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इंसान ही है मोगली गर्ल 'एहसास', डॉक्टर बोले- Mainstream में लाना ही है मकसद
बहराइच जिले में पुलिस को गश्त के दौरान मिली 11 साल की तथाकथित 'मोगली गर्ल' को लखनऊ के इंदिरानगर स्थित निर्वाण रिहैबिलिटेशन सेंटर में लाया गया।
SUDHANSHU SAXENA
लखनऊ: राजधानी के इंदिरानगर स्थित निर्वाण रिहैबिलिटेशन सेंटर में शनिवार (08 अप्रैल) को बहराइच जिले में पुलिस को गश्त के दौरान मिली 11 साल की तथाकथित 'मोगली गर्ल' को लाया गया। जबसे वह यहां आई है लोगों में उसके बारे में जानने की उत्सुकता है। अपने रीडर्स तक इस गर्ल की एक्टिविटीज बताने के इरादे से Newstrack.com की टीम निर्वाण संस्था पहुंची। इंदिरानगर के तकरोही इलाके में स्थित सूर्या सिटी के निर्वाण शेल्टर होम एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में टीम जैसे ही पहुंची हमारा सामना पहले संस्था के प्रेसीडेंट डॉ. एस एस धपोला से हुआ। जैसे ही हमने उनसे मोगली गर्ल के बारे में पूछा, वह भावुक हो उठे और बोले देखिए उसे 'मोगली गर्ल' कहना उचित नहीं लगता। आखिर वह हमारी और आपकी तरह इंसान ही है। आप चाहें तो उसे हमारे दिए हुए नाम ‘एहसास’ से पुकार सकते हैं। इसके बाद उनसे बातचीत और ‘एहसास’ की एक्टिविटीज की जानकारी लेने का सिलसिला शुरू हुआ। डॉ. एस एस धपोला ने बताया कि उसे सबने बेवजह ही 'मोगली गर्ल' के नाम से चर्चित कर रखा है। वह हमारी आपकी तरह इंसान है और अब हमारा मकसद उसे मेनस्ट्रीम में लाने का ही है। चाहे हमें साल भर या इससे ज्यादा का समय लग जाए।
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Newstrack.com की टीम के लोग जब ‘एहसास’ से मिले तो वह खाना खा रही थी। उसने अपनी प्लेट का खाना बिखेर दिया था और अपने हाथ से उठा उठा कर रोटी के टुकड़े अपने मुंह में रख रही थी।इस पर डॉ धपोला ने बताया कि उसे खाने के तौर तरीके जल्द ही सिखाए जाएंगे। इसके बाद ये देखकर आश्चर्य हुआ कि उसकी देखभाल में लगी टीम के लोगों ने जब उसे इशारों में गिलास पकड़कर पानी पीने के लिए कहा तो उसने पानी पीने के लिए गिलास का प्रयोग किया।
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‘एहसास’ के मेडिकल चेकअप शुरू, डॉक्टर बोले- अभी कई टेस्ट बाकी
डॉ. एस एस धपोला ने बताया कि बहराइच से शनिवार को इसे हमारी संस्था में लाया गया है। हमने इसके मेडिकल चेकअप शुरू कर दिए हैं। अभी इसका हीमोग्लोबिन 5.8 के निम्न स्तर पर है। इसके अलावा उसे खुजली की समस्या भी है। वो अपनी नित्यक्रिया के बारे में सूचना नहीं दे पाती है।हांलांकि उसकी नींद नार्मल है। इसके लिए हम उसे आयरन और सेट्रिजिन की दवाई दे रहे हैं।हाईजीन मेंटेन करने के लिए डायपर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि अभी उसके सायकोमेट्री टेस्ट शुरू नहीं हो पाए हैं। हम उसे अभी केवल आब्जर्व कर रहे हैं।जैसे ही बच्ची खुद को थोडा कमफर्टेबल महसूस करेगी, हम उसके टेस्ट शुरू कर देंगे। इसके अलावा उसका एक निश्चित शेडयूल बनाकर उसे अपनी भाषा और सिविक सेंस के बारे में सिखाएंगे।
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11 लोगों की टीम कर रही देखभाल
निर्वाण सेंटर के प्रेसीडेंट डॉ एस एस धपोला ने बताया कि बच्ची का बहुत ध्यान रखा जा रहा है। 11 लोगों की टीम उसको लगातार आब्जर्व कर रही है। इसमें डॉ दुबे, सरोज पटेल, गोविंद पटेल, सुनीता वर्मा, आरती श्रीवास्तव, ईशा श्रीवास्तव, पूजा गुप्ता, लाली, आराधना सिंह, निर्मला और संध्या को लगाया गया है।हम बच्ची की हर एक्टिविटीज को स्टडी कर रहे हैं। इसी आॅब्जर्वेशन के आधार पर हम आगे की रणनीति बनाएंगे।
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