॉक्टर भी गरीब लोगों के साथ अपने एक्सपीरियंस शेयर करें।
वह कहते हैं कि डॉक्टरों को गरीब रोगियों के प्रति नरम व्यवहार रखना चाहिए और कम खर्च में रोगियों के इलाज पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। आपके फ्री इलाज की भावना दिल से होनी चाहिए। यह रोगियों के लिए एक बड़े बोनस के रूप में होता है।
डॉक्टर विवेक की गरीबों की इस निःस्वार्थ सेवा को Newstrack.com सलाम करता है।