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मेघालय: पांच घंटे के आपरेशन में लापता मजदूरों का नहीं मिला सुराग, खदान से खाली हाथ लौटा बचाव दल
मेघालय के ईस्ट जयंतियां हिल्स की एक कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों का अब तक कोई पता नहीं चल सका है। भारतीय नौसेना और एनडीआरएफ के गोताखोरों ने रविवार को लगभग पांच घंटे तक साढ़े तीन सौ फुट गहरी खदान में उतर कर तलाशी अभियान चलाया। लेकिन उन मजदूरों का कोई सुराग नहीं मिल सका।
नई दिल्ली: मेघालय के ईस्ट जयंतियां हिल्स की एक कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों का अब तक कोई पता नहीं चल सका है। भारतीय नौसेना और एनडीआरएफ के गोताखोरों ने रविवार को लगभग पांच घंटे तक साढ़े तीन सौ फुट गहरी खदान में उतर कर तलाशी अभियान चलाया। लेकिन उन मजदूरों का कोई सुराग नहीं मिल सका। खदान में अचानक नदी का पानी भर जाने की वजह से उक्त मजदूर बीते 13 दिसंबर से ही भीतर फंसे हैं।
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छह गोताखोरों की एक टीम दोपहर बाद दो बजे खदान में उतरी। उन्होंने खदान में पानी के स्तर और उसकी गहराई का जायजा लिया। एनडीआरएफ के सहायक कमांडेंट संतोष कुमार सिंह ने बताया कि गोताखोरों को भीतर मजदूरों की मौजूदगी का कोई निशान नहीं मिला।
तलाशी अभियान सोमवार को भी जारी रहेगा। पहले कहा जा रहा था कि बगल से बहने वाली लीटन नदी का पानी अचानक घुसने की वजह से ही मजदूर वहां फंस गए थे। लेकिन खनन विशेषज्ञ जसवंत सिंह गिल ने यह कहते हुए इस थ्योरी को खारिज कर दिया है कि नदी का जल स्तर खदान की गहराई से नीचे है।
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गिल का दावा है कि पास की किसी बंद पड़ी खदान से ही पानी इस खदान में घुसा है। इसे निकालने में कई दिनों का समय लग सकता है। इन मजदूरों को तलाशने के लिए शनिवार को विशाखापत्तनम से भारतीय नौसेना के 15 गोताखोरों की एक टीम मौके पर पहुंची थी।
गौरतलब है कि खनिक 13 दिसंबर को पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के लुम्थारी गांव के क्सान इलाके की एक खदान में नजदीकी लैतिन नदी का पानी भर जाने के बाद से अंदर फंसे हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), नौसेना, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और कोल इंडिया की मदद से बचाव अभियान में लगा है।
जिले के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि नौसेना के गोताखोरों ने बताया है कि उनके पास खदान में 100 फुट अंदर तक जाने की क्षमता है जबकि एनडीआरएफ के गोताखोर 30 फुट अंदर तक जा सकते हैं।
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