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संगम की रेत पर सजी 'तंबुओं की नगरी', जानें इस बार मेले में क्या है खास
संगम की रेत पर साज गई अनोखी 'तंबुओं की नगरी'। विश्व की यह सबसे बड़ी तंबुओं की नगरी है। जिसे बड़े ही शिद्दत से महीनों की तैयारी से सजाया जाता है और फिर उजाड़ा जाता है। कुम्भ नगरी में कुम्भ और अर्धकुम्भ के अलावा हर साल लगभग 2 महीने के लिए माघ मेला लगता है।
इलाहाबाद : “माघ मकर गति रवि जब होई
तीरथपति आवे सब कोई”
संगम की रेत पर साज गई अनोखी 'तंबुओं की नगरी'। विश्व की यह सबसे बड़ी तंबुओं की नगरी है। जिसे बड़े ही शिद्दत से महीनों की तैयारी से सजाया जाता है और फिर उजाड़ा जाता है। कुम्भ नगरी में कुम्भ और अर्धकुम्भ के अलावा हर साल लगभग 2 महीने के लिए माघ मेला लगता है। जिसमें लाखों श्रद्धालुओं को हर साल सवा महीना संगम की रेत पर बने इस तंबू-कनात में कल्पवास करते हैं।
कोई भेदभाव नहीं
संगम तट पर हर साल माघ मेला मकर संक्रांति के पर्व से शुरू होकर 45 दिनों तक चलता है। संगम की रेती पर एकत्रित यह लोग चाहे छोटा हो या बड़ा, अमीर हो या गरीब किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं है। यहां बस भक्त हैं जो देश भर से श्रद्धालु पुण्य बटोरने आते हैं। श्रद्धालुओं के अलावा, माघ मेला देश विदेश से पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।
भूले भटके शिविर
इस जनसैलाब में लोगों का अपनों से बिछड़ जाना भी आम बात है। लेकिन प्रशासन हर स्थिति से निबटने के लिए तैयार है। यहां ‘भूले भटके शिविर’ में ऐसे ही रोज कितने लोगों को खोए हुए रिश्तेदारों से मिलाता है या उनका कोई कीमती सामान वापस दिलाता है।
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कईयों को मिलते हैं रोजगार के अवसर
श्रद्धा से परे, माघ मेला कई लोगों के लिए रोजगार का सबब भी है। इसका सबसे ज्यादा फायदा यहां के नाविकों को होता है। रोज यहां सैकड़ों लोग स्नान करने आते हैं। उन्हें गंगा के तट से संगम तक ले जाने में इनकी अच्छी आय हो जाती है। जो लोग स्नान नहीं भी करते हैं वो भी यहां आकर बोटिंग का आनंद जरूर लेना चाहते है। इसके अलावा परिसर में कहीं किसी जगह आसन जमाकर लोगो की हस्तरेखा पढने वाले, किसी ख़ास प्रकार की गाए के दर्शन कराने वाले ,बहुरुपिए, फोटोग्राफर, खिलौने, प्रषाद, फूल-माला आदि बेचने वाले माघ मेले की भीड़ का बखूबी लाभ ले रहे हैं।
माघ मेले की ये हैं तैयारियां
-इलाहाबाद में शुरू हो रहे माघ मेले में स्नान को लेकर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है।
-माघ मेला का पहला स्नान पौष पूर्णिमा 12 जनवरी से शुरू होकर महाशिव रात्रि 24 फरवरी तक चलता है।
-12 जनवरी को पहले पौष पूर्णिमा और 14 फरवरी के मकर संक्रांति स्नान पर्व के लिए इलाहबाद माघ मेले में सभी तैयारी पूरी कर ली गई है ।
-इसके साथ-साथ श्रद्धालुओं के लिए हॉट एआर बैलून और हेलिकॉप्टर से मेले को आसमान से देखने का मौका मिलेगा।
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75 लाख श्रद्धालु के आने का हैं अनुमान
ऐसे में प्रेस वार्ता में जिलाधिकारी ने बताया कि पौष पूर्णिमा को 50 लाख और मकर संक्रांति स्नान पर्व के लिए संगम में डुबकी लगाने के लिए 75 लाख श्रद्धालु के आने का अनुमान हैं। जिसके लिए 17 स्नान घाट की व्यवस्था की गई है। पूरा मेला क्षेत्र 1432 बीघे में बसा है। जिसके लिए 125 km लोहे के चेकार्ड सड़क बिछाई गई है। वहीं पूरे मेले को 8 हजार स्ट्रीट लाइट और 25 हाईमास्ट जगमगाएंगे। जिसके लिए 1500 किलोमीटर की तार लगाई गई है ।
इस बार मेले में ये हैं विशेष इंतजाम
-मेले में श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।
-लोगों के लिए अस्पताल की व्यवस्था की गई है।
-नोट बंदी के चलते मेले में पहली बार 13 माइक्रो और मोबाईल एटीएम की व्यवस्था की गई है।
-जिसमें खास तौर पर छोटे नोट रहेंगे ताकि लोगों को परेशानी ना उठानी पड़े ।
-वहीं विश्व के सबसे बड़े मेले के लिए सुरक्षा के चाक चौबंद की व्यवस्था का दावा किया गया है।
-इलाहबाद के एसएसपी के अनुसार देश में जिस तरह के हालात आतंकी घटनाओं को लेकर है, इसके लिए पहले से ही तैयारी शुरू कर दी गई थी।
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सुरक्षा के हैं पूरे इंतजाम
-पूरे मेले क्षेत्र में एक पुलिस लाइन सहित 12 थाना, 34 पुलिस चौकी ,एक महिला थाना और एक जल पुलिस चौकी की स्थापना की गई है।
-पूरे मेले में 45 सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है और स्नान पर्वों पर ड्रोन कैमरे से भी निगरानी की जाएगी।
-चाक चौबंद व्यवस्था के लिए 6 कंपनी पीएसी, सात बीडीएस, दो कंपनी आरएएफ, दो हजार पुलिस और आठ सौ होमगार्ड के जवानों को तैनात किया गया है।
-सुरक्षा को देखते हुए एक एंटी माईनस टीम को भी तैनात किया गया है।
-वहीं पहली बार माघ मेले में क्राइम ब्रांच को भी लगाया गया है।
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