TRENDING TAGS :
'कड़वी हवा' में सुनने को मिलेगी गुलजार की कविता 'मौसम बेघर होने लगे हैं'
नई दिल्ली: गीतकार गुलजार ने आगामी फिल्म ‘कड़वी हवा’ के लिए एक कविता लिखी है। कविता का शीर्षक है ‘मौसम बेघर होने लगे हैं’। इसका विषय जलवायु परिवर्तन है, फिल्म भी इसी विषय पर आधारित है। प्रकृति के नजरिए से लिखी गई कविता में बताया गया है कि इंसान तरक्की की चाह में किस तरह प्रकृति को तबाह करने पर उतारू है।
गुलजार को फिल्म और इसका विचार पंसद आया, इसलिए उन्होंने पर्यावरण के मुद्दे पर यह कविता लिखी। दिल्ली-एनसीआर में जहरीली धुंध छाए रहने के बीच इन दिनों पर्यावरण का मुद्दा गर्माया हुआ है। नील माधव पांडा द्वारा निर्देशित और दृश्यम फिल्म द्वारा निर्मित फिल्म में संजय मिश्रा, रणवीर शौरी और तिलोत्तमा शोम हैं। यह फिल्म 24 नवंबर को रिलीज होगी। पूरी कविता इस प्रकार है -
मौसम बेघर होने लगे हैं
बंजारे लगते हैं मौसम
मौसम बेघर होने लगे हैं।
जंगल, पेड, पहाड़, समंदर,
इंसां सब कुछ काट रहा है,
छील-छील के खाल ज़मीं की
टुकड़ा-टुकड़ा बांट रहा है,
आसमान से उतरे मौसम
सारे बंजर होने लगे हैं,
मौसम बेघर होने लगे हैं।
दरयाओं पे बांध लगे हैं,
फोड़ते हैं सर चट्टानों से
’बांदी’ लगती है ये ज़मीन,
डरती है अब इंसानों से
बहती हवा पे चलने वाले,
पांव पत्थर होने लगे हैं।
मौसम बेघर होने लगे हैं।