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आगरा में हो रही बंदरों की नसबंदी, लेप्रोस्कोपी का लिया जा रहा सहारा
आगरा: आगरा में बंदरों की बढ़ती संख्या से आगरावासी खासे परेशान हैं। इससे निजात पाने के लिए बंदरों की नसबंदी की जा रही है।
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरुआत
-साइंटिफिक तरीके से बंदरों की नसबंदी की जा रही है।
-इससे बंदरों को किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी।
-इसकी शुरुआत एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की जा रही है।
-प्रयोग सफल होने पर इसका दायरा बढ़ाया जाएगा।
-प्रोजेक्ट का मकसद अधिक से अधिक मोहल्लों में बंदरों की बढ़ती आबादी पर लगाम लगाना है।
-जिला प्रशासन की और से उठाया जा रहा कदम।
अन्य कदम भी उठाए जा रहे
-इस प्रोजेक्ट का व्यापक असर न होने पर बंदरों को पकड़कर अन्यत्र छुड़वाने की कार्रवाई की जाएगी।
-आगरा विकास प्राधिकरण के साथ वन्य जीव संरक्षण एसओएस संस्था ने उठाया है कदम।
-इसी क्रम में तीन अलग-अलग स्थानों पर रखे गए पिंजरों में अब तक 55 बंदर पकड़े गए।
-बंदरों की लेप्रोस्कोपी के लिए वेटनरी डॉक्टरों टीम बनाई गई है।
एनिमल एम्बुलेंस
क्या बताया वाइल्ड लाइफ के डॉक्टर ने ?
-वाइल्ड लाइफ एसओएस के डॉक्टर बैजू ने बताया कि 55 बंदर पकड़े गए थे।
-उसमें से 15 मादा बंदरिया थीं, जो 2-3 माह के बच्चे की मां होने के बावजूद गर्भवती निकलीं, जो हैरानी की बात है।
-यदि बंदर पकड़ने का निर्णय नहीं लिया जाता तो इनकी संख्या एक साल में तिगुनी हो जाएगी।
-पहले फेज में 500 बंदर पकड़ने की अनुमति मिली थी, उसमें एक ही दिन में 55 पकड़े गए।
-बंदरों की सीमित संख्या से आम लोगों को कम नुकसान पहुंचेगा, जो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
आगरा में बीच रास्ते कुछ यूं दिख जाते हैं आवारा बंदर